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रायपुर। मार्च महीने में मौसम में बदलाव आता है। इससे लोगों को एलर्जी और सर्दी-जुकाम की समस्या होने लगती है। मार्च का महीने में सर्दी भाग रही होती है और गर्मी की शुरुआत होने लगती है। तापमान में भी अंतर नजर आने लगता है। ऐसे में शरीर को विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन से बचाना जरूरी हो जाता है। दरअसल शरीर पर मौसम का प्रभाव सबसे पहले पड़ता है। इस समय अधिकतर लोग बुखार, एलर्जी, सर्दी-जुकाम और खांसी से पीडि़त हो जाते हैं। ऐसे में हेल्दी खाने पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। आपकी डाइट ही आपकी सुरक्षा कर सकता है। जानकारों के अनुसार कुछ चीजों के सेवन से सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर से बचा जा सकता है।
विटामिन सी का सेवन करें
बदलते मौसम में विटामिन सी का सेवन करना बहुत जरूरी होता है. विटामिन सी एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया से लडऩे की क्षमता को बढ़ाता है. विटामिन सी भरपूर मात्रा में खाने से सर्दी-जुकाम की समस्या कम होती है. विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे संतरे, बेल, मिर्च, अंगूर, कीवी, अमरूद, और स्ट्रॉबेरी को अपने डाइट में जरूर शामिल करें।
मसाले का करें उपयोग
इस मौसम में हल्दी, अदरक, लहसुन, अजवायन, दालचीनी, लौंग, जीरा, तुलसी और पुदीना का सेवन जरूर करना चाहिए. ये मसाले कई तरह की बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं। ये मसाले एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरे होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करते हैं. इस मौसम में चाय, सूप और सलाद को भी अपनी डाइट में शामिल जरूर करें।
खूब नट्स खाएं
नट्स सबसे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक हैं. ज्यादातर लोग वजन घटाने के लिए इन्हें अपनी डाइट में शामिल करते हैं. बादाम, अखरोट और पिस्ता जैसे नट्स को मौसम के बदलाव के दौरान जरूर खाना चाहिए. ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. ये नट्स विटामिन ई से भरपूर होते हैं, जो विटामिन सी की तरह ही एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह इंफेक्शन को दूर रखने के काम आते हैं।
हरी सब्जियों को डाइट में करें शामिल
इस समय पालक, सरसों के पत्ते, मेथी के पत्ते और बथुआ को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें. पत्तेदार हरी सब्जियां लोगों को बीमारियों से दूर रखती हैं. ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाती हैं. इन सब्जियों में विटामिन, खनिज और फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. इस मौसम में आप ग्रीन स्मूदी, सूप, स्टू या सलाद का विकल्प चुन सकते हैं।
ग्रीन टी पिएं
ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनोल्स से भरपूर होती है जो मौसमी परिवर्तनों से जूझने के लिए शरीर को मजबूत बनाती है. ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन (एक प्रकार का पॉलीफेनोल) आम फ्लू वायरस के खिलाफ बेहद प्रभावी होता है।
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होली के मौके पर हम तरह-तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। कई बार इनकी मात्रा इतनी अधिक होती है कि हमारे शरीर पर उसका गलत असर होने की आशंका रहती है। यह त्योहार सिर्फ रंगों की वजह से ही नहीं, बल्कि अपने मीठे और नमकीन पकवानों की वजह से भी सबका मनपसंद है। लेकिन इन पकवानों का मजा लेने के चक्कर में हम कई बार सेहत का ध्यान रखना भूल जाते हैं। होली के मौके पर कई जगह ठंडाई पी जाती है और भांग खाया जाता है। मौज-मस्ती के इस चक्कर में शरीर को कितना नुकसान झेलना पड़ता है, इससे आम लोग अनभिज्ञ रहते हैं। बहरहाल, खाने-पीने का बेशक आनंद उठाएं, लेकिन होली के बाद शरीर को डिटॉक्स करने का प्रयास भी करें।
