गुवाहाटी को ‘प्रकृति' विषय पर केंद्रित भारत का पहला हवाई अड्डा मिला
गुवाहाटी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। यह ‘‘देश का पहला नेचर-थीम वाला हवाई अड्डा” है, जहां से हर साल करीब एक करोड़ 31 लाख यात्री आते-जाते हैं। इस परियोजना में रखरखाव, मरम्मत और नवीनीकरण (एमआरओ) सुविधाओं के लिए विशेष रूप से 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसकी लागत 5,000 करोड़ रुपये है। इसका उद्देश्य हवाई अड्डे को पूर्वोत्तर के लिए एक प्रमुख विमानन केंद्र एवं दक्षिण पूर्व एशिया के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में विकसित करना है। पुराने टर्मिनल से नए टर्मिनल में स्थानांतरण की प्रक्रिया फरवरी में शुरू होने वाली है, शुरुआत में घरेलू उड़ानें नए टर्मिनल से संचालित होंगी। अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया मार्च के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ानें नए टर्मिनल में स्थानांतरित की जाएंगी, जबकि मौजूदा टर्मिनल को ‘कार्गो हब' (माल और वस्तुओं का केंद्र) में परिवर्तित कर दिया जाएगा। उद्घाटन से पहले हवाई अड्डे के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘‘स्थानीय संस्कृति पर आधारित और एक आधुनिक संरचना के रूप में परिकल्पित नया टर्मिनल 1.4 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में विस्तृत है और सहज तथा यात्री-केंद्रित अनुभव प्रदान करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, स्थिरता और क्षेत्रीय पहचान का मिश्रण करता है।'' भारतीय वास्तुकारों द्वारा डिज़ाइन किया गया यह टर्मिनल असम की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है और इसे ‘देश का पहला हवाई अड्डा' कहा जा सकता है, जिसका निर्माण की विषयवस्तु प्रकृति पर आधारित है। ‘द बैम्बू ऑर्किड्स' नाम के इस टर्मिनल का डिजाइन असम के प्रतिष्ठित ‘कोपो फूल' (फॉक्सटेल ऑर्किड) और स्थानीय बांस की किस्मों (असम के भोलुका बांस और अरुणाचल प्रदेश के अपातानी बांस) से प्रेरित है, जो पूर्वोत्तर की पारिस्थितिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। अधिकारियों ने बताया कि टर्मिनल की वास्तुकला क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है, साथ ही आधुनिक तकनीक, स्थिरता और यात्रियों के आराम को भी एकीकृत करती है, जो भारत के समावेशी, भविष्योन्मुखी बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने बताया कि बांस से प्रेरित आंतरिक सज्जा में लगभग 140 मीट्रिक टन स्थानीय रूप से प्राप्त पूर्वोत्तर बांस का उपयोग किया गया है, जो भारतीय हवाई अड्डों में टिकाऊ निर्माण के लिए एक नया मानक स्थापित करता है। टर्मिनल में काजीरंगा से प्रेरित प्राकृतिक दृश्य हैं, जिनमें असम के जंगलों की तरह हरे-भरे और पर्यावरण के अनुकूल स्थान दर्शाये गए हैं। पारंपरिक असमिया पगड़ी ‘जापी' को विभिन्न डिजाइन वाले तत्वों में शामिल किया गया है, जबकि शक्ति और शांति के प्रतीक गैंडे का रूपांकन टर्मिनल में प्रमुखता से दिखाई देता है। आगमन और प्रस्थान क्षेत्रों में ‘फॉक्सटेल ऑर्किड' के गुलदस्ते जैसे दिखने वाले 57 विशिष्ट स्तंभ लगे हैं। आगमन करने वाले यात्री ‘आकाश वन' का अनुभव भी करेंगे, जहां वे स्थानीय वनस्पतियों की 100 प्रजातियों के लगभग एक लाख पौधों से युक्त हरे-भरे क्षेत्र से गुजरेंगे, जो एक जीवंत वनमय वातावरण का निर्माण करता है। इस परियोजना को गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (जीआईएलएल) द्वारा विकसित किया गया है और इसका संचालन ‘अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड' (एएएचएल) द्वारा किया जा रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत में पहली बार, यात्रियों को पार्किंग क्षेत्र और आगमन प्रांगण में चेक-इन की सुविधा मिलेगी, जिससे टर्मिनल के भीतर सामान ले जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।'' उन्होंने बताया कि टर्मिनल में स्वचालित ‘ट्रे रीट्राइवल सिस्टम' (एटीआरएस) के साथ समेकित घरेलू सुरक्षा लेन, संपर्क आधारित फाटकों पर स्विंग व्यवस्था और कुशल स्थानांतरण सुविधाएं हैं, जो गुवाहाटी को एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में अपनी भूमिका निभाने में सहयोग प्रदान करती हैं। हवाई अड्डे पर त्वरित और पुख्ता सुरक्षा जांच के लिए फुल-बॉडी स्कैनर और भारतीय नागरिकों और ओसीआई कार्डधारकों की शीघ्र निकासी के लिए ‘फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन' (एफटीआई-टीटीपी) सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। नया टर्मिनल खुदरा, खाद्य और पेय पदार्थों के आउटलेट और ‘एयरपोर्ट विलेज' में स्थानीय ब्रांडों को प्रमुख स्थान प्रदान करके असम की क्षेत्रीय विरासत को उजागर करता है। इसमें स्थानीय रेस्तरां भी होंगे। अधिकारियों ने कहा, “ये प्रतिष्ठान क्षेत्र की लोककथाओं, व्यंजनों, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक यात्री राज्य की मूल भावना का अनुभव करे।

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