शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से गगनयान मिशन को मिलेगी नई रफ्तार : इसरो
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा से भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को बड़ी मदद मिलने जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण अनुभव साबित हुआ है।
शुभांशु शुक्ला 41 वर्षों में अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने 25 जून को स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट से ड्रैगनफ्लाई स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर अंतरिक्ष की यात्रा शुरू की थी, जो 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से जुड़ा। उन्होंने ISS और स्पेस शटल में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने बताया, “शुभांशु शुक्ला के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। उन्होंने अंतरिक्ष और माइक्रोग्रैविटी में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनका फायदा हमें गगनयान मिशन में मिलेगा।”
ISRO के मुताबिक, इस मिशन पर कुल 600 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसमें दो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग और यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां शामिल थीं। हालांकि, अंत में सिर्फ शुभांशु शुक्ला को ISS भेजा गया और प्रशांत नायर बैकअप अंतरिक्ष यात्री के रूप में तैयार रहे। ISRO ने बताया कि AX-4 मिशन की स्पेसक्राफ्ट को सोमवार सुबह 4:35 बजे भारतीय समयानुसार पर इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से अनडॉक कर दिया गया। अब यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद मंगलवार दोपहर 3 बजे भारतीय समयानुसार पर कैलिफोर्निया के तट पर लैंड करेगा। लैंडिंग के बाद सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मेडिकल जांच और पुनर्वास प्रक्रिया होगी।
नीलेश देसाई ने यह भी कहा कि गगनयान मिशन को लेकर ISRO की अगली योजना इस साल के अंत तक एक मानवरहित मिशन लॉन्च करने की है। इसके बाद दो और मानवरहित मिशन किए जाएंगे और फिर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को गगनयान यान से अंतरिक्ष भेजा जाएगा, जहां वह 2 से 7 दिनों तक अंतरिक्ष में रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह मिशन NASA और SpaceX के सहयोग से सफलतापूर्वक पूरा किया गया। देसाई ने कहा, “हमें जो अनुभव मिला है, उससे गगनयान मिशन की योजना को और बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।”-
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