श्रमबल के संगठित होने की रफ्तार में आ रही तेजीः रिपोर्ट
मुंबई. देश का असंगठित श्रमबल धीरे-धीरे संगठित होने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक का सबसे अधिक नामांकन दर्ज किया जो मुख्य रूप से युवाओं की बढ़ती हिस्सेदारी से प्रेरित है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। भर्ती एवं पेरोल प्रबंधन सेवा प्रदाता क्वेस कॉर्प ने सोमवार को भारतीय श्रमबल के संगठित स्वरूप पर यह रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट कहती है कि देश के करीब 57 करोड़ श्रमिकों में से 80 प्रतिशत अब भी असंगठित क्षेत्र में हैं, लेकिन संगठित क्षेत्र का दायरा तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में भविष्य निधि निकाय ईपीएफओ में 1.39 करोड़ शुद्ध नए सदस्य जुड़े जो 2018-19 के 61 लाख नामांकन से दोगुने से भी अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, नए ईपीएफओ अंशधारकों में 61 प्रतिशत की उम्र 29 साल से कम थी, जिनमें से लगभग आधे 18 से 25 वर्ष के बीच थे। यह प्रवृत्ति बताती है कि संगठित क्षेत्र की नौकरियां अब युवाओं के लिये करियर की पहली सीढ़ी बनती जा रही हैं, जिससे दीर्घकालिक उत्पादकता और करियर मार्ग मजबूत होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर बढ़कर 41.7 प्रतिशत हो गई। साल भर में नए ईपीएफओ अंशधारकों में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत रही। रिपोर्ट में बैंकिंग-वित्त एवं बीमा (बीएफएसआई), खुदरा, विनिर्माण और दूरसंचार को रोजगार सृजन में अग्रणी क्षेत्र बताया गया। क्वेस के पेरोल आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार साल में विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियां सालाना आधार पर 32 प्रतिशत बढ़ीं, जो सबसे तेज है। वेतन के लिहाज से बीएफएसआई क्षेत्र ने औसतन 28,500 रुपये मासिक वेतन दिया, जबकि खुदरा क्षेत्र में यह औसत 23,000 रुपये रहा। क्वेस कॉर्प के अध्यक्ष (श्रमशक्ति प्रबंधन) लोहित भाटिया ने कहा, ‘‘महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ाने के लिये सामाजिक बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इनमें सुरक्षित आवास और विश्वसनीय परिवहन शामिल हैं ताकि परिवहन और सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान हो सके।''
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