होने वाले नुकसान
होली के बाद आमतौर पर थकान, शरीर में दर्द, बेचैनी, हैंग ओवर, स्किन एलर्जी आदि की समस्या आती है। इन सबसे छुटकारा न पाया जाए, तो नुकसान ज्यादा हो सकता है। इसका उपाय है कि शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन किया जाए।
यह है डिटॉक्सिफिकेशन
डिटॉक्सिफिकेशन यानी शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकालने की प्रक्रिया। बाजार में आपको बहुत सारी डिटॉक्स डाइट मिल जाएंगी, जो विटामिन, मिनरल्स, डाइयुरेटिक्स, ड्यूरेक्टिव और लेक्जेटिव से भरपूर होती हैं।
व्यंजन करते हैं नुकसान
शरीर में गंदगी सर्वप्रथम तीन जगहों पर जमती है। पहली आहार नाल में, दूसरा पेट में और तीसरा आंतों में। अगर इन तीनों जगहों पर गंदगी ज्यादा समय तक बनी रहे, तो यह फैलेगी, साथ ही गुर्दों, फेफड़ों और हृदय के आसपास भी जमने लगेगी। अंत में खून को गंदा कर देगी और तरह-तरह के चर्म रोगों को जन्म देगी। इस गंदगी को साफ करना जरूरी है। हम जो भी आहार लेते हैं, उसी से यह गंदगी पैदा होती हैं। इसलिए हम क्या खा रहे हैं, उसके प्रति सावधानी जरूरी है।
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उच्च रक्तचाप की बीमारी बेहद घातक और जानलेवा है। खानपान में ज्यादा मात्रा में सोडियम के सेवन की वजह से आपको उच्च रक्तचाप की समस्या होती है जो कि हाइपरटेंशन में तब्दील हो जाती है। हाइपरटेंशन की वजह से आपको हार्ट अटैक आ सकता है और या फिर आपकी किडनी भी फेल हो सकती है। लेकिन अगर आप अपनी जीवनशैली को सुधारते हैं और डाइट में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा लेते हैं तो आप अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकते हैं। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आपको अपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। आपको पालक और पत्तेदार सब्जी खानी चाहिए। फल में आपको ज्यादा केला, तरबूज, खुबानी और जामुन खाना चाहिए। आपको कम चिकनाई वाली दही और एवोकैडा की सब्जी खानी चाहिए। आप ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए अपनी डाइट में मछली को भी शामिल कर सकते हैं क्योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो कि सेहत के लिए लाभकारी होता है।
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रायपुर। प्रदेश में भी अब ठंड ने दस्तक दे दी है। देर रात और अलसुबह अब ठंड का अहसास ज्यादा होने लगा है। लोग अब अपनी दिनचर्या बदल रहे हैं और सुबह सैर पर निकल रहे हैं, तो वहीं घरों में भी खानपान में बदलाव देखने को मिल रहा है। खाने में अब अदरक जैसे सर्दी से बचाने वाली चीजों को शामिल किया जा रहा है। ऐसी चीजें न केवल सर्दी से बचाती है, बल्कि इस मौसम में होने वाली बीमारियों से भी दूर रखती है।
आइये जानें इस मौसम में क्या- क्या खाएं
1. भूख बढ़ाए अदरक- अदरक सदाबहार है। अदरक के बिना सर्दियों में चाय की कल्पना नहीं की जा सकती । दुनिया के सबसे ज्यादा उपजाए जाने वाले मसाले के रूप में अदरक दुनिया का सबसे बहुपयोगी औषधीय गुण वाला पदार्थ है। अदरक अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लामेटरी) और दर्द निवारक तत्वों के कारण असरकारी होती है। इसके गुण नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं के समान होते हैं। अदरक पाचक अग्नि को भड़काने वाला है, जिससे भूख बढ़ती है। इसके पोषक तत्व शरीर के सभी हिस्सों तक आसानी से पहुंच पाते हैं। इसके अलावा इसे जोड़ों के दर्द, मतली और गति के कारण होने वाली परेशानी के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है।
