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हिंदू धर्म में होली के त्योहार का विशेष महत्व होता है। सभी को होली का इंतजार बेसब्री से होता है। होली के त्योहार पर सभी लोग एक दूसरे के साथ रंगों और फूलों से होली खेलते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन 7 मार्च को जबकि 8 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। इस बार होली के बाद ग्रहों की चाल से बहुत ही अच्छा राजयोग बनने जा रहा है। यह राजरोग गजलक्ष्मी राजयोग के नाम से जाना जाता है। इस राजयोग से सभी सभी 12 राशियों में कुछ राशि वालों को बहुत ही अच्छा रहने वाला होगा।
होली के बाद गजलक्ष्मी राजयोग
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल और राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। ग्रहों की चाल के बदलने पर शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है जिसे कारण से जातकों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। आपको बता हैं कि इस साल कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होने वाला है। साल के पहले महीने में सबसे ज्यादा प्रभावी और धीमी चाल से चलने वाले ग्रह शनि ग्रह का राशि परिवर्तन हो चुका है। अब 13 महीनों में एक बार राशि बदलने वाले सबसे बड़े और शुभ ग्रह देवगुरु बृहस्पति अपनी राशि बदलेंगे।
22 अप्रैल 2023 को देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में गोचर करेंगे। गुरु पिछले लगभग 13 महीनों से अपनी स्वयं की राशि मीन में विराजमान थे। गुरु के मेष राशि में गोचर करने पर वहां पर पहले से चंद्रमा मौजूद रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब मेष राशि में गुरु और चंद्रमा दोनों की ही एक राशि में होते हैं तो गजलक्ष्मी राजयोग बनता है। यह राजयोग शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गजलक्ष्मी राजयोग से कई राशियों पर शुभ प्रभाव देखने को मिलेगा। आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी क्योंकि धन का लाभ होगा। अन्य साधनों से धन की प्राप्ति होगी।
मेष राशि
होली के बाद मेष राशि में गुरु-चंद्रमा की युति से गजलक्ष्मी राजयोग बनेगा। यह राजयोग आपकी राशि के लग्न भाव में होने जा रहा है। इससे आपको आर्थिक मोर्चे पर मजबूती मिलेगी। धन लाभ के बेहतीन मौके मिलेंगे। नौकरीपेशा जाताकों के प्रमोशन और आय में इजाफा देखने को मिलेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी और भाग्य का साथ मिलेगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों को भी गुरु-चंद्रमा से बना गजलक्ष्मी राजयोग अच्छा समय का संकेत है। भाग्य का साथ मिलने से इस दौरान कई तरह के रूके हुए काम पूरे होंगे। व्यापारी वर्ग को व्यापार में मुनाफा और अनेक तरह की लाभ की संभावनाएं पैदा होंगी। जो काम पिछले कई दिनों या फिर महीनों से फंसे हुए थे वे अब आसानी के साथ पूरे होंगे।
धनु राशि
मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग धनु राशि वालों के लिए शुभ और सुनहरा अवसर लेकर आ रहा है। धन के अच्छे स्त्रोत दिखाई देंगे। करियर में तरक्की मिलने की संभावना है। जो लोग नौकरी बदलना चाह रहे हैं उनकी नौकरी के लिए एक साथ कई अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। व्यापार में आपके द्वारा बनाई गई योजना अब जमीन पर दिखाई देने लगेगी। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसामुद्रिक शास्त्र में शरीर की बनावट और खास चिह्न के जरिए व्यक्तिव और भविष्य के बारे में जानकारी दी जाती है। सामुद्रिक शास्त्र में बताया गया है कि ऐसी कन्या जिसकी आंखों में ये विशेषता हो वो ससुराल में खुशहाली लाती हैं। शादी के बाद कुछ लोगों की सोए किस्मत जाग उठती है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार कुछ स्त्रियों में ये खास चिह्न होते हैं, जो किस्मत को जगा सकते हैं। ऐसी स्त्री से शादी के बाद जातक का भाग्य का सितारा चमक उठता है।आंखेंऐसी स्त्री जिसकी आंखे हिरणी जैसी सुंदर और बड़ी होती हैं, उनका घर में प्रवेश मंगलकारी माना जाता है। ऐसी स्त्री से शादी के बाद पुरुष का भाग्य चमक उठता है। अगर किसी स्त्री की आंखें काली, बड़ी और पलकें छोटी हों तो ऐसी स्त्री को बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।तलवे पर निशानअगर किसी स्त्री के तलवे पर त्रिकोण बना हो तो ऐसी स्त्री बहुत बुद्धिमान होती है। सोच समझकर ही निर्णय लेने वाली ऐसी स्त्री परिवार को बांध कर चलती है। अगर तलवों पर शंख, कमल या फिर चक्र बना हो तो ऐसी स्त्री किस्मत की धनी मानी जाती है। जिसके पैर गुलाबी आभा लिए हो और बहुत कोमल हों वो भी भाग्य की धनी कही जाती हैं।मस्साअगर किसी स्त्री के नाक के अगले हिस्से पर तिल या मस्सा हो तो ऐसी स्त्री बहुत अच्छी किस्मत वाली होती है। अगर किसी के बाएं गाल पर तिल हो तो वो खाने की शौकीन हो सकती है तो ऐसी स्त्रियां परिवार को हमेशा खुश रखती हैं और घर में बरकत लाती हैं।
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होली सनातनियों के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। कांशी पंचाग के अनुसार होलिका दहन के उपरांत शुभ कार्य के सभी दरवाजे खुल जाते हैं। दो दिनों का यह त्योहार खुशिंया लेकर आता है। लेकिन यह त्योहार जितना महत्वपूर्ण है इससे मनाने वाला काल (समय) भी उतना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होता। इस काल में अगर होलिका दहन किया जाता है तो इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए तिथि की भूमिका अहम हो जाती है।
प्रदोष काल में सात मार्च को होलिका दहन-
पंड़ित प्रकाश उपाध्याय बतातें हैं कि काशी पंचाग के अनुसार सात मार्च को होलिका दहन की जाएगी। बतातें हैं कि होलिका दहन प्रदोष काल में करना उत्तम होता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04.17 बजे प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन सात मार्च दिन बुधवार को शाम 6.10 बजे होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन सात मार्च दिन मंगलवार को होगा।
सुबह में भ्रदा, होलिका दहन के लिए ढ़ाई घंटे का समय --
होलिका दहन के दिन सात मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 6.24 बजे से रात 8.51 बजे तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय दो घंटे 27 मिनट का है।
आठ मार्च को मनाई जाएगी होली--
