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 दक्षिणमुखी भवन हो तो निम्न बातों का रखें विशेष ध्यान...नकारात्मक  ऊर्जा का नहीं होगा प्रवेश
 यदि भवन का निर्माण वास्तु नियमों के अनुसार किसी कारण वश नहीं हो पाता या किसी तरह की कोई कमी रह जाती है तो यह मकान में रहने वालों गंभीर प्रभाव डालता है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपाय सुझाएं गए हैं। इन उपायों को करने से वास्तु दोष से बचा जा सकता है। आम लोगों के मन में दक्षिण दिशा को लेकर कई भ्रांतियां होती हैं जैसे दक्षिणमुखी घर आर्थिक परेशानी लेकर आते हैं, लेकिन हर स्थिति में ऐसा नहीं होता। फिर भी भवन निर्माण के समय वास्तुशास्त्र का ध्यान रखें।  
-वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा मानी जाती है, इस दिशा के स्वामी स्वयं यम हैं। इस दिशा के शुभ-अशुभ परिणाम स्त्रियों पर सबसे ज्यादा पड़ते हैं। इसलिए दक्षिणमुखी मकान बनाते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का  विशेष रूप से ध्यान रखें। 
- भवन द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं कि जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। जिससे भवन में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ आने वाली नकारात्मक ऊर्जा पलटकर वापस चली जाती है। 
-मुख्य द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा का वास्तुदोष दूर होता है। साथ ही मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से वास्तुदोष समाप्त होता है।
-दक्षिणमुखी भूमि पर भवन बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि दक्षिण भाग ऊंचा होना चाहिए। इससे उस भवन में रहने वाले स्वस्थ एवं सुखी होंगे। दक्षिणी हिस्से में कमरे ऊंचे बनवाने चाहिए इससे मकान का मालिक ऐश्वर्य संपन्न होता हैं। दक्षिण दिशा के घर का पानी उत्तरी दिशा से होकर बाहर की ओर प्रवाहित हो तो धन लाभ होता है।
-यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
-. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा। आग्नेय कोण का मुख्यद्वार यदि लाल या मरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हरा या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में मुख्यद्वार को नीला या काला रंग प्रदान न करें।
-दक्षिण मुखी भूखण्ड का द्वार दक्षिण या दक्षिण-पूरब में कतई नहीं बनाना चाहिए। पश्चिम या अन्य किसी दिशा में मुख्य द्वार लाभकारी होता है।
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