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 राजनीतिक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार एआई मॉडल से चर्चा की गुणवत्ता सुधरी

नयी दिल्ली.  अमेरिका और ब्रिटेन में राजनीतिक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित भाषा मॉडल से ऑनलाइन चर्चाओं की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) को बड़े पैमाने पर टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है, लिहाजा यह प्राकृतिक भाषा में मानवीय अनुरोधों का जवाब देने में सक्षम है। ‘साइंस एडवांसेज' पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, एआई प्रणाली की ओर से विनम्र, साक्ष्य-आधारित प्रतिवाद उच्च गुणवत्ता वाली ऑनलाइन बातचीत की संभावना को लगभग दोगुना कर देता है और “व्यक्ति के वैकल्पिक दृष्टिकोणों का सम्मान करने की गुंजाइश को काफी हद तक बढ़ा देता है।” हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि वैकल्पिक दृष्टिकोणों के प्रति खुलापन किसी की राजनीतिक विचारधारा में बदलाव नहीं लाता। डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और डेटा विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर ग्रेगरी ईडी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि बड़े भाषा मॉडल “हल्के-फुल्के सुझाव” दे सकते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ता को उनके पोस्ट के आपत्तिजनक लहजे के प्रति सचेत करना। ईडी ने कहा, “इसे ठोस रूप से बढ़ावा देने के लिए यह कल्पना करना आसान है कि पृष्ठभूमि में काम करने वाले बड़े भाषा मॉडल कैसे ऑनलाइन चर्चाओं में पटरी से उतरने पर हमें सचेत करते हैं, या इन एआई प्रणालियों का इस्तेमाल कैसे स्कूल पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में युवाओं को विवादास्पद विषयों पर चर्चा करते समय सर्वोत्तम व्यवहार करने की कला सिखाने के लिए किया जा सकता है।” मुंबई स्थित स्वतंत्र गैर-लाभकारी शैक्षणिक शोध संस्थान मॉन्क प्रयोगशाला के मनोविज्ञान विभाग की शोधकर्ता हंसिका कपूर ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “(यह अध्ययन) इस तरीके से एलएलएम का इस्तेमाल करने के लिए एक अवधारणा प्रमाण प्रदान करता है, जिसमें स्पष्ट संकेत दिए गए हैं, जो दो या अधिक समूहों की तुलना करने वाले प्रयोग में परस्पर अनन्य प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर सकते हैं।” अध्ययन में लगभग 3,000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें अमेरिका में रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी, जबकि ब्रिटेन में कंजर्वेटिव या लेबर पार्टी के समर्थक शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से एक ऐसा लेख लिखने को कहा, जिसमें वे अपने लिए महत्वपूर्ण किसी राजनीतिक मुद्दे पर अपना रुख बयां करते हुए उसे जायज ठहराते हों, ठीक वैसे ही, जैसे वे किसी सोशल मीडिया पोस्ट में करते हैं। लेख पर प्रतिक्रिया चैटजीपीटी से दी गई, जो “काल्पनिक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के रूप में काम कर रहा था।” यह पोस्ट की भाषा और तर्क के हिसाब से “तत्काल” अपनी जवाबी दलीलें दे रहा था। प्रतिभागी चैटजीपीटी की प्रतिक्रिया पर ठीक उसी तरह से जवाब दे रहे थे, जैसे वे किसी सोशल मीडिया ‘कमेंट' पर व्यक्त करते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, “साक्ष्य-आधारित प्रतिवाद (भावना-आधारित प्रतिक्रिया के सापेक्ष) उच्च-गुणवत्ता वाली प्रतिक्रिया प्राप्त करने की संभावना को छह प्रतिशत अंकों तक बढ़ा देता है, समझौता करने की इच्छा में पांच प्रतिशत अंकों तक वृद्धि करता है और सम्मानजनक लहजा अपनाने की गुंजाइश में नौ प्रतिशत अंकों तक इजाफा करता है।

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