2. रक्त संचार को संतुवित करे तिल- आयुर्वेद में तिल को तीव्र असरकारक औषधि के रूप में जाना जाता है। काले और सफेद तिल के अलावा लाल तिल भी होती है। सभी के अलग-अलग गुणधर्म हैं। लेकिन काला तिल अधिक लाभकारी है। तिल में चार रस होते हैं। इसमें गर्म, कसैला, मीठा और चरपरा स्वाद भी पाया जाता है। तिल खाने में स्वादिष्ट और कफनाशक माना जाता है। यह बालों के लिए लाभप्रद माना गया है। आयुर्वेद में भी तिल की प्रकृति बहुत गर्म होती है। यह शरीर को गर्माहट देने के साथ ही ब्लड फ्लो को मेंटेन करने का काम करता है। इसलिए सदियों से सर्दियों के मौसम में तिल खाने का चलन है।
3. खून को पतला करे अनार- एक अनार सौ बीमार की कहावत तो हर किसी ने सुनी होगी। अनार खून बढ़ाने, खून को पतला करने और शरीर को सर्दियों में होने वाली रक्त संबंधी समस्याओं से बचाने का काम करता है। सर्दियों में रसीले फलों का सेवन केवल धूप में बैठकर या दोपहर के समय ही करना चाहिए।
4. बॉडी को गर्म बनाए रखे नट्स और ड्राईफ्रूट्स- सर्दियों के मौसम में बॉडी को गर्म बनाए रखने में नट्स और ड्राईफ्रूट्स काफी मदद करते हैं। शकरकंद, मखाना, बादाम, मुनक्का, अखरोट और मूंगफली का सेवन ठंड के मौसम में जरूर करना चाहिए। इनसे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी विटामिन्स और न्यूट्रिऐंट्स मिलते हैं।
6. बाजरा - बाजरा प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन्स और ऐंटिऑक्सीडेंट्स से भरपूर अनाज है। सर्दियों में बाजरे का इस्तेमाल दलिया, रोटी या फिर टिक्की के रूप में किया जाता है। पोषण से भरपूर यह अनाज सर्दी से भी बचाता है और मौसमी बीमारियों से प्रोटेक्शन भी देता है।
7. गुड़ का सेवन जरूर करें- सर्दियों में गुड़ का सेवन जरूर करना चाहिए। गुड़ से पुए, पूड़ी, चाय , लड्डू जैसी चीजें बनाई जाती है। यह हमें ऊर्जा देता है। रात में खाने के साथ एक टुकड़ा गुड़ शरीर में पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम करता है। शरीर में गर्माहट देने के साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है।
8. शहद- शहद को अपने आप में पूर्ण भोजन की संज्ञा दी जाती है। शहद ना गर्म माना जाता है और ना ही ठंडा। क्योंकि मौसम के हिसाब से यह गर्मियों में आपके दूध या तरल पेय के साथ लेने पर शरीर को ठंडा रखता है और सर्दियों में शरीर को गर्म रखने का काम करता है।
9. हल्दीवाला दूध- दूध जहां प्रोटीन का बेहतरीन श्रोत तो है, तो हल्दी ऐंटिऑक्सीडेंट से भरपूर होती है । इसका मिश्रण मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है। इसलिए सर्दियों में कफ, कोल्ड, फीवर , गले और सीने में दर्द जैसी परेशानियों से बचने के लिए रात में सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
10. मेथी- सर्दियों में हरी मेथी खूब बिकने के लिए आती है। मेथी का इस्तेमाल सब्जी, रोटी या पराठा, कचौरी, पकौड़े में किया जाता है। मेथी की तासीर में बहुत गर्म होती है। यह शरीर को गर्म बनाए रखती है और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मददगार है। साथ ही बालों के लिए भी यह लाभदायक होती है।
