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 अमेरिकी शुल्क से अगले छह महीने में करीब एक चौथाई कपड़ा निर्यात प्रभावित होगा: विशेषज्ञ

नयी दिल्ली. अमेरिका के 50 प्रतिशत शुल्क के प्रभावी होने के बाद अगले छह महीने में भारत के कपड़ा निर्यात का करीब एक-चौथाई हिस्सा बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका देश के परिधान उद्योग के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और अब निर्यातक ऑर्डर रद्द होने की समस्या से जूझ रहे हैं। कपास के शुल्क मुक्त आयात को तीन महीने के लिए बढ़ाकर 31 दिसंबर तक करने से हालांकि घरेलू कपड़ा उद्योग को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। इस कदम से सरकार का प्रयास अपनी निर्यात रणनीति को पुनः तैयार करके और भारत के मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का लाभ उठाकर अमेरिका के अलावा अन्य वैकल्पिक गंतव्यों की तलाश करके उच्च शुल्क के प्रभाव को कम करना है। भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने  कहा, ‘‘ अगर मैं कुछ हद तक व्यापार प्रणाली में बदलाव होने की बात को ध्यान में रखूं तो अगले छह महीने में कम से कम 20-25 प्रतिशत की गिरावट की आशंका हैं। ऐसा किए जाने पर निर्यात में 28 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जिसमें सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में परिधान एवं सिले हुए उत्पाद शामिल हैं।'' 
सरकार ने कपास के शुल्क मुक्त आयात की अवधि बृहस्पतिवार को तीन महीने के लिए बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी। इस कदम का मकसद अमेरिका के 50 प्रतिशत उच्च शुल्क का सामना कर रहे कपड़ा निर्यातकों को समर्थन प्रदान करना है। इससे पहले 18 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर शुल्क छूट की अनुमति दी थी। चटर्जी ने कहा, ‘‘ हम बहुत राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि पहले दी गई छूट से कपास के लिए दिए जाने वाले नए ऑर्डर पर कोई लाभ नहीं मिल रहा था क्योंकि इसे भेजने में कम से कम 45-50 दिन लगते हैं। इसलिए अब अपेक्षाकृत लंबी छूट से नए ऑर्डर पर लाभ होगा।'' दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि भारतीय आयात पर अमेरिका के 50 प्रतिशत शुल्क की घोषणा देश के कपड़ा एवं परिधान उद्योग के लिए चिंता का गंभीर विषय है। 
सेखरी ने कहा, ‘‘ अमेरिका सबसे बड़े निर्यात गंतव्यों में से एक है। इस तरह के उच्च शुल्क से अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा जिससे निर्यातकों एवं उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा उद्योग पहले से ही शुल्क वृद्धि के प्रभावों का सामना कर रहा है जिसमें संभावित नुकसान और ऑर्डर रद्द होने की आशंका है। हम अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों और रणनीतियों की तलाश कर रहे हैं। हम कपड़ा मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ भी सक्रिय रूप से चर्चा कर रहे हैं। दोनों मंत्रालयों के मंत्रियों के साथ बैठकों में हमें हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया गया है।'' वित्त वर्ष 2024-25 में कपड़ा एवं और परिधान क्षेत्र का कुल आकार 179 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। इसमें 142 अरब डॉलर का घरेलू बाजार और 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है।
 

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