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार आठ मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आठ मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 43 मिनट तक है। - - बालोद से पं. प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र कई उपायों से भरा पड़ा है और ऐसे ही उपायों में से एक है वास्तु में समुद्री नमक का उपयोग। समुद्री नमक में घर से नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की शक्ति होती है। नमक में सोखने और सुखाने का गुण होता है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है। हालांकि नमक का ज्यादा इस्तेमाल प्रतिकूल प्रभाव भी ला सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु उपायों या समाधानों की मदद से व्यक्ति ऊर्जा को संतुलित कर सकता है और प्रचुरता और समृद्धि को आमंत्रित कर सकता है। वास्तु दोषों को दूर करने के लिए नमक का विभिन्न प्रकार से उपयोग सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए उपयोगी हो सकता है। नमक को पर्यावरण शोधक के रूप में जाना जाता है। यह अपने अवशोषित गुण के कारण हमारे परिवेश से नकारात्मक क्षेत्र को हटा देता है। यह आपके घर, आत्मा और शरीर को शुद्ध कर सकता है और आपको सकारात्मक जीवन जीने की अनुमति देता है। बहुत से लोग वास्तु में नमक के उपयोग से सहमत नहीं हैं वास्तु शास्त्र में नमक आपकी आभा और आपके आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है।समुद्री नमक के उपाय---अगर आप थका हुआ और नकारात्मक ऊर्जा से घिरे हुए महसूस कर रहे हैं तो नमक के पानी से स्नान करें। एक बाल्टी में थोड़ा सा नमक डालकर सिर से पांव तक नकारात्मक प्रभावों को धो लें। आप तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करेंगे।-यदि आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिल रहा है तो रोज सुबह हाथ में थोड़ा सा नमक लेकर सिर और शरीर पर पांच से सात बार घुमाएं और फिर इसे पानी में बहा दें। यह आपकी सारी नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेगा और आप उत्साहित महसूस करेंगे।-घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अपने कमरे में एक कटोरी पानी में नमक डालकर रखें। यह आसानी से सुलभ होना चाहिए। इस नमकीन पानी को नियमित रूप से बदलें। इस पानी को वॉशरूम या सिंक में फ्लश करना याद रखें। यह आपको छूना या बाहर गिरना नहीं चाहिए। यह कटोरा आपके कमरे की सारी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेगा।-अपने घर के फर्श को समय-समय पर नमकीन पानी से पोछें। यह घर की सारी नकारात्मकता को सोख लेगा।-बाथरूम में नमक या सेंधा नमक का प्रयोग करें। इसे किसी ऐसे कोने में रख दें जहां से यह दिखाई न दे। यह बाथरूम की सारी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेगा। यदि आपके बाथरूम में वास्तु दोष है तो नमक का उपयोग करने से नकारात्मक परिणामों को कम करने में मदद मिलेगी।-धूल या गंदगी घर में संचित नकारात्मक ऊर्जा का संकेत है इसलिए सभी वस्तुओं को नमक के पानी से साफ करें। पानी में थोड़ा सा नमक डालकर चीजों को साफ कर लीजिए। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ेगी।
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सभी का जीवन उतार- चढ़ाव से भरा है। सुख और दुःख दोनों ही जीवन का हिस्सा है। दोनों ही बहुत लंबे समय तक नहीं टिकते हैं पर कई बार दुःख की घड़ी इतनी भयावह होती है कि लोग उसकी वजह से बहुत जल्दी अधिक परेशान हो जाते हैं।
कई बार हम उस परेशानी के पीछे का कारण जान लेते हैं और कई बार चाहकर भी जान नहीं पाते। अक्सर घर की सजावट करते समय लोग वास्तु को नजरअंदाज कर देते हैं जिसकी वजह से घर में वास्तु से जुड़ी बहुत सारी परेशानियां आती है और जिस घर में वास्तु दोष होता है। वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है।
वास्तु शास्त्र में हर वस्तु और उसके रंग का महत्व है। आज हम आपको एक ऐसे ही एक रंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप अपने घर का वास्तु अच्छा कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रकृति से संबंधित है। पेड़ -पौधे, हरि सब्जियों, दालें और बेड इस रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह रंग मनुष्य और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाने का काम करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हरे रंग की वस्तु को पूर्व व दक्षिण पूर्व दिशा में सबसे अच्छा माना जाता है। आप चाहे तो इस दिशा में एक छोटा सा बगीचा या पौधा रख सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा और इस रंग का संबंध लकड़ी से हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस क्षेत्र में हरे रंग की चीजें रखने पर घर-परिवार में तरक्की आती है। हरे रंग की वस्तु पूर्व दिशा में रखने पर बड़े बेटे की उन्नति होती है। वहीं हरे रंग की वस्तु को दक्षिण पूर्व दिशा में रखने पर बड़ी बेटी को लाभ प्राप्त होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा विज्ञान में धन योग के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। इन रेखाओं से यह पता चल सकता है कि जातक के जीवन में कितना धन मिलेगा। यदि मंगल क्षेत्र से कोई रेखा निकलकर मस्तिष्क रेखा को काटकर हृदय रेखा तक पहुंचे तो यह धन लाभ का संकेत देती हैं। जितनी कम उम्र में ये रेखाएं जीवन रेखा को काटकर हृदय रेखा तक पहुंचती हैं, उतने ही कम समय में सफलता मिलती है। हालांकि ये योग बहुत कम हाथों में मिलते हैं।यदि कोई रेखा जीवन रेखा के पीछे शुक्र पर्वत से शुक्र होकर मस्तिष्क रेखा तक पहुंचे और एक रेखा जीवन रेखा से निकलकर हृदय रेखा तक पहुंचे तो इससे बनने वाले त्रिकोण से अत्यधिक धन लाभ का संकेत देता है। ऐसे लोग जिस उम्र में अपना नया काम शुरू करते हैं उसके पांच साल के अंदर ही बड़ा धन लाभ मिलता है। यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच क्रॉस का निशान बने तो यह भी जीवन में अत्यधिक धनलाभ का संकेत देती है। यदि भाग्य रेखा केवल हृदय रेखा तक ही जाकर मिल रुक जाए तो इन लोगों को जीवनसाथी समान क्षेत्र में काम करने वाला होता है। इस तरह के लोग प्रेम विवाह करते हैं।
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हाथ में कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो आपके भाग्यशाली का प्रमाण देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये चिह्न या संकेत मौजूद हैं तो तय मानिए कि वह भाग्यशाली है और उसके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं रहने वाली। ये संकेत केवल भाग्यशाली हाथों में ही मिलते हैं। जानिए अपने हाथ में ऐसे ही पांच संकेतों के बारे में जो आपको भाग्यशाली बनाते हैं।
-यदि उंगलियों पर खड़ी रेखाएं दिखाई देती हैं तो यह बहुत भाग्यशाली होने का निशान है। शर्त यही है कि ये खड़ी रेखाएं चारों उंगलियों पर होनी चाहिए और स्पष्ट रूप से दिखनी भी चाहिए। यदि ये रेखाएं उंगलियों के मध्य पोर पर हों तो कम उम्र में ही इच्छा पूरी हो जाती हैं। यदि ये रेखाएं केवल दो या तीन उंगलियों में हैं तो इनका लाभ नहीं मिल पाता।