11. आंवला- आंवला ऐंटिऐक्सिडेंट्स गुणों से भरपूर होता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और ब्लड को साफ करने का काम करता है। आंवले को सब्जी, मुरब्बा, कैंडी किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अदरक को सब्जी, चाय और ब्लैक टी या काढ़ा बनाकर भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा खाने के साथ दो उबले हुए आंवले का सेवन शरीर में चमत्कारिक प्रभाव डालते हैं। आंवले का रस पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। -
नींबू हर रसोईघर की शान है। विटामिन-सी से भरपूर नींबू स्फूर्तिदायक और रोग निवारक फल है।
इसमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसका प्राकृतिक विटामिन-सी सिंथेटिक विटामिन-सी की गोलियों से बहुत अधिक प्रभावशाली होता है। इसमें एक बायोफ्लेविनॉयड (जिसे विटामिन-पी भी कहते हैं) होता है, जो इसमें विद्यमान विटामिन-सी की गुणवत्ता को बढ़ाता है। नींबू में विटामिन-सी के अलावा एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व साइट्रिक एसिड (7.2 प्रतिशत) होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन-ए, नायसिन और थायमिन भी होते हैं।
आयुर्वेद में नींबू को अनमोल फल माना है और प्राचीन ग्रंथों में इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। यह जबर्दस्त एंटीऑक्सीडेंट है और इम्युनिटी बढ़ाता है। नींबू खट्टा, गर्म, हल्का और तीखा होता है। इसका मिजाज गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म अर्थात वातानुकूलित है। नींबू प्राकृतिक प्रिजर्वेटिव है। विटामिन-सी के सर्वोत्तम स्रोत नींबू का उपयोग भोजन के साथ सलाद, शर्बत, आचार एवं सौंदर्य प्रसाधन के अलावा दवाओं में भी होता है। नींबू स्वाद में अम्लीय लगता है, लेकिन शरीर पर इसका प्रभाव क्षारीय है। इसलिए यह शरीर में अम्लता को कम करता है।
दांतों का वैद्य है नींबू - नींबू का रस लगाने से दांत के दर्द में आराम मिलता है। मसूड़ों पर नींबू का रस मलने से मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है। नींबू मुंह से आने वाली दुर्गंध में भी फायदा करता है। नींबू के सूखे छिलकों को जला कर पीस लें और नमक मिला कर दन्त मंजन बना लें। यह मंजन दांतों को चमका देता है और कुछ ही दिनों में दांतों पर जमा गंदगी साफ हो जाती है। नींबू का रस हमेशा पानी या किसी अन्य ज्यूस में मिला कर लेना चाहिये। सांद्र नीबू के रस में साइट्रिक एसिड होता है जो दांतों के ऐनामेल का नुकसान पहुंचा सकता है।
पाचन विकार और कब्जी भगाये नींबू- यदि प्रात:काल गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिला कर लिया जाये, तो पूरे शरीर का शोधन हो जाता है, पाचन क्रिया चुस्त हो जाती है और कब्ज भी ठीक हो जाती है। नींबू उदर विकार में तुरन्त फायदा पहुंचाता है। यह रक्त-शोधक है और शरीर के टॉक्सिन्स का उत्सर्जन करता है। आपको बहुत देर से हिचकी आ रही है, तो नींबू के रस में 2 छोटे चम्मच काला नमक ,शहद का 1 छोटा चम्मच मिलाकर पीयें। यह पेट के कीड़े मार देता है। यह वमन का उपचार है और हिपेटाइटिस और अन्य रोगों में उपयोगी है। भोजन के बाद नींबू पानी एक उत्कृष्ट पेय माना गया है।
जीवाणुओं का दुष्मन है नीबू - नींबू का रस सर्दी, जुकाम और बुखार में फायदा करता है। डायबिटीज के रोगी को नींबू पानी पिलाने से उसकी प्यास शांत होती है। यह शक्तिशाली जीवाणुरोधी है। यह वैज्ञानिक शोध में साबित हो चुका है कि यह मलेरिया, हैजा, डिफ्थीरिया, टायफॉयड और अन्य रोगों के जीवाणुओं को मारने की क्षमता रखता है।
