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श्रम सुधारों को 2025 में बढ़ावा मिला,चार आचार संहिताओं के 2026 में लागू होने की संभावना

 नयी दिल्ली.  सरकार ने पांच साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद चार श्रम संहिताओं को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 2026 में पूर्ण रूप से लागू हो जाएंगी। ये नियम देश के सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। श्रम मंत्रालय ने 2026 में ईपीएफओ 3.0 संस्करण लाने की भी योजना बनाई है, जो कर्मचारियों की भविष्य निधि की तेजी से निकासी सुनिश्चित करेगा एवं कर्मचारियों की पेंशन योजना 1995 के तहत पेंशन निर्धारण तथा कर्मचारियों की जमाकर्ता-सम्बंधित बीमा योजना 1976 के तहत बीमा दावों को भी सुविधाजनक बनाएगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने  कहा कि 2025 वास्तव में भारत के श्रम एवं रोजगार परिवेश के लिए परिवर्तनकारी वर्ष रहा जिसे ऐसे सुधारों ने चिह्नित किया जो श्रमिकों को शासन के केंद्र में रखते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष की एक प्रमुख उपलब्धि 21 नवंबर 2025 से चार श्रम संहिताओं का लागू होना रही। इससे 29 श्रम कानूनों को आधुनिक, समेकित एवं सरल ढांचे में परिवर्तित किया गया। मंत्री ने कहा, ‘‘ 2026 में ध्यान प्रौद्योगिकी-संचालित सेवा वितरण तथा प्रभावी भौतिक क्रियान्वयन के माध्यम से सुधारों को और बढ़ाने पर रहेगा। इसके साथ ही श्रम संहिताओं के तहत नियमों का कार्यान्वयन भी समान रूप से महत्वपूर्ण होगा।'' मांडविया ने कहा, ‘‘ एक बार लागू होने पर ये नियम कार्यस्थल स्तर पर विधायी ढांचे को व्यावहारिक परिणामों में बदल देंगे जिससे कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं दोनों के लिए अधिक स्पष्टता, समानता एवं पूर्वानुमेयता सुनिश्चित होगी। इससे भारत के आधुनिक, औपचारिक तथा समावेशी श्रम बाजार की ओर बदलाव तेजी से होगा।'' उन्होंने बताया कि ये नियम भारत के श्रम क्षेत्र के इतिहास में सबसे व्यापक सुधार का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनका उद्देश्य कर्मचारियों की भलाई सुनिश्चित करना, और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना, जिसकी परियोजना लागत लगभग एक लाख करोड़ रुपये है, अगले दो वर्ष में 3.5 करोड़ नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने बताया कि निरंतर नीतिगत ध्यान के परिणामस्वरूप भारत में सामाजिक सुरक्षा एक दशक पहले 19 प्रतिशत लोगों को मिलती थी जो अब 64 प्रतिशत से अधिक लोगों को मिल रही है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसे अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ द्वारा भी मान्यता दी गई है। मांडविया ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के कार्य संचालन में महत्वपूर्ण सुधार, विशेषकर निकासी प्रक्रियाओं के सरलीकरण ने सदस्यों के जीवन को आसान बनाया है और करोड़ों सदस्यों के लिए उनकी बचत तक तेज एवं सुगम पहुंच सुनिश्चित की है। मंत्री ने साथ ही कहा कि श्रम के लिए भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (जिसमें ई-श्रम पोर्टल और राष्ट्रीय कैरियर सेवा प्लेटफॉर्म शामिल हैं) ने अभूतपूर्व स्तर हासिल कर लिया है जिससे सामाजिक सुरक्षा एवं रोजगार सेवाओं की पहुंच मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि इन पहलों ने समावेशिता तथा श्रमिकों को बड़े पैमाने पर सेवाएं देने में प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त की है। ये सुधार मिलकर भविष्य के तैयार कार्यबल और विकसित भारत के लिए मजबूत आधार बनाते हैं।

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