-हाथ में दूसरा भाग्यशाली संकेत है शुक्र पर्वत। यदि शुक्र पर्वत पर ज्यादा खड़ी रेखाएं हैं तो ये पैसे की कमी नहीं होने देती। यदि ये रेखाएं लेटी हुई हों तो पैसे की दिक्कत बनी रहती है। ऐसे लोगों के जीवन में पैसे आता है और खर्च हो जाता है। ऐसे लोगों को संभलकर चलना चाहिए।
-यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा दो मुखी हो और आखिर में यह मत्स्य के निशान में बदल जाए तो इन्हें अचानक धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को जीवन में अचानक तरक्की मिलती है। इस स्थिति में 30 साल की उम्र से फायदा मिलना शुरू हो जाता है। हालांकि यह रेखा किसी से कटी हुई नहीं होनी चाहिए।
-यदि जीवन रेखा के साथ-साथ मस्तिष्क रेखा और भाग्य रेखा भी अच्छी हो तो यह अच्छा संकेत है। जीवन रेखा से निकलकर एक रेखा बुध पर्वत की ओर जाए और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचे तो इन रेखाओं से बनने वाला त्रिभुज धनलाभ दिलाता है।
-यदि भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचे और हृदय रेखा से निकलकर एक रेखा मस्तिष्क रेखा से मिल जाए तो इससे बनने वाला क्रॉस का निशान भाग्यशाली होने का संकेत है। ऐसे लोगों की किस्मत 25-30 साल की उम्र में खुलती है। - इस समय फाल्गुन का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी, सोमवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अघ्र्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं।आइए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व...मुहूर्त- --फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ - 04:18 पी एम, फरवरी 19फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या समाप्त - 12:35 पी एम, फरवरी 20साल 2023 का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन अप्रैल में, मेष से लेकर मीन राशि वाले होंगे प्रभावित, पढ़ें राशिफलसोमवती अमावस्या का महत्व---धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।-इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है।-सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।-इस पावन दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है।सोमवती अमावस्या पूजा- विधि---- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।- सूर्य देव को अघ्र्य दें।-अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।-इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।-पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।-इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।- इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।-इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायमहाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का पूजन, व्रत -उपवास रखने से उनका असीम आशीर्वाद जातक को मिलता है। इस महाशिवरात्रि पर ग्रहों के कुछ ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो 6 राशियों के लिए काफी लाभदायक साबित होंगे, खासकर उनके स्वास्थ्य को लेकर। तो जानते हैं ये 6 भाग्यशाली राशियां कौन-कौन सी हैं।1. मेष राशिमेष राशि वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि का दिन काफी अच्छा साबित हो सकता है। इस दिन मेष राशि के लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार महसूस कर सकते हैं। इस दिन वे अधिक ऊर्जा का अनुभव करेंगे। मेघ राश के जातकों को भगवान शिव की आराधना करने से पुरानी बीमारियों से भी निजात मिल सकता है।2. सिंह राशिसिंह राशि वाले लोगों के लिए भी महाशिवरात्रि अच्छा साबित हो सकता है। सिंह राशि अपनी शक्ति के लिए जाने जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन वे अच्छे स्वास्थ्य और ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं। सिंह राशि के लोगों को अच्छी सेहत के लिए योग, वॉक और एक्सरसाइज पर पूरा ध्यान देना चाहिए। इससे वे हमेशा स्वस्थ महसूस कर सकते हैं।3. धनु राशिधनु राशि के लोग साहसी और मौज-मस्ती वाले होते हैं। इस महाशिवरात्रि पर धनु राशि के लोग समग्र कल्याण का अनुभव कर सकते हैं। इस महाशिवरात्रि पर इस राशि के जातकों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। इस राशि के जातक योग करेंगे, काम से थोड़ा ब्रेक लेंगे तो उन्हें अपने स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल सकता है।4. वृष राशिवृष राशि के लोग अपनी दृढ़ता और कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं। ये लोग अधिक काम करना पसंद करते हैं, जिससे इनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। महाशिवरात्रि पर वृष राशि के लोग अपने स्वास्थ्य में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए इस राशि के जातक योग करें, ध्यान लगाएं। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होने लगेगा।5. कन्या राशिकन्या राशि के लिए भी महाशिवरात्रि पर अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए आपको पौष्टिक भोजन का सेवन करना शुरू करना चाहिए। साथ ही योग करना भी शुरू कर देना चाहिए। ध्यान लगाएं और भगवान शिव से अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।6. मकर राशिमकर राशि के लोग कड़ी मेहनत वाले होते हैं। व्यस्तता की वजह से वे अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी नहीं समझते हैं। इस महाशिवरात्रि पर वे समग्र कल्याण में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए योग करें और ध्यान लगाएं। खान-पान का भी विशेष ध्यान दें। महाशिवरात्रि पर आपको अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव हो सकता है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार, 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य के सभी दुःखों का नाश हो जाता है। उस भक्त को महादेव का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि का महत्व----
आध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। गृहस्थ जीवन में रुचि रखने वाले लोग महाशिवरात्रि को शिव विवाह उत्सव के रूप में मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं आध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि के दिन शिव जी ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर कैलाश पर्वत में एकात्म हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव जी को भगवान की जगह नहीं पूजा जाता। उन्हें उस गुरु के रूप में पूजा जाता है जिससे पहली बार ज्ञान उपजा था।
महाशिवरात्रि के दिन क्या करें-
● महाशिवरात्रि के दिन शरीर और मन की शुद्धता के लिए व्रत रखें। व्रत के समय फल का सेवन करें।
● मन और आत्मा की शांति के लिए महाशिवरात्रि के दिन ध्यान करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप रोजाना ध्यान नहीं कर सकते तो साल में एक दिन महाशिवरात्रि को जरूर ध्यान करें।
