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 चीन के सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार पर ध्यान देने की आवश्यकता: एयर मार्शल दीक्षित

 नयी दिल्ली. एकीकृत रक्षा स्टाफ के मुखिया एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने बुधवार को कहा कि भारत को अपनी निगरानी क्षमताओं पर विचार करने के साथ तेजी से विकसित हो रहे खतरे के परिदृश्य, विशेष रूप से ‘‘हमारे उत्तर में पड़ोसियों'' द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति को समझना होगा। उन्होंने चीन के सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम में विस्तार का भी हवाला दिया। यहां एक सेमिनार में अपने संबोधन में एयर मार्शल दीक्षित ने यह भी कहा कि चीनी उपग्रहों ने हाल ही में पृथ्वी की निचली कक्षाओं में ‘‘परिष्कृत हवाई युद्ध कौशल'' का प्रदर्शन किया है। वह सुब्रतो पार्क में विचार मंच सीएपीएस (सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज) और इंडियन मिलिट्री रिव्यूज़ (आईएमआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘निगरानी और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स' विषय पर बोल रहे थे। चीन का सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘‘वर्ष 2010 में मात्र 36 उपग्रहों से बढ़कर वर्ष 2024 तक एक हजार से अधिक का हो गया, जिसमें 360 से अधिक उपग्रह आईएसआर मिशन के लिए समर्पित होंगे।'' आईएसआर का तात्पर्य खुफिया जानकारी, निगरानी और टोह से है।
 एयर मार्शल दीक्षित ने कहा, ‘‘जब हम अपनी निगरानी क्षमताओं पर विचार कर रहे हैं, तो हमें तेजी से विकसित हो रहे खतरे के परिदृश्य को समझना होगा, विशेष रूप से हमारे उत्तरी पड़ोसियों द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति को।'' हालांकि, उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर जोर दिया और कहा कि इन चुनौतियों को स्वीकार किए जाने के साथ ही ‘‘हमें अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों का जश्न भी मनाना चाहिए।'' अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी सफलता का मूल आधार एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) है, जो भारतीय इंजीनियरिंग की उत्कृष्ट एवं रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रमाण है।'' 

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