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आरबीआई का फैसला अनिश्चित माहौल में महंगाई नियंत्रण, वृद्धि पर केंद्रितः बैंक अधिकारी

 नयी दिल्ली.  बैंकों के शीर्ष अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने के फैसले को मौजूदा अनिश्चित माहौल में महंगाई नियंत्रित करने और वृद्धि को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण पर केंद्रित बताया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को अमेरिकी शुल्क को लेकर अनिश्चितता के बीच प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखने का निर्णय किया। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा, "एमपीसी का रेपो दर को स्थिर रखने का निर्णय मौजूदा अनिश्चितताओं को देखते हुए काफी हद तक उम्मीद के अनुरूप है। नीति, व्यापार एवं कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति के निम्नतम स्तर पर पहुंचने की धीमी प्रतिक्रिया से उत्पन्न अनिश्चितताओं का इस पर असर रहा।" इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ आरबीआई द्वारा रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने और तटस्थ रुख बनाए रखने का निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और वृद्धि को बढ़ावा देने के उसके उद्देश्य की ओर एक सुविचारित दृष्टिकोण है।'' श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हम नगदी प्रबंधन पर आरबीआई के कदम और गतिशील बने रहने के उसके लक्ष्य का भी स्वागत करते हैं, जो आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। '' उन्होंने कहा कि एसआईपी (व्यवस्थित निवेश योजना) के माध्यम से ट्रेजरी बिल तक खुदरा पहुंच बढ़ाने और बैंक लॉकर तथा खाता दावा निपटान के मानकीकरण का आरबीआई का निर्णय, ऐसी पहल हैं जिनसे वित्तीय समावेश बढ़ने के साथ निवेशकों का भरोसा बढ़ने की उम्मीद है। इंडियन बैंक के एमडी एवं सीईओ बिनोद कुमार ने कहा, ‘‘ यह एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, आने वाले महीनों में इस पर पुनर्विचार की गुंजाइश बनी हुई है क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक स्थिर है और वृद्धि को बढ़ावा देने की आवश्यकता हो सकती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इंडियन बैंक में हम पिछली ब्याज दरों में कटौती का लाभ पहले ही दे चुके हैं और उम्मीद है कि एमसीएलआर (कोष की सीमांत लागत पर आधारित ऋण दर) में आगे भी सामान्यीकरण होगा क्योंकि कोष की लागत में गिरावट जारी है।'' साउथ इंडियन बैंक के महाप्रबंधक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी विनोद फ्रांसिस ने कहा, ‘‘ रेपो दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रखने के आरबीआई के फैसले में कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि अमेरिका के प्रस्तावित 25 प्रतिशत शुल्क सहित वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए यही सही नीतिगत निर्णय है। '' उन्होंने कहा, ‘‘ साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि आरबीआई मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। एमपीसी को भविष्य में कोई भी कटौती करने से पहले मौजूदा कटौती के पूर्ण प्रभाव के अमल में आने का इंतजार करना चाहिए।'' श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी वाइस चेयरमैन उमेश रेवणकर ने कहा, ‘‘ तटस्थ नीतिगत रुख के साथ रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का आरबीआई का निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें मुद्रास्फीति नियंत्रण एवं वृद्धि दोनों को प्राथमिकता दी गई है।'' आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा, "एमपीसी का यह कदम मजबूत आर्थिक वृद्धि, हालिया दर कटौतियों से नकदी प्रवाह बढ़ने और मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं से निर्धारित है। खासकर अमेरिकी शुल्क नीति को लेकर अप्रत्याशित धारणा ने भी इस पर असर डाला।" गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी मनीबॉक्स फाइनेंस लिमिटेड के सह-संस्थापक दीपक अग्रवाल ने कहा, ‘‘रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रख और तटस्थ रुख कायम रखकर आरबीआई ने स्थिरता को बढ़ावा दिया है। छोटे शहरों एवं ग्रामीण भारत में सूक्ष्म उद्यमों के लिए ऋण पहुंच पर केंद्रित हमारे जैसे ऋणदाताओं के लिए यह स्थिरता दीर्घकालिक योजना बनाने में सहायक है।' 

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