सूचना, वैचारिक और जैविक युद्ध से निपटने के लिए सेनाएं रहें सतर्क, ‘सुदर्शन चक्र’ मिशन की तैयारी तेज : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन 2025 में तीनों सेनाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पारंपरिक युद्ध की अवधारणाओं से आगे बढ़कर सूचना युद्ध, वैचारिक युद्ध, पर्यावरणीय और जैविक युद्ध जैसी नई चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज युद्ध अचानक और अप्रत्याशित हो जाते हैं, जिनकी अवधि का अनुमान लगाना कठिन है यह दो महीने, एक वर्ष या यहां तक कि पांच वर्ष तक भी चल सकते हैं। ऐसे में भारत को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा और अपनी आक्रामक व रक्षात्मक क्षमताओं के बीच संतुलन के साथ प्रो-एक्टिव रणनीति अपनानी होगी।
राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए मध्यम अवधि (5 वर्ष) और दीर्घकालीन (10 वर्ष) योजनाएं तैयार करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को इस मिशन की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करना है। यह प्रणाली भारत के सामरिक, नागरिक और राष्ट्रीय महत्व के स्थलों को दुश्मन के हमलों से बचाने के साथ-साथ नए उन्नत हथियारों के विकास पर भी केंद्रित होगी। माना जा रहा है कि यह प्रणाली इजराइल की ‘आयरन डोम’ से भी अधिक शक्तिशाली हो सकती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण, तकनीकी श्रेष्ठता, परिचालन तत्परता और विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता पर केंद्रित है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन सत्र में दिए गए मंत्र-“जय: संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार” पर विशेष बल दिया और उद्योग व शिक्षा जगत के सहयोग से भविष्य की तकनीकों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने रक्षा नवाचार तंत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने और भारतीय उद्योग को दुनिया में सबसे बड़ा और श्रेष्ठ बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने त्रि-सेवा संयुक्तता (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की ज्वॉइंटनेस) को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहद जरूरी बताया। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता भारत को 21वीं सदी में आवश्यक सामर्थ्य प्रदान कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता केवल एक नारा नहीं है बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता की कुंजी है। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देती है बल्कि शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा कॉरिडोर की क्षमता को भी मजबूत करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को मंजूरी दे दी है और डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर 2020 में संशोधन किया गया है। इसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना, देरी कम करना और सशस्त्र सेनाओं को तेजी से परिचालन क्षमता प्रदान करना है। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।


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