● महाशिवरात्रि के दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। यह मंत्र कुल 5 शब्दों से मिल कर बना है जो इन 5 तत्व पृथ्वी, आग, पानी, वायु और ईथर का प्रतिनिधित्व करता है।
● महाशिवरात्रि के दिन ॐ नमः शिवाय के साथ ही साथ शिव तांडव स्तोत्रम और काल भैरव अष्टम का जाप करना चाहिए।
● महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से वातावरण की निगेटिव एनर्जी की जगह पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो होने लगता है।
● महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं। -
हिंदू नववर्ष 'विक्रम संवत 2080' इस बार 22 मार्च, बुधवार से शुरू हो रहा है. इसकी शुरुआत बुधवार से हो रही है. इसलिए, बुध इस नए साल के राजा माने जा रहे हैं और शुक्र इस नए साल के मंत्री माने जा रहे हैं. 2080 का नव संवत्सर "पिंगल" नाम से पुकारा जाएगा. पिंगल नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में बाधा की स्थिति देखने को मिल सकती है।
इस समय पर राजा और मंत्री दोनों के कारण स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इस बार दुर्लभ संयोग के साथ इस नवसंवत्सर की शुरुआत हो रही है. क्योंकि 30 साल बाद शनि ने कुंभ राशि में प्रवेश किया है और साथ ही 12 साल बाद गुरु मेष राशि में प्रवेश करेंगे. तो आइए जानते हैं कि ये नया हिंदू नववर्ष किन राशियों के लिए अच्छा रहने वाला है।
इन राशियों के लिए शुभ रहेगा हिंदू संवत---
1. मिथुन राशि
व्यक्तित्व प्रभावी बना रहेगा. श्रेष्ठ कार्यों को गति दे पाएंगे. प्रबंधन प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा. भाग्य का सहयोग बढ़ेगा. उद्योग व्यापार से जुड़े जन अधिक अच्छा करेंगे. योजनागत ढंग से कार्य करेंगे. चर्चाओं में सफलता पाएंगे. उत्तरार्ध में सूर्यदेव का लाभ स्थान में रहना श्रेष्ठ परिणामों का कारक बनेगा. निरंतरता बनाए रखेंगे. उपलब्धियों में वृद्धि होगी. निसंकोच आगे बढ़ेंगे. विस्तार की योजनाएं आकार लेंगी. संपूर्ण माह श्रेष्ठ फलों को देने वाला है. सहज सतर्कता से कार्य करते रहें. बड़ों का सानिध्य बनाए रखें. लक्ष्य पर ध्यान दें।
2. सिंह राशि
पुण्यकार्यों पर फोकस बना रहेगा. पेशेवरों के लिए अवसर बढ़ेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे. साझेदारी की भावना बनी रहेगी. विपक्ष कमजोर रहेगा. धर्म कार्यों से जुड़ेंगे. उत्तरार्ध में अवरोधों में तेजी से कमी आएगी. भूमि-भवन के मामले बनेंगे. यात्राओं की संभावना बढ़ेगी. उत्तरार्ध में बड़ों की सेवा सत्कार बनाए रखेंगे. परिजनों के साथ सलाह से कार्य करेंगे. रिश्तों को निभाएंगे. संबंधों के बल मिलेगा. संस्कार परंपराओं पर जोर देंगे. नपातुला जोखिम ही लें. वाणिज्यिक कार्यों में स्पष्टता लाएं. कामकाजी प्रबंधन पर ध्यान बढ़ाएं।
3. तुला राशि
बड़े लक्ष्यों पर फोकस रखेंगे. धार्मिक एवं मनोरंजक यात्राएं होंगी. मन की बात कहने में सहज रहेंगे. अध्ययन अध्यापन में बेहतर करेंगे. समय उत्तरोत्तर संवरेगा. लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. रोग दोष अवरोध हटेंगे. पेशेवर बेहतर प्रदर्शन करेंगे. सेवाक्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित कर सकते हैं. सभी को जोड़कर आगे बढ़ेंगे. विपक्ष शांत होगा. लंबित कार्यों को आगे बढ़ाएं।
4. धनु राशि
समय उत्तरोत्तर शुभता बढ़ाने वाला है. साहस पराक्रम और संपर्क बेहतर बना रहेगा. शुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी. मित्रों के साथ श्रेष्ठ पल साझा करेंगे. पठन पाठन में बेहतर रहेंगे. नवीन प्रयासों से सभी प्रभावित होंगे. घर में सुख सौख्य रहेगा. संसाधनों में वृद्धि होगी. भावुकता और अतिउत्साह पर नियंत्रण रखें. अनुशासन बनाए रखें. आर्थिक मामलों में धैर्य बढ़ाएं. बड़ों की सलाह पर ध्यान दें. यात्रा पर जाना पड़ सकता है. वाणी व्यवहार प्रभावशाली रहेगा. मेहमान आएंगे। -
बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में रोटी से जुड़े कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जिसे करने से जातक को राहत मिलती है। आर्थिक तंगी से परेशान लोग माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए ये उपाय कर सकते हैं। सदियों से सनातन धर्म मानने वालों के घरों में यह परंपरा चली आ रही है कि रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकाली जाती है। आप भी रोटी से संबंधित कुछ उपाय करके अपनी समस्याएं दूर कर सकते हैं।आइए जानते हैं क्या हैं वो उपाय।-यदि किसी व्यक्ति पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही हो तो उसे अमावस्या या किसी भी शनिवार को 2 बासी रोटी और खीर गाय को खिलानी चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय से शनि देव का प्रकोप कम हो जाता है।-जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु दोष है उन्हें रोजाना किसी एक रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिला देना चाहिए। इस उपाय से घर में सुख-शांति बनी रहती है।-अगर आपके काम लंबे समय से अटके हुए हैं तो ऐसे में रोजाना 5 बासी रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े करके पक्षियों को दाने के रूप में खिलाना शुरू कर दें। ऐसा करने से नवग्रह शांत हो जाते हैं और कामयाबी कदम चूमने लगती है।-खाना बनाते समय एक रोटी गाय के लिए निकालें। इससे घर में समृद्धि आएगी। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
छोटी-छोटी चीजों को मिलाने के बाद ही एक मकान घर बनता है. घर की हर छोटी चीज का अपना अलग महत्व और योगदान है. ये चीजें घर में सम्पन्नता और समृद्धि के द्वार को खोलती हैं. घर में रखी ये चीजें इंसान को भाग्यशाली बनाती हैं. लेकिन इनका गलत प्रयोग हमारी मुश्किलें बढ़ा सकता है. आर्थिक मोर्चे पर हमें कंगाल कर सकता है.
आइए आज घर की छोटी-छोटी चीजों के भाग्य पर असर के बारे में विस्तार से जानते हैं.
झाड़ू
झाड़ू को घर की आर्थिक स्थिति से जोड़कर देखा जाता है. झाड़ू का अनादर करना, पैर लगना, फेंकना या घर में टूटी झाड़ू रखना आर्थिक तंगी को बढ़ावा देता है. वास्तु के अनुसार, झाड़ू को घर में छुपाकर रखना चाहिए. इसके हाथ वाले हिस्से को हमेशा नीचे रखना चाहिए. सूर्यास्त के समय और सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से निश्चित ही घर में नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता का प्रभाव बढ़ता है.
कैंची
कैंची घर के रिश्तों में बड़ी भूमिका निभाती हैं. इसके गलत प्रयोग से घरेलू रिश्ते बिगड़ सकते हैं. वास्तु के अनुसार, कैंची को कपड़े या कागज में लपेटकर रखने से रिश्ते बेहतर बने रहते हैं. बिना कारण कैंची न चलाने से बचना चाहिए. इससे घर में वाद-विवाद बढ़ता है और रिश्ते खराब होते हैं. कैंची कभी भी दूसरों को न दें. इससे उस इंसान से आपके संबंध खराब हो सकते हैं.
