आथर्स गिल्ड का दो दिवसीय सम्मेलन पुरी में संपन्न
पुरी (ओडिशा) । आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया का दो दिवसीय सम्मेलन सोमवार को राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर अनुवाद को साहित्य, समाज और संस्कृति के संदर्भ में अनेक व्याख्यान, विमोचन और सम्मान संपन्न हुए। लेखकों की सबसे बड़ी संस्था 'आदर्श गिल्ड ऑफ इंडिया' का 49 वां राष्ट्रीय अधिवेशन ओडिशा की धार्मिक नगरी पुरी में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और इंडियन रिप्रोग्राफिक राइट्स आर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के संवादि परिसर सभागार आयोजित किया गया। एक आभासी प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए गिल्ड के महासचिव डॉ शिव शंकर अवस्थी और कार्यकारिणी सदस्य डॉ हरिसिंह पाल ने प्रेस वालों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अधिवेशन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आदर्श गिल्ड ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष प्रो मुकेश अग्रवाल ने की। साहित्य अकादमी से सम्मानित ओडिशा बाल साहित्यकार श्री बीरेंद्र मोहंती भी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी के निदेशक प्रो प्रभात कुमार महापात्रा के सान्निध्य में समारोह का संचालन आदर्श गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ शिव शंकर अवस्थी ने किया। समारोह का शुभारम्भ वेद मंत्र, सरस्वती वंदना और ओड़िशी नृत्यांगना विश्व ज्योति के शास्त्रीय नृत्य से हुआ। स्वागत भाषण नेशनल बुक ट्रस्ट के पूर्व निदेशक श्री मानस रंजन महापात्र ने दिया। समारोह में गिल्ड के उपाध्यक्ष डॉ मुकेश अग्रवाल, कार्य समिति सदस्य डॉ हरिसिंह पाल, डॉ संदीप शर्मा सहित गिल्ड के अध्यक्षीय नायक के संयोजक श्री नरेंद्र परिहार, केरल के एम वर्गीज, गोवा के श्री कृष्णा वालेचा, आगरा के डॉ युवराज सिंह, रायपुर के डॉ सुधीर शर्मा, जबलपुर को डॉ उषा दुबे आदि देश भर से गिल्ड के लेखकों सदस्यों को मंचस्थ प्रकाशित पुस्तकों का मंचस्थ अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। लेखकों के अधिकार विधेयक में श्री आर आर ओ के अध्यक्ष डॉ अशोक गुप्ता, उपाध्यक्ष डॉ शिव शंकर अवस्थी और आदर्श गिल्ड ऑफ इंडिया कार्य समिति के सदस्य डॉ हरिसिंह पाल ने विषय का प्रतिपादन किया।
अधिवेशन के अन्य सत्र - संस्कृति, साहित्य और अनुवाद, बहुभाषी समाज और अनुवाद तथा अनुवाद गतिशीलता आदि विषयों पर क्रमशः तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और ओडिशा के जाने-माने लेखक अपने शोध पत्रों का वाचन किया। इस अवसर पर एक बहुभाषी काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इसमें आदर्श गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के साथ साथ स्थानीय ओड़िया कवि - कवयित्रियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।अनुवाद एक सांस्कृतिक सेतु । आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न। दिनांक 16 नवंबर 2025 का प्रथम सत्र - इस सत्र की द्वितीय वक्ता केरल की बी रमादेवी ने बहुत ही सुंदर हिंदी का प्रयोग करते हुए साहित्य और संस्कृति में अनुवाद की रचनात्मकता पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया। भाषा की जटिलता को माध्यम अनसार सरल होना चाहिए। अनुवाद दुनिया की संस्कृति का सेतु है। सांस्कृतिक क्षेत्र में अनुवाद साहित्यिक अनुवाद की तरह वैश्विकता का बढ़ाता है।प्रथम वक्ता श्रीमती शशिकला जी ने कहा कि भाषा के विकास के लिए अनुवाद अत्यंत अनिवार्य है। भाषा-विज्ञान में इसकी प्रमुखता है।सफल संचालन करती हुई संचालिका ने शोध-पत्रों की विवेचना की।