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 आयुष में एआई के उपयोग पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट, भारत को सराहा

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत द्वारा पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रयोग को एक ऐतिहासिक और अग्रणी कदम बताते हुए जमकर तारीफ की है। WHO ने अपनी पहली तकनीकी रिपोर्ट “पारंपरिक चिकित्सा में AI के अनुप्रयोग का मानचित्रण” में भारत के प्रयासों को वैश्विक मानक के रूप में मान्यता दी है। यह रिपोर्ट भारत के प्रस्ताव पर तैयार की गई और इसमें आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) में तकनीक के प्रभावी उपयोग को विस्तार से समझाया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत किस प्रकार AI, मशीन लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से पारंपरिक निदान विधियों जैसे- नाड़ी परीक्षण, प्रकृति मूल्यांकन और जीभ परीक्षण को और अधिक वैज्ञानिक और व्यक्तिगत बना रहा है। ये तकनीकें न केवल रोगों की सटीक पहचान में मदद कर रही हैं बल्कि व्यक्ति विशेष की प्रकृति के अनुसार चिकित्सा समाधान भी प्रदान कर रही हैं। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने WHO की इस सराहना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन का परिणाम बताया, जिसमें वे आधुनिक तकनीक को भारतीय पारंपरिक ज्ञान से जोड़कर वैश्विक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना चाहते हैं।
जाधव ने कहा कि SAHI पोर्टल, NAMASTE पोर्टल और आयुष रिसर्च पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जहां व्यक्तिगत, साक्ष्य-आधारित और वैश्विक रूप से सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि 2018 में शुरू किया गया आयुष ग्रिड प्लेटफॉर्म इन सभी पहलों की नींव है, जिसके जरिए भारत पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को संरक्षित करने और उसे वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे में एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहा है।
WHO रिपोर्ट में भारत की एक और प्रमुख पहल “आयुर्जेनोमिक्स” (Ayurgenomics) पर भी प्रकाश डाला गया है। यह परियोजना आयुर्वेद और जीनोमिक्स का संगम है, जिसमें AI की सहायता से रोगों के जीन-आधारित संकेतों की पहचान की जाती है और व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल सलाह दी जाती है। यह पहल हर्बल औषधियों के आणविक और जीन स्तर पर प्रभाव को भी स्पष्ट करने में मदद कर रही है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) को भी WHO ने वैश्विक मॉडल करार दिया है, जो भारतीय चिकित्सा ग्रंथों और ज्ञान को AI टूल्स की मदद से संरक्षित, विश्लेषण और डिजिटाइज कर रही है।
WHO ने भारत के इन प्रयासों की भी प्रशंसा की कि वह ऑनलाइन परामर्श के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है, आयुष चिकित्सकों को डिजिटल साक्षरता सिखा रहा है और पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों से जोड़ने के लिए इंटरऑपरेबल सिस्टम तैयार कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आयुष क्षेत्र का बाजार आकार अब 43.4 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है, जो न केवल स्वास्थ्य सेवा में बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। WHO की यह मान्यता इस बात का प्रमाण है कि भारत पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक को जोड़कर विश्व स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई दिशा दे रहा है।
 

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