चाकू
घर में रहने वाले लोग कैसे हैं और घर में संतान की स्थिति क्या होगी, ये आप चाकू देखकर जान सकते हैं. चाकू हमेशा किचन में उल्टा रखना चाहिए. इसकी धार नीचे रहनी चाहिए. इससे संतान पक्ष बेहतर रहता है. बिना धार वाला चाकू या जंग लगा चाकू आकस्मिक स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है. घर में बहुत बड़ा चाकू रखने से दांपत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है. अगर कोई व्यक्ति आपको धार वाली तरफ से चाकू दे तो समझ लें कि वह व्यक्ति स्वार्थी है.
पायदान
पायदान से घर में खुशियां भी आती हैं और मुश्किलें भी. पायदान हमेशा साफ होना चाहिए. ये कटा-फटा बिल्कुल न हो. गंदा और फटा हुआ पायदान घरेलू समस्याओं को बढ़ावा देता है. पायदान को रोज सुबह साफ करके दरवाजे पर रखें और ईश्वर से आगमन की प्रार्थना करें. पायदान पर स्वस्तिक, शंख आदि चिह्न न हों. इससे आपके घर में विपत्तियां आने लगेंगी.
घर में कभी न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, घर में भूलकर भी कांटेदार पौधे, ताजमहल, रोते हुए बच्चे, महाभारत, हिंसक पशु या फिर किसी युद्ध की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए. ऐसी तस्वीरें घर के भीतर नकारात्मकता लाती हैं. इसके अलावा, आपके घर के नल कभी खराब नहीं होने चाहिए. घर में खराब पड़े इलेक्ट्रोनिक डिवाइस भी नकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
मां लक्ष्मी की पूजा-अराधना हर कोई उन्हें प्रसन्न रखना चाहता है। इसके लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं। धन-समृद्धि के लिए लोग घर में मनी प्लांट भी लगाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मनी प्लांट को घर में लगाने से धन-समृद्धि बनी रहेगी और सकारात्मकता का वास होगा। अब हम आपको बताएंगे कि मनी प्लांट को घर में लगाने के बाद शुक्रवार को धन लाभ पाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। शुक्रवार मां लक्ष्मी की अराधना के लिए बहुत खास है।
इसलिए शुक्रवार को मनी प्लांट की जड़ में लाल रंग का धागा बांधना चाहिए। इससे धनलाभ तो होता ही साथ ही घर में सकारात्मकता भी बनी रहती है। यह भी कहा जाता है कि शुक्रवार को मनी प्लांट की जड़ में कच्चा दूध अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से जो धन आता है, उसमें तेजी आती हैं। अगर आपको रात में सोने में परेशानी होती है तो आप इसे अपने बेडरुम में किसी कोने में रख सकते हैं।
मनी प्लांट को रोज पानी देने और पर्याप्त रोशनी से यह 12 फीट तक भी बढ़ सकता है। अगर आप चाहते हैं आपके जीवन में गुडलक आता रहे तो हमेशा मनी प्लांट की अच्छे से देखभाल करें। मनी प्लांट को हमेशा अपने घर में अंदर ही रखना चाहिए। घर के बाहर नहीं रखना चाहिए। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
कई बार लोग अच्छी कमाई करते हैं लेकिन धन का संचय नहीं कर पाते हैं। जबकि कुछ लोग कम कमाई करते हैं लेकिन उनके हाथ में धन सदैव रहता है। अगर आपके हाथ में धन नहीं टिकता है तो वास्तु शास्त्र में कुछ आसान उपाय बताए हैं। कई बार वास्तु दोष के कारण भी घर में धन का आगमन नहीं होता है। जानें घर संचय के लिए सरल वास्तु टिप्स-
1. घर की इस दिशा में न रखें कूड़ादान- घर की साफ-सफाई का सीधा प्रभाव हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में कूड़ादान या कचरा नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में गंदगी रखने से घर में धन का आगमन नहीं होता है।
2. नल से नहीं टपकना चाहिए पानी- वास्तु शास्त्र के अनुसार, टोंटी से निरंतर पानी टपकना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह अशुभता का संकेत हैं। नल से पानी गिरते रहने से धन खर्च में वृद्धि होती है। इससे घर में बरकत का वास नहीं होता है।
3. रसोई घर इस दिशा में न बनाएं- वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की रसोई आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। पश्चिम दिशा में रसोई घर होने से घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन बरकत नहीं होती है। यानी धन आते ही खर्च होता रहता है।
4. तिजोरी की दिशा- घर में तिजोरी की दिशा का प्रभाव आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तिजोरी को दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर इस तरह से बनवाना चाहिए ताकि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर रहे। मान्यता है कि तिजोरी का मुख उत्तर दिशा की ओर होने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
5. टूटा बेड न रखें- घर में कोई भी टूटी-फूटी चीज नहीं रखनी चाहिए। वास्तु नियमानुसार, घर में टूटा हुआ बेड या पलंग नहीं रखना चाहिए इससे आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में धन का आवक बढ़ता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
होली सनातनियों के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। कांशी पंचाग के अनुसार होलिका दहन के उपरांत शुभ कार्य के सभी दरवाजे खुल जाते हैं। दो दिनों का यह त्योहार खुशिंया लेकर आता है। लेकिन यह त्योहार जितना महत्वपूर्ण है इससे मनाने वाला काल (समय) भी उतना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होता। इस काल में अगर होलिका दहन किया जाता है तो इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए तिथि की भूमिका अहम हो जाती है।
प्रदोष काल में सात मार्च को होलिका दहन :
पंड़ित प्रकाश उपाध्याय बतातें हैं कि काशी पंचाग के अनुसार सात मार्च को होलिका दहन की जाएगी। बतातें हैं कि होलिका दहन प्रदोष काल में करना उत्तम होता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04.17 बजे प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन सात मार्च दिन बुधवार को शाम 6.10 बजे होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन सात मार्च दिन मंगलवार को होगा।
सुबह में भ्रदा, होलिका दहन के लिए ढ़ाई घंटे का समय :
होलिका दहन के दिन सात मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 6.24 बजे से रात 8.51 बजे तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय दो घंटे 27 मिनट का है।
आठ मार्च को मनाई जाएगी होली :
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार आठ मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आठ मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 43 मिनट तक है। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय
भगवान शिवजी की पूजा-आराधना और मंत्रोचार से व्यक्ति के जीवन में चल रही कई प्रकार की परेशानियां फौरन ही दूर हो जाती हैं. शास्त्रों में सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 12 राशियों में से कुछ ऐसी राशियां होती है जिन पर भोलनाथ की विशेष कृपा हमेशा रहती है.
आइए जानते है भगवान शिव की प्रिय राशि वालों लोगों को इस महाशिवरात्रि पर कैसे पूजा करनी चाहिए.
