मोदी ने डिब्रूगढ़ में 10,601 करोड़ रुपये के उर्वरक संयंत्र की आधारशिला रखी, 2030 तक शुरू होगी इकाई
नामरूप। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को असम के डिब्रूगढ़ जिले में 10,601 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ‘ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया संयंत्र' की आधारशिला रखी और इस बात पर जोर दिया कि इससे क्षेत्र में औद्योगिक प्रगति का एक नया अध्याय शुरू होगा। असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड (एवीएफसीसीएल) की वार्षिक यूरिया उत्पादन क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन होगी और इसका संचालन 2030 में शुरू होने की उम्मीद है। मोदी ने अपने दो दिवसीय असम दौरे के अंतिम दिन यहां ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉर्प लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के मौजूदा परिसर में संयंत्र की आधारशिला रखी।
प्रधानमंत्री ने परियोजना का अनावरण करने के बाद एक जनसभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने उर्वरक संयंत्रों में प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण नहीं करने और किसान समुदाय के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने इसे असम और पूरे पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि नामरूप और डिब्रूगढ़ का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना साकार हो गया और इस क्षेत्र में औद्योगिक प्रगति का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “उर्वरक परियोजना में लगभग 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का उत्पादन होगा। स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने से आपूर्ति तेज होगी और रसद लागत में कमी आएगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नामरूप संयंत्र से हजारों नये रोजगार व स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे और मरम्मत, आपूर्ति और अन्य संबंधित कार्यों से भी युवाओं को रोजगार मिलेगा। मोदी ने कहा, “असम का नामरूप उर्वरक संयंत्र देश के औद्योगिक विकास का प्रतीक बनेगा। यह दुखद है कि कांग्रेस ने संयंत्र के आधुनिकीकरण और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया।” उन्होंने कहा कि नामरूप लंबे समय से उर्वरक उत्पादन का केंद्र रहा है और एक समय यहां उत्पादित उर्वरक पूर्वोत्तर के खेतों को उपजाऊ बनाता था और किसानों की फसलों को सहारा देता था। मोदी ने आरोप लगाया, “जब देश के कई हिस्सों में उर्वरक आपूर्ति एक चुनौती थी तब भी नामरूप किसानों के लिए आशा की किरण बना रहा। हालांकि, पुराने संयंत्रों की तकनीक समय के साथ अप्रचलित हो गई और कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।” उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, नामरूप संयंत्र की कई इकाइयां बंद हो गईं, जिससे पूर्वोत्तर के किसान संकट में पड़ गए और उनकी आय पर बुरा असर पड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “कृषि कल्याणकारी पहलों में से एक यह भी है कि हमारे किसानों को उर्वरक की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। यह यूरिया कारखाना इस आवश्यकता को पूरा करेगा।” मोदी ने कहा कि भारत तभी प्रगति करेगा जब किसान समृद्ध होंगे और भाजपा सरकार ने उनके उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस शासन के दौरान कई उर्वरक कारखाने बंद हो गए थे लेकिन जब हम सत्ता में आए, तो भाजपा सरकार ने देश भर में कई नए संयंत्र स्थापित किए।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र का ‘पाम ऑयल मिशन' पूर्वोत्तर को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाएगा और आने वाले दिनों में किसानों की आय में वृद्धि करेगा। उन्होंने किसान हितैषी कई योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में यूरिया का उत्पादन 2014 के 225 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 306 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
मोदी ने कहा, “भारत को प्रतिवर्ष 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है। हम इस कमी को दूर करने की दिशा में अग्रसर हैं। हम जो उर्वरक आयात करते हैं, उस पर सब्सिडी देते हैं ताकि किसानों पर बोझ ना पड़े।” उन्होंने हालांकि किसानों को अधिक पैदावार के लिए यूरिया का अंधाधुंध छिड़काव नहीं करने की चेतावनी दी, क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। मोदी ने कहा, “हमें अपनी धरती माता की रक्षा करनी है। अगर हम इसकी देखभाल और रक्षा करेंगे, तभी यह हमें फल देगी।” प्रधानमंत्री ने कहा, “किसानों को ऋण के लिए भटकना ना पड़े, इसलिए धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जा रही है।” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक किसानों के खातों में लगभग चार लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं।” मोदी ने कहा कि पहले किसानों को यूरिया के लिए लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता था, वितरण केंद्रों पर अक्सर पुलिस बल तैनात रहते थे, जो व्यवस्था बनाए रखने के लिए कभी-कभी लाठीचार्ज भी करते थे। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकार ने जिस चीज की उपेक्षा की, हमारी सरकार उसे पूरी लगन से फिर से संवारने के लिए प्रतिबद्ध है।”






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