हृदय का रखवाला है नींबू - नींबू में सेब या अंगूर से भी ज्यादा पोटेशियम होता है, जो हृदय के लिए बहुत हितकारी है। इसका रस तम और मन का शांत रखता है, इसलिए उच्च रक्तचाप, चक्कर, उबकाई में बहुत हितकारी है। यह हृदय और नाडिय़ों का शांत करता है और हृदय की तेज धड़कन में राहत देता है। यह तनाव और अवसाद में लाभदायक है। यह विटामिन-पी रक्त-वाहिकाओं का कायाकल्प करता है और रक्तस्राव से बचाता है, इसलिए स्ट्रोक से बचा कर रखता है।
बोन मेकर है नींबू - नींबू दांत और हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। विटामिन-सी कैल्शियम के चयापचय को सम्बल देता है। नींबू गठिया और गाउट के उपचार में प्राचीन काल से प्रयोग में लिया जाता है। यह मूत्रवर्धक है, इसलिए यह वृक्क और मूत्राशय के विकार में हितकारी माना गया है।
इम्युनिटी बूस्टर है नींबू- नींबू के जूस से शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है लेकिन इससे मोटापा नहीं बढ़ता है। पानी में नींबू ू और शहद मिला कर रोज पीने से आप बिना कमजोरी के वजन घटा सकते हैं।
केश श्रृंगार का पार्लर है नींबू - नींबू का रस बालों की तकलीफ के लिए बहुत उपयोगी है। बालों में नींबू का रस लगाने से डेन्ड्रफ, बाल झडऩा आदि रोग मिट जाते हैं और बाल चमक उठते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधिका है नींबू - नींबू एक प्राकृतिक संक्रमण रोधी होने के कारण त्वचा के अनेक विकारों में उपयोगी है। नींबू का रस मुंहासे, दाद, खाज, एग्जीमा आदि में लाभदायक है। नींबू त्वचा का जीर्णोद्धार करता है और त्वचा की झाइयां, झुर्रिया और ब्लेक हेड्स मिटाता है। पानी में नींबू और शहद मिला कर पीने से त्वचा चमक उठती है। चेहरे पर कच्चे दूध में नींबू का रस मिला कर लगाने से चेहरे के सारे दाग मिट जाते हैं। कोहनी पर नींबू के छिलके से सफ़ाई करने से वो काले नहीं होते। गुनगुने पानी मे नींबू का रस डालकर पर रगडऩे से एडियां साफ़ हो जाती हैं। नींबू त्वचा की छोटी गांठो और कॉर्न आदि को ठीक कर देता है। अगर आपकी त्वचा तैलीय है, तो नींबू के रस मे बराबर मात्रा मे पानी मिलाकर चेहरा साफ़ करें। नींबू का रस मलने से जलने का निशान हल्के पड़ जाते हैं। नींबू त्वचा को ठंडक देता है और त्वचा की जलन में राहत पहुंचाता है।
श्वसन विकार का उपचार है नींबू - नींबू अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों में लाभदायक है। नींबू पर्वतारोहियों के लिए वरदान है। ऊंचे पर्वतों पर ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है, जिसमें नींबू बहुत राहत देता है।
कैंसर का विनाशक है नींबू - नींबू कैंसर कोशिकाओं का सफाया करने में भी चमत्कारी है। नींबू सभी प्रकार के कैंसर के बचाव और उपचार में बहुत कारगर है। यह कीमोथेरेपी से अधिक असरदार साबित हुई है। इसका स्वाद उमदा है और शरीर पर कोई कुप्रभाव भी नहीं होता है। इसका सेवन कीमो और रेडियो के कुप्रभावो को भी कम करता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने नींबू में कुछ ऐसे तत्वों का पता लगाया है जो आंत, स्तन, प्रोस्टेट, फेफड़ा, अग्न्याशय आदि समेत 12 प्रकार के कैंसर में बहुत असरदार है। ये तत्व प्रचलित कैंसररोधी दवा एड्रियामाइसिन से 10 हजार गुना असरदार है। विशेष बात यह है कि ये तत्व सिर्फ कैंसर कोशिका को ही मारते हैं, स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई बुरा असर नहीं डालती हैं। -
रायपुर। ऑर्थराइटिस यानी गठिया एक ऐसा रोग है, जो जोड़ों में दर्द और जकडऩे पैदा करता है। इससे लोगों को चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे पीडि़त हैं, इनमें बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। कुछ फूड्स ऐसे हैं जो जोड़ों पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं। विशेषज्ञ इसे खाने की सलाह देते हैं।