मेष राशि
राशिचक्र में मेष राशि पहली राशि होती है. मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगलदेव होते हैं. मेष राशि भगवान की प्रिय राशियों में से एक होती है. मेष राशि के लोगों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ रहने वाला होगा. इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी और हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होंगी.
वृष राशि
इस राशि के स्वामी ग्रह शुक होते हैं. शुक्र सुख, वैभव और ऐशोआराम प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है. इसके अलावा शुक्रदेव भगवान शिव के भक्त हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि पर इस राशि के लोगों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है. बाधाएं दूर होती हैं.
मिथुन राशि
मिथुन राशि पर बुध ग्रह का आधिपत्य हासिल है. यानी मिथुन राशि के स्वामी बुधदेव हैं. बुध ग्रह को चंद्रदेवता के कुल का माना जाता है. ऐसे में भगवान शिव की विशेष कृपा इस राशि पर हमेशा होती है. इस बार महाशिवरात्रि पर मिथुन राशि के जातकों को कई तरह के शुभ समाचार प्राप्त होंगे.
कर्क राशि
कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं और चंद्रमा भोलेनाथ के भक्त हैं. भगवान शिव अपने माथे पर हमेशा चंद्र धारण करते हैं इसलिए कर्क राशि भगवान शिव की प्रिय राशियों में से एक होती है. महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को गंगाजल से अभिषक करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं.
सिंह राशि
सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्यदेव हैं. सूर्यदेव भगवान शिव की आराधना करते हैं. सिंह राशि पर भी भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. शिवजी हर तरह की मनोकामना को पूरा करने के लिए सिंह राशि के जातकों पर मेहरनबान रहते हैं. ऐसे में इस राशि के जातकों को महाशिवरात्रि पर शिवजी की विशेष पूजा-आराधना करनी चाहिए.
तुला राशि
तुला राशि के स्वामी भी शुक्र देव हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ का आशीर्वाद आपके ऊपर रहेगा. महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा-उपासना करने पर आपको सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी.
मकर राशि
मकर राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव होते हैं. शनिदेव महादेव की भक्त हैं. ऐसे में यह राशि भी भोलेनाथ की प्रिय राशियों में से एक होती है. भगवान शिव और शनि दोनों का ही इस राशि पर विशेष कृपा बनी रहती है. ऐसे में इस महाशिवरात्रि पर भोलनाथ का जलाभिषेक और मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
कुंभ राशि
शनिदेव मकर राशि के अलावा कुंभ राशि राशि के भी स्वामी ग्रह हैं. ऐसे में यह राशि भी भोलेनाथ की प्रिय राशियों में एक राशि होती है. - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायरुद्राक्ष शब्द की व्युत्युपत्ति , दो अलग-अलग शब्दों 'रुद्र' और 'अक्ष' से हुई है। 'रुद्र' शब्द भगवान शिव का वैदिक नाम है और 'अक्ष' शब्द का अर्थ है आंसूओं की बूंदें। इस प्रकार रुद्राक्ष का अर्थ है भगवान शिव के आंसू। आपने लोगों को कई कामों के लिए रुद्राक्ष धारण करते हुए देखा होगा । रुद्राक्ष मुख्य रूप से शक्ति प्राप्प्त करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए पहना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसान रुद्राक्ष भगवान शिव से जुड़ा हुआ है इसलिए जो भी व्यक्ति इसे धारण करता है उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष प्राचीन काल से अपने औषधीय और दैवीय गुणों के लिए हिंदुओं और बौद्धों के बीच लोकप्रिय है।आज हम रुद्राक्ष के कुछ प्रकारों की जानकारी दे रहे हैं, माना जाता है कि इन्हें धारण करने से सुखी जीवन जीने में मदद मिलती है।गौरी शंकर रुद्राक्षप्राकृतिक रूप से जुड़े दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा जाता है। यह रूद्राक्ष भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है। इसे धारण करने वाले को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गौरी शंकर रुद्राक्ष न केवल पहनने वालों और उनके लाइफ पार्टनर के बीच बल्कि उनके परिवार और दोस्तों के साथ भी प्रगाढ़ता बढ़ाता है। संतान प्राप्ति चाहते हैं तो इस गौरी शंकर रुद्राक्ष को जरूर पहनें। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है और जीवन में सही दिशा में चलने में मदद मिलती है। चमत्कारिक गौरी शंकर रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह शुक्र हैं इसलिए इसे पहनने से व्यक्ति को जीवन का हर तरह का भौतिक सुख मिलता है।दो मुखी रुद्राक्षमाना जाता है कि दो मुखी रुद्राक्ष शादी संबंधित समस्यों को कम करने में मदद करता है। इसका प्रयोग आप तब भी कर सकते है जब आपकी शादी में देरी हो रही हो। यह निर्णय लेने की क्षमता में सुधार लाता है।- चार मुखी रुद्राक्षचार मुखी रुद्राक्ष ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए सबसे अच्छा माना जा ता है जो सुखी मैरिड लाइफ में बाधाएं कम करने में मदद करता है। यह हमें अपने निकट के लोगों के प्रति अधिक समझदार और प्रेमपूर्ण होने के लिए प्रोत्साहित करता है।-पंचमुखी रुद्राक्षपंचमुखी रुद्राक्ष सुरक्षित होता है और यह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है। यह सामान्य खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है और स्नायु तंत्र में एक तरह की शांति और सतर्कता लाता है।-छह मुखी रुद्राक्षहिंदू ज्योतिष के अनुसानु छह मुखी रुद्राक्ष को किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता है। यह व्यक्ति की शादी जल्दी कराने में भी मदद करता है। रिश्तों में परेशानी का सामना कर रहे मैरिड कपल्स को भी इसे पहनने की सलाह दी जाती है।-सात मुखी रुद्राक्षसात मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो शादी में समस्याओं का सामना कर रही हैं। सही जीवन साथी पाने के लिए उन्हें मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और 16 सोमवार का उपवास भी करना चाहिए।-तेरह मुखी रुद्राक्षतेरह मुखी रुद्राक्ष आपके मन में शांति लाने में मदद करता है और आपके आस-पास की बुराइयों को दूर करता है। यह जीवन में सकारात्मकता भी लाता है और आपके परिवार और दोस्तों के साथ आपके संबंधों को बढ़ाने में मदद करता है।-पन्द्रह मुखी रुद्राक्षअगर आपका दिल टूटा है और इससे उबरने के दौरान आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो 15 मुख रुद्राक्ष आपक
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धन के बिना जीवन अकल्पनीय है। धन-दौलत हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। पैसा कमाने व बचत करने के लिए लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन कई बार पैसा कमाने के बाद भी जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर तमाम कोशिशों के बाद भी आपको धन संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं और धन हाथ में नहीं टिकता है तो आप भी वास्तु शास्त्र में वर्णित ये आसान उपाय कर सकते हैं। मान्यता है कि इन उपायों का पालन करने से जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
1. भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर-
घर में भगवान गणेश की मूर्ति अत्यंत शुभ माना गया है। शुभ व मांगलिक कार्यों में प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को दूर करने वाले। ऐसे में धन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या मूर्ति रखनी चाहिए।
2. नारियल-
मान्यता है कि जिस घर में केवल नारियल होता है वहां मां लक्ष्मी का हमेशा वास होता है और उनकी कृपा बनी रहती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। मान्यता है कि घर में नारियल रखने से जातक को आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
3. पूजा घर में रखें शंख-
घर के मंदिर में शंख का रखना अति उत्तम माना गया है। मान्यता है कि शंख रखने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों में शंख भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अतिप्रिय माना गया है।
4. मां लक्ष्मी व भगवान कुबेर की तस्वीर-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन से जुड़ी समस्याओं से निवारण के लिए घर मे माता लक्ष्मी के साथ कुबेर जी की तस्वीर लगानी चाहिए। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं और भगवान कुबेर धन देवता माने गए हैं। इस तरह से इन दोनों की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होती है।
5. बांसुरी और मोर पंख-
वास्तु नियमानुसार, पूजा स्थल में एक बांसुरी जरूर रखें। मानयता है कि घर में बांस की बांसुरी रखन से सुख-समृद्धि का आगमन होता है। व्यापार में वृद्धि के साथ नौकरी में तरक्की मिलती है। इसके साथ ही वास्तु दोष समाप्त होता है। आय में वृद्धि होती है। आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलने की मान्यता है। -
आय और व्यय दोनों अलग-अलग चीजें हैं। कई बार लोग अच्छी कमाई करते हैं लेकिन धन का संचय नहीं कर पाते हैं। जबकि कुछ लोग कम कमाई करते हैं लेकिन उनके हाथ में धन सदैव रहता है। अगर आपके हाथ में धन नहीं टिकता है तो वास्तु शास्त्र में कुछ आसान उपाय बताए हैं। कई बार वास्तु दोष के कारण भी घर में धन का आगमन नहीं होता है।
--जानें घर संचय के लिए सरल वास्तु टिप्स-
1. घर की इस दिशा में न रखें कूड़ादान- घर की साफ-सफाई का सीधा प्रभाव हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में कूड़ादान या कचरा नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में गंदगी रखने से घर में धन का आगमन नहीं होता है।
2. नल से नहीं टपकना चाहिए पानी- वास्तु शास्त्र के अनुसार, टोंटी से निरंतर पानी टपकना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह अशुभता का संकेत हैं। नल से पानी गिरते रहने से धन खर्च में वृद्धि होती है। इससे घर में बरकत का वास नहीं होता है।
3. रसोई घर इस दिशा में न बनाएं- वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की रसोई आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। पश्चिम दिशा में रसोई घर होने से घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन बरकत नहीं होती है। यानी धन आते ही खर्च होता रहता है।
4. तिजोरी की दिशा- घर में तिजोरी की दिशा का प्रभाव आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तिजोरी को दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर इस तरह से बनवाना चाहिए ताकि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर रहे। मान्यता है कि तिजोरी का मुख उत्तर दिशा की ओर होने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
5. टूटा बेड न रखें- घर में कोई भी टूटी-फूटी चीज नहीं रखनी चाहिए। वास्तु नियमानुसार, घर में टूटा हुआ बेड या पलंग नहीं रखना चाहिए इससे आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में धन का आवक बढ़ता है। -
होली के बाद इन राशियों की चमकेगी किस्मत, पूरे एक साल तक हर क्षेत्र में मिलेगी कामयाबी
--पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल 2023 के शुरू होते ही कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी शुरू हो गया है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन को बेहद खास माना जाता है। जब भी ग्रह एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसका प्रभाव समस्त मानव जीवन पर देखने को मिलता है। ग्रहों के स्थान परिवर्तन से कुछ राशियों के जातक पर शुभ प्रभाव पड़ता है, तो वहीं कुछ राशियों पर इसका अशुभ प्रभाव भी देखने को मिलता है। इस साल अप्रैल महीने में ग्रहों का बड़ा हेर फेर होने वाला है। 22 अप्रैल 2023 को गुरु ग्रह 12 साल बाद मेष राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसकी वजह से 12 साल बाद मेष राशि में गुरु और सूर्य ग्रह की युति बनने जा रही है। इस युति का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर देखने को मिलेगा। कुछ राशियां ऐसी हैं, जिनको इस युति के प्रभाव से धन लाभ और तरक्की मिलने के योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं…मेष राशिज्योतिष के अनुसार, गुरु का गोचर मेष राशि की कुंडली के पहले भाव यानी लग्न में होने जा रहा है। इसकी पंचम दृष्टि इस राशि के संतान भाव पर और नवम दृष्टि भाग्य स्थान पर होगी। ऐसे में गुरु ग्रह 22 अप्रैल से पूरे एक साल तक आपके लिए गुरु शुभ परिणाम लेकर आएंगे। इस दौरान आपकी तरक्की होगी, मान-सम्मान में वृद्धि होगी और आर्थिक क्षेत्र में उन्नति के योग बनेंगे। इस समय आपको धर्म या रोजगार के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ सकती है, जिसका भविष्य में आपको लाभ मिलेगा।कर्क राशिकर्क राशि वाले जातकों के लिए सूर्य और गुरु ग्रह की युति करियर और व्यापार के मामले में लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि ये युति कर्क की राशि से दशम स्थान में बनने जा रही है। जिसे कर्म का भाव माना गया है। ऐसे में इस समय नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को गुरु ग्रह के प्रभाव से नई नौकरी का प्रस्ताव आ सकता है। इसके अलावा आप जहां काम कर रहे हैं, वहां आपका सम्मान बढ़ेगा। साथ ही धन लाभ के अच्छे संकेत हैं।मीन राशिसूर्य और गुरु ग्रह की युति मीन राशि से दूसरे भाव में बनने जा रही है। जिसे धन और वाणी कहा जाता है। इसलिए इस समय आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। इस दौरान आप अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने में कामयाब होंगे। कारोबारियों को इस अवधि में अटका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
सनातन परंपरा में शिव साधना के लिए महाशिवरात्रि को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र फलदायी माना गया है. यही कारण है कि भोले के भक्त इस पावन पर्व का पूरे साल इंतजार करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर की गई पूजा का साधक को पूरा फल मिलता है, जिससे उसके जीवन से जुड़े कष्ट पलक झपकते दूर होते हैं और उसे सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि के पर्व के साथ शनि प्रदोष और सर्वार्थ सिद्ध का भी सुखद संयोग बन रहा है. ऐसे में इसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी बढ़ गया है. आइए महाशिवरात्रि पर शिव एवं शनि पूजा से जुड़े अचूक उपाय जानते हैं.
