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 बिहार के लिए मसौदा मतदाता सूची अंतिम नहीं, लगभग 92 प्रतिशत मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए : आयोग

 नयी दिल्ली.  निर्वाचन आयोग (ईसी) ने रविवार को कहा कि बिहार में प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची का मसौदा अंतिम मतदाता सूची नहीं है। आयोग ने कहा कि पात्र मतदाताओं को शामिल करने और अपात्रों को बाहर करने के लिए एक महीने का समय उपलब्ध होगा। मसौदा सूची एक अगस्त को तथा अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
 आयोग ने कहा कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के एक महीने तक चले पहले चरण के समापन के बाद 7.24 करोड़ या 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं। आयोग ने बताया कि 36 लाख लोग या तो अपने पिछले पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या फिर उनका कोई पता ही नहीं है। इसने कहा कि बिहार के सात लाख मतदाताओं का कई जगहों पर नाम दर्ज है। गणना प्रपत्र वितरित करने और वापस प्राप्त करने से संबंधित एसआईआर का पहला चरण शुक्रवार (25 जुलाई) को समाप्त हो गया। निर्वाचन आयोग ने कहा कि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को ये मतदाता नहीं मिले और न ही उन्हें गणना फॉर्म वापस मिले, क्योंकि या तो वे अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता बन गए हैं, या फिर वहां मौजूद नहीं थे, या उन्होंने 25 जुलाई तक फॉर्म जमा नहीं किए थे। इसने बताया कि दूसरा कारण यह था कि वे किसी न किसी कारण से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक नहीं थे। आयोग ने कहा कि इन मतदाताओं की वास्तविक स्थिति एक अगस्त तक इन फॉर्म की जांच के बाद पता चलेगी।
 इसने कहा, हालांकि, वास्तविक मतदाताओं को एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि के दौरान मतदाता सूची में वापस जोड़ा जा सकता है। मतदाता सूची में कई स्थानों पर नामांकित मतदाताओं का नाम केवल एक ही स्थान पर दर्ज किया जाएगा।” इसके साथ ही चुनाव प्राधिकरण ने कहा कि वह यह “समझ नहीं पा रहा है” कि जब मतदाताओं के नामों को गलत तरीके से शामिल करने और बाहर करने के लिए एक अगस्त से एक सितंबर तक एक महीने का समय उपलब्ध है, तो “वे अब इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं?” आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं से प्रक्रिया की वास्तविक प्रगति की जानकारी लेने के लिए स्वतंत्र हैं। आयोग ने चुटकी लेते हुए कहा, “अपने 1.6 लाख बूथ-स्तरीय एजेंटों से एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां क्यों नहीं मांगते हैं?” राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ स्तरीय एजेंट मतदाता सूची तैयार करने या उसे अद्यतन करने में निर्वाचन आयोग के बूथ स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। निर्वाचन आयोग के बयान में कहा गया, “कुछ लोग यह धारणा क्यों बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि मसौदा सूची ही अंतिम सूची है, जबकि विशेष गहन पुनरीक्षण आदेश के अनुसार यह अंतिम सूची नहीं है।” बिहार में विभिन्न विपक्षी दलों ने दावा किया है कि दस्तावेजों के अभाव में मतदाता सूची संशोधन के दौरान करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। बिहार में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा होगा क्योंकि राज्य मशीनरी प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन का विरोध करने वाले लोगों को निशाना बनाएगी। निर्वाचन आयोग ने कहा कि एसआईआर का पहला उद्देश्य सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। उसने कहा, “24 जून 2025 तक 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फार्म जमा कर दिए हैं, जो भारी भागीदारी को दर्शाता है।

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