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सुशासन कोई अमूर्त आदर्श नहीं बल्कि दैनिक प्रशासनिक जिम्मेदारी : जितेंद्र सिंह

 नयी दिल्ली.  केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि सुशासन एक अमूर्त आदर्श नहीं है, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक-केंद्रित सेवाओं पर आधारित एक दैनिक प्रशासनिक जिम्मेदारी है। सिंह ने यहां सुशासन प्रथाओं पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद मुख्य शासन प्रक्रियाओं को मजबूत करने और तेजी से विकसित हो रहे प्रशासनिक परिदृश्य की चुनौतियों के लिए लोक सेवकों को तैयार करने के उद्देश्य से पांच प्रमुख पहलों की भी शुरुआत की। मंत्री ने भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, नीति निर्माताओं और हितधारकों को 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले सुशासन दिवस के मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन एक अमूर्त आदर्श नहीं बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक-केंद्रित सेवाओं के वितरण पर आधारित एक दैनिक प्रशासनिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सुशासन दिवस का विशेष महत्व है क्योंकि देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी की अवधारणा को संस्थागत रूप दिया और लोक आधारित शासन की नींव रखी। सिंह ने कहा कि सुशासन का विचार पहले भी रखा गया था, लेकिन 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन'' के मंत्र के मार्गदर्शन में इसे अक्षरशः और पूरी भावना के साथ लागू करने की शुरुआत की गई। मंत्री ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इस सुशासन दिवस पर पांच प्रमुख पहल शुरू कर रहा है, जिनका उद्देश्य मुख्य शासन प्रक्रियाओं को मजबूत करना, प्रमुख हितधारक समूहों का समर्थन करना और तेजी से विकसित हो रहे प्रशासनिक परिदृश्य की चुनौतियों के लिए लोक सेवकों को तैयार करना है। पहले डिजिटल सुधार में केंद्र सरकार में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण संबंधी दिशा-निर्देशों का एक संकलन शामिल है, जिसमें सभी मौजूदा निर्देशों को एक ही, अद्यतन और उपयोगकर्ता अनुकूल संदर्भ में समेकित किया गया है। दूसरी पहल में एआई-संचालित भर्ती साधन शामिल है, जिसे भर्ती नियम निर्माण, संशोधन एवं निगरानी प्रणाली (आरआरएफएएमएस) पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। तीसरी पहल में ई-एचआरएमएस 2.0 मोबाइल फोन एप्लिकेशन की शुरुआत की गई है जो सरकारी कर्मचारियों को प्रमुख मानव संसाधन सेवाएं सीधे उपलब्ध कराता है। मिशन कर्मयोगी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में विकसित, ई-एचआरएमएस 2.0 सेवा रिकॉर्ड और पदोन्नति, तबादले, प्रतिनियुक्ति, प्रशिक्षण और सेवानिवृत्ति जैसी मानव संसाधन प्रक्रियाओं को एकीकृत करता है, साथ ही एसपीएआरआरडब्ल्यू पीएफएमएस और भविष्य जैसे मंचों से भी जुड़ा हुआ है। चौथी पहल कर्मयोगी मंच पर नयी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

 
पांचवीं पहल कर्मयोगी डिजिटल लर्निंग लैब 2.0 की शुरुआत आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए की गई है।

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