प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर नई दिल्ली लाया गया; कल पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा
नई दिल्ली ।सीडीएस बिपिन रावत और सशस्त्र बलों के अन्य जवानों का पार्थिव शरीर गुरुवार रात करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी हवाई अड्डे पहुंचे। उन्होंने सभी वीर सपूतों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में बुधवार को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई थी।
पीएम मोदी ने रात करीब 9 बजे दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत और अन्य सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी। इनका पार्थिव शरीर गुरुवार रात करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचा। सैन्य विमान दुर्घटना में मारे गए जवानों के परिवार के कुछ सदस्य भी इस दौरान मौजूद रहे। पीएम के साथ रक्षा मंत्री, रक्षा राज्य मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीन सेना प्रमुख भी मौजूद रहे।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल करीब साढ़े 8 बजे एयरपोर्ट पहुंचे और सभी शहीदों के परिजनों से मिलकर बातचीत की। पीएम के बाद राजनाथ सिंह और अजित डोभाल ने शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 शहीदों के अंतिम दर्शन के लिए तीनों सेना के प्रमुख भी पालम एयरपोर्ट पहुंचे। थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
रावत की दोनों बेटियों ने ताबूत पर मत्था टेका
सीडीएस रावत की दोनों बेटियां भी हवाई अड्डे में मौजूद थीं। दोनों ने माता-पिता के पार्थिव शरीर को प्रणाम कर ताबूत पर मत्था टेका। उनका रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। जनरल रावत की बड़ी बेटी का नाम कीर्तिका है। कीर्तिका की शादी हो चुकी है और फिलहाल मुंबई में रहती हैं। छोटी बेटी का नाम तारिणी है, जो दिल्ली हाईकोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रही हैं।
सीडीएस बिपिन रावत और सशस्त्र बलों के अन्य जवानों का पार्थिव शरीर सुलूर से भारतीय वायु सेना के विमान से लाया गया । आम नागरिक कल सुबह 11 बजे से दोपहर साढे 12 बजे तक जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। सैन्यकर्मी दोपहर साढे 12 बजे से डेढ बजे तक श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उसके बाद पार्थिव शरीर बरार स्क्वायर श्मशानग्रह ले जाए जाएंगे। इसके बाद कामराज मार्ग से बरार चौराहे तक शवयात्रा निकाली जाएगी। दिल्ली कैंटोनमेंट में अंतिम संस्कार होगा। सेना ने कहा है कि अब तक केवल जनरल बिपिन रावत, मधुलिका रावत और ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर के शवों की ही पहचान की गई है। सम्बंधित परिवारों की इच्छा के अनुसार अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव शरीर निकट सम्बंधियों को सौंपे जाएंगे। शवों को पहचानने की प्रक्रिया जारी है। पहचान की सभी औपचारिकताएं पूरी होने तक उन्हें सेना के बेस अस्पताल के शवगृह में रखा जाएगा। निकट परिजनों से विचार-विमर्श के बाद समुचित सैन्य सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की योजना बनाई जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार दोपहर एक बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि हादसा इतना भीषण था कि शवों की पहचान मुश्किल हो गई है। हम सही पहचान के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं, ताकि किसी करीबी की भावना को चोट न पहुंचे। मृतकों के परिजनों को दिल्ली बुला लिया गया है। इसके अलावा वैज्ञानिक तरीके से भी जांच की जाएगी।
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