तृतीय वक्ता श्री सेमुएल केरल के कहा कि बंगाली और अंग्रेजी के मध्य अनुवाद ने भारतीय साहित्य को दुनिया से परिचित कराया। गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं ने विश्व में सम्मान पाया । गीतांजलि एक अमर कृति बन गई।चतुर्थ वक्ता केरल की ही के एस शैली ने कहा कि देश की सीमाओं के भीतर अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। उन्होंने मणिपुरी की बोलियां का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत एक बहुभाषिक देश है। भारत के गांवों के साहित्य को पढ़ना जरूरी है। भारतीय भाषाओं के साहित्य को एक दूसरे को पढ़ना चाहिए। अनुवाद इसकी सहायता करता है। रामायण के तीन सौ से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ सदस्य और पूर्व प्राचार्य डॉ उषा दुबे जबलपुर ने की।केरल चैप्टर के कला पीठम के प्राचार्य और संस्कृत के विद्वान डॉ जयप्रकाश शर्मा ने प्रारंभ में वेद पाठ किया। बाद में अपना शोध पत्र पढ़ते हुए कहा कि अनुवाद कला और विज्ञान दोनों है। यह अनुशासन का विषय है और एक शक्तिशाली उपकरण है जो एक ज्ञान सेतु है। अनुवाद की आवश्यकता मनुष्य को प्रतिदिन होती है। प्रत्येक भाषा में संवेदना, आइडिया और संस्कृति होती है। कविता का अनुवाद संगीत की तरह है। एक कुशल अनुवादक दोनों भाषाओं के संदर्भ से परिचित होता है।गौहाटी से उपस्थित डॉ कुंतला जी ने कहा कि धर्म के क्षेत्र में अनुवाद की भूमिका विषय में शोध पत्र प्रस्तुत किया। अनुवाद अदृश्य शक्ति है जो विभिन्न धर्मों के साहित्य से जोड़ता है। स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा की प्रक्रिया अनुवाद है।
असम में शंकरदेव के साहित्य का श्रेष्ठ अनुवाद हुआ है। वे एक अनुवादक भी थे।डॉ सुष्मिता मिश्र ने कहा कि मूल भाषा संस्कृत से मनुष्य को जीवन दर्शन का ज्ञान मिला है। भाषांतर से समझ को मूल्य बोध मिलता है।इस सत्र की अध्यक्ष डॉ उषा दुबे ने कहा कि भारत के लोग एक ही मानवीय मूल्यों को मानने वाले लोग हैं। भाषाएं एकता की परिचायक हैं। आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया ने देश भर के विद्वानों को एकजुट किया है और अनुवाद पर यह अच्छा अनुष्ठान है।
समापन सत्र का प्रारंभ दोपहर 12 बजे हुआ। आरंभ में महासचिव डॉ शिवशंकर अवस्थी ने कहा कि अनुवाद सांस्कृतिक सेतु है। यह एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करता है। इस सम्मेलन में अनेक महत्वपूर्ण शोध-पत्र प्रस्तुत हुए। संस्था का लक्ष्य है कि लेखक समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए सतत कार्य कर रही है।समापन सत्र के मुख्य अतिथि उड़िया के वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मी प्रसाद टिकैत ने कहा कि यहां की हिंदी में उड़िया का प्रभाव है। भारत भूमि तप और योग की भूमि है। अनुवाद भी तपस्या ही है। वाल्मीकि साहित्यिक तपस्या के उदाहरण है। दुनिया और समाज के लिए कवि सर्वज्ञ है। वह अपने लिए दुनिया के लिए रचता है। मनुष्य का रोना और हंसना भी कविता की तरह है।समापन सत्र में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के संयोजक डॉ प्रभात कुमार महापात्र ने कहा कि कवि शुक्र ग्रह के योग से रचता है। उन्होंने कलयुग और वर्ष की भारतीय शास्त्र के अनुसार व्याख्या की। हमारे लेखन में हमारी संस्कृति आनी चाहिए।इस अवसर पर श्री नायक जी का स्थानीय आवास संयोजन के लिए सम्मान किया गया।गायत्री कर पत्रकार, विश्व ज्योति नृत्यांगना का सम्मान किया गया।सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। समारोह का सफल संचालन महासचिव डॉ शिवशंकर अवस्थी, नागपुर चैप्टर के संयोजक नरेन्द्र परिहार आदि ने किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह स्वरुप भगवान जगन्नाथ के चित्र और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
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