कब होगा सूर्य उत्तरायण, जानें इसका महत्व
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हर साल मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य देव उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आते हैं। इस साल 14 जनवरी को उत्तरायण होने का रहा है।
उत्तरायण का महत्व-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य उत्तरायण के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। उत्तरायण काल को देवताओं का समय कहा जाता है इस समय कोई भी मांगलिक कार्य करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सूर्य साल में दो बार अपनी राशि में परिवर्तन करता है जब सूर्य कर्क से धनु राशि में विचरण करता है तो इसे दक्षिणायन कहते हैं। इस समय कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। वहीं जब सूर्य मकर से मिथुन राशि में विचरण करता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं।
कथा-
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरायण के महत्व को बताते हुए कहा था कि यदि कोई व्यक्ति उत्तरायण के समय दिन के उजाले में अपने प्राणों का त्याग करता है तो उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। वह मोक्ष को प्राप्त करता है भगवान श्रीकृष्ण के इन्हीं बातों को सुनकर महाभारत के भीषण युद्ध में बाणों की शय्या पर लेटे गंगा पुत्र भीष्म ने उत्तरायण की प्रतीक्षा की और ठीक उसी दिन अपने प्राणों का त्याग कर मोक्ष को प्राप्त किया।
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