किसानों की आमदनी बढ़ाने मोदी सरकार की नई योजना !
कृषि यन्त्र कारोबार के लिए मिलेगी 80 प्रतिशत तक सहायता….!!
नई दिल्ली – किसानों के लिए मोदी सरकार की सबसे बड़ी सब्सिडी वाली स्कीम से खेती करना काफी आसान हो जाएगा ! इस योजना में अब किराये पर सस्ती करों की तरह ऐप पर ऑर्डर देकर खेती के लिए जरूरी मशीनरी सस्ती दरों पर मंगवाई जा सकती है ! इस योजना से कृषि यंत्रों से जुड़ा व्यवसाय यदि कोई करना चाहे तो इससे हर साल लाखों की कमाई हो सकती है ! इसके लिए 80 फीसदी तक की सरकारी आर्थिक सहायता मिलेगी ! इस योजना का नाम है कस्टम हायरिंग सेंटर या कृषि यंत्र बैंक कहा जा सकता है ! इस योजना में किसान को कई विकल्प मिलेंगे जिसमें वो चाहे जिस सेंटर से सस्ता-महंगा के हिसाब से किराए पर मशीन खरीद सकता है !यह ऐप बिल्कुल ओला , उबर की तरह है ! मशीनरी का रेट सरकार तय नहीं करेगी. यह सुविधा पांच से 50 किलोमीटर के बीच मिलेगी !
कितनी और कैसे मिलेगी सरकारी सहायता?
अगर आप निजी कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC)बनाएंगे तो सरकार 40 फीसदी पैसे की सहायता देगी. इसमें 60 लाख रुपये तक का प्रोजेक्ट पास करवा सकते हैं. यानी अपने क्षेत्र के किसानों की जरूरत के हिसाब से इतनी रकम की मशीनें खरीद सकते हैं. इस प्रोजेक्ट में 24 लाख रुपये की सरकारी सहायता मिल पाएगी. जबकि यदि आप कॉपरेटिव ग्रुप बनाकर भी मशीन बैंक तैयार करते हैं तो ग्रुप में 6 से 8 किसान होने चाहिए. इसमें 10 लाख रुपये तक का प्रोजेक्ट पास होगा. यानी आपको 8 लाख रुपये तक की सरकारी सहायता मिलेगी. सब्सिडी का लाभ लेने के लिए किसान भाई अपने-अपने राज्य के कृषि विभाग के इंजीनियरिंग डिवीजन में संपर्क कर सकते हैं !
लागत और रिस्क कम करने की कोशिश
समय के साथ खेती में आधुनिकीकरण बढ़ रहा है, नई-नई मशीनों की जरूरत महसूस होने लगी है. चाहे वो खरपतवार निकाले की हो या छिड़काव करने और रोपाई-कटाई करने की. लेकिन हर किसी के लिए महंगे उपकरण खरीदना आसान नहीं है. ऐसे में मोदी सरकार खुद एग्रीगेटर बन गई है ! कृषि मंत्रालय ने कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने और उसका लाभ लेने के लिए ऐप लॉन्च किया है. ये ऐप 12 भाषाओं में उपलब्ध है. अब तक इसके 50 हजार डाउनलोड हो चुके हैं. इस योजना से जुड़े अधिकारियों को उम्मीद है कि जब किसी मशीन को खरीदने की बजाय वह किराए पर मिलेगी तो लागत कम होगी, उनकी आय बढ़ेगी और कर्ज का चक्कर नहीं होगा. दूसरी ओर जो किसान इसका बिजनेस कर रहा है उसे सरकार आर्थिक सहयोग कर ही रही है !
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