ऑलिव ऑइल-रोजाना 2 से 3 चम्मच जैतून का तेल खाने में लेने से गठिया का दर्द कम हो सकता है। बेहतर होगा कम से कम रिफाइंड हो तो ज्यादा फायदा होगा, इसके लिए एक्स्ट्रा वरजिन तेल चुनें। इसे खाना बनाने और सैलड ड्रेसिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सिट्रस फ्रूट्स- चकोतरा या मौसमी, संतरे, नीबूं जैसे सिट्रस फ्रूट जिनमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होती है उन्हें खाना शुरू कर दें। कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा सब्जियां और फल खाएं।
दही- फर्मंटेड फूड और यॉगर्ट- दही आपकी आहारनाल के लिए अच्छे रहेंगे और सूजन में भी फायदा पहुंचाएंगे। इनसे ऑर्थराइटिस के लक्षण कम होते हैं।
ग्रीन टी- एक कप ग्रीन टी पॉलिफिनॉल्स, पोषण से भरपूर होती हैं। गठिया के मरीजों के लिए यह काफी अच्छी होती है। इसमें भरपूर मात्रा में ऐंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं।
इसके अलावा कुछ और उपाय से इस बीमारी से राहत पाई जा सकती है।
एक्सरसाइज- अर्थराइटिस के उपचार का सबसे पहला, आसान और प्रभावी तरीका है व्यायाम। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से जोड़ों के दर्द और अकडऩ से राहत मिलती है। साथ ही इससे मांसपेशियां मजबूत और लचीली भी होती हैं। एक्सरसाइज करते समय आप मोशन एक्सरसाइज, स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज व एंड्यूरेंस एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें। जहां मोशन एक्सरसाइज से जोड़ों का मूवमेंट बेहतर होता है, वहीं स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता बढ़ती है और जब आपके मसल्स मजबूत होते हैं तो उससे आपके जोड़ों को भी मजबूती मिलती है। इसके अतिरिक्त एंड्यूरेंस एक्सरसाइज कार्डियोवस्कुलर फिटनेस को बेहतर बनाती है। हालांकि शुरूआत में एक्सरसाइज डॉक्टर की सलाह और एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।
वजन कम- अर्थराइटिस के दर्द के उपचार के लिए वजन पर नजर रखना भी बेहद जरूरी है। वजन बढऩे से शरीर को जोड़ों में तनाव बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति का जोखिम और दर्द काफी बढ़ जाता है। इसलिए वजन कम करके स्थिति को काफी सुधारा जा सकता है।
फिजियोथेरेपी- फिजियोथेरेपी भी अर्थराइटिस के दर्द के उपचार में एक अहम भूमिका निभाती है। फिजियोथेरेपिस्ट मुख्य रूप से मसल स्ट्रेंथ व ज्वाइंट की मोबिलिटी की जांच करके उसके अनुसार एक्सरसाइज व अन्य उपचार करते हैं। इससे न सिर्फ व्यक्ति को दर्द से राहत मिलती है, बल्कि जोड़ों की कार्यक्षमता भी बेहतर होती है।
एक्यूपंक्चर -घुटने के पुराने अर्थराइटिस से पीडि़त रोगियों के लिए एक्यूपंक्चर भी एक कारगर थेरेपी है। यह गठिया रोगियों के लिए एक बेहतरीन वैकल्पिक चिकित्सा है। एक्यूपंक्चर का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस चिकित्सा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इस प्रक्रिया में शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद खास बिंदुओं पर बाल के समान पतली पिनों को चुभाया जाता है, हालांकि इस प्रक्रिया में मरीज को जरा भी दर्द नहीं होता। इस पद्धति से व्यक्ति को पहली बार में भी स्वयं में बदलाव महसूस होने लगता है।
सिकाई- अर्थराइटिस के उपचार के लिए सिकाई करना भी एक उपचार माना गया है। वहीं कुछ मामलों में दवाई का सेवन भी किया जाता है, लेकिन यह तभी करना चाहिए, जब दर्द काफी अधिक हो और दवाई भी किसी विशेषज्ञ के परामर्श के बाद ही लेनी चाहिए।
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