शिव पूजा से दूर होंगे शनि संबंधी सारे दोष
ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि दोष आपके कष्टों का बड़ा कारण बन रहा है तो आप उससे बचने के लिए इस महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा का महाउपाय अवश्य करें. मान्यता है कि यदि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा में शमी पत्र चढ़ाकर महामृत्युंजय मंत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ जप किया जाए तो व्यक्ति को शनि दोष का दुष्प्रभाव नहीं होता है. महाशिवरात्रि पर शनि संबंधी दोष को दूर करने के लिए विशेष रूप से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें. यदि आप किसी कारण से भगवान शिव का रुद्राभिषेक न करा पाएं तो आप महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा में शिव सहस्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप जरूर करें.
शिव पूजा से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति
सनातन परंपरा में सर्प को भगवान शिव के गले का हार और महादेव को काल का भी काल माना गया है. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष आपके तमाम कष्टों का कारण बन रहा है और उसके कारण आपके जीवन से जुड़ी प्रगति रुकी हुई है तो आपको इस महाशिवरात्रि पर इससे बचने के लिए भगवान शिव की पूजा का सरल उपाय जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति महाशिवरात्रि पर यदि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर या फिर नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग या फिर प्रयागराज स्थित तक्षकेश्वर महादेव मंदिर में विधि-विधान से पूजा और रुद्राभिषेक करवाता है तो उसे कुंडली से जुड़े इस दोष से मुक्ति मिल जाती है. कालसर्प दोष से बचने के लिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। माघ मास की पूर्णिमा साल की दूसरी पूर्णिमा होती है। हर साल फरवरी माह में ही माघ माह की पूर्णिमा पड़ती है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आरती करनी चाहिए। आरती करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती-
भगवान विष्णु की आरती-
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
माता लक्ष्मी की आरती-----
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2 -
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) पर्व का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। इस बार यह पावन पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार को पड़ रही है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ने वाले इस त्योहार मे महादेव की साधना-आराधना करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
ऐसे में इस पावन रात्रि पर महादेव की पूजा करने से भक्त को कई गुना अधिक लाभ होता है और उस पर हमेशा भोले भंडारी की कृपा बनी रहती है। महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा के लिए किए जाने वाले जप-तप, पूजा-पाठ आदि करने के लिए कई जरूरी नियम बताए गये हैं।
आइए महाशिवरात्रि पर महादेव संग माता पार्वती की पूजा से जुड़े सभी जरूरी नियम जानते हैं----
महाशिवरात्रि की पूजा करते समय शिवलिंग पर दूध, दही, शहद से अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए कोशिश करें कि पूजा के वक्त आपके पास ये चीजें पहले से उपलब्ध हों. इसी प्रकार शिव पूजा के दौरान शिवलिंग के पास घी का दीपक जलाकर रखना भी शुभ माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा के वक्त अक्सर लोग तांबे के लोटे का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल अर्पित करना तो बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन उसी तांबे के लोटे से दूध अर्पित करना दोष माना गया है. ऐसे में शिव पूजा के दौरान इस गलती को करने से बचें।
महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान जो भी भोग आप शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए, बल्कि उसके अलावा जो भी भोग अलग रखा हो, उसे आप न सिर्फ ग्रहण कर सकते हैं बल्कि लोगों को बांट भी सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर पूजा करते समय दिशा भी ध्यान रखें. भगवान शिव की पूजा करते समय कोशिश करें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर की तरफ हो. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सिले हुए वस्त्र पहन कर पूजा न करें।
शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाले बेलपत्र और शमी पत्र के वज्र हिस्से को अलग कर देना चाहिए. गौरतलब है कि बेलपत्र की डंठल की ओर जो मोटा भाग होता है, उसे वज्र कहा जाता है।
महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान तुलसी का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें की शंख से शिवलिंग का जलाभिषेक न करें. माना जाता है कि इससे शुभ फल मिलने के बजाए दोष लगता है।
महाशिवरात्रि पर रखा जाने वाला व्रत साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर मस्तक पर लाल चंदन का त्रिपुण्ड और बाहों पर भस्म लगाना भी शुभ प्रदान करता है। -
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी की कृपा पाने के लिए हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने की धार्मिक मान्यता है. हनुमान जी कलयुग के देवता हैं और ये आज भी इस पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। हनुमान जल्द प्रसन्न करने वाले देवता हैं।
हनुमान जी की उपासना करने पर भक्त के सभी दुख, परेशानियां, भय और बीमारियां फौरन ही दूर हो जाते हैं. हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए और भय से मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से अगर हनुमान चालीसा पाठ के साथ बजरंग बाण का पाठ किया जाय तो यह बहुत लाभकारी होता है।
आइए जानते हैं बजरंग बाण का पाठ किस तरह से करना चाहिए-
-बजरंग बाण का पाठ करने से सबसे पहले भगवान गणेश के नाम और मंत्रों का मन में उच्चारण करें फिर इसके बाद प्रभु राम और माता सीता का ध्यान करें।
– प्रभु राम का जाप करने के बाद हनुमान जी का स्मरण करते हुए अपनी मनोकामनों को पूरा करने की बात करते हुए बजरंग बाण का पाठ करने का संकल्प लें।
– बजरंग बाण का पाठ करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
– बजरंग बाण का पाठ सूर्योदय के समय करना करना ज्यादा लाभदायक होता है।
– बजरंग बाण का पाठ करने के लिए कुश से बने आसन पर बैठकर करना चाहिए।
– बजरंग बाण के पाठ के साथ हनुमान जी को धूप, दीप, फूल और सिंदूर लगाकर पूजा-अर्चना करें।
– बजरंग बाण के पाठ में शब्दों का उच्चारण सही ढ़ग से करना चाहिए।
– हनुमान जी भोग में तुलसी दल, लडूडू, पान के पत्ते और मौसमी फल जरूर चढ़ाएं।
बजरंग बाण का पाठ करने से इन परेशानियों से मिलती है मुक्ति
– बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ करने पर विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
– कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों के दोष को दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना लाभदायी होता है. ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए ज्योतिषी बजरंग बाण के पाठ करने की सलाह देते हैं।
– अगर किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो तो इससे निजात पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना शुभ माना जाता है।
– करियर में सफलता पाने के लिए और कार्यक्षेत्र में किसी समस्या का सामना करने पर इसे दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
– घर में किसी प्रकार का वास्तुदोष होने पर बजरंग बाण का पाठ करना अचूक ऊपाय है. जिन घरों में बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ होता है वहां पर नकारात्मक ऊर्जाएं नहीं रहती है।
– कुंडली में मांगलिक दोष और शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना बहुत ही कारगर उपाय होता है।
– जीवन में अगर लगातार कोई न कोई परेशानी बनी रहती है तो नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना फलदायी माना जाता है।



























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