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- नयी दिल्ली ।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने विचारधारा और मूल्यों पर आधारित राजनीति के प्रति अपनी ‘अटूट प्रतिबद्धता' के माध्यम से विकास एवं सुशासन के एक नए युग की नींव रखी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके इस दृष्टिकोण को साकार कर रहे हैं। यहां भाजपा मुख्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की 101वीं जयंती पर उनके व्यक्तित्व और योगदान को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद नवीन ने लोगों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रधानमंत्री मोदी के भारत को एक विकसित देश बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए ‘मिलकर काम करने' का आग्रह किया। नवीन ने कहा, ‘‘अटल जी को यह हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।''इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद अरुण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी संजय मयूख और पार्टी के कई अन्य नेता मौजूद रहे। वाजपेयी के जीवन और नीतियों पर प्रकाश डालते हुए नवीन ने कहा, ‘‘विचारधारा और मूल्यों पर आधारित राजनीति के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के माध्यम से अटल जी ने देश में विकास और सुशासन के एक नए युग की नींव रखी।'' उन्होंने कहा कि वाजपेयी उस चेतना के प्रतीक थे, जिसने लोकतंत्र को ‘शोर मचाने की नहीं, बल्कि संवाद की संस्कृति' सिखाई। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निर्धारित विकसित भारत का लक्ष्य ‘हम सभी के मिलकर काम करने' से ही प्राप्त किया जा सकता है, जो अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कस्तूरबा नगर में एक अन्य कार्यक्रम के दौरान नवीन ने वाजपेयी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि दिवंगत दिग्गज नेता के सिद्धांतों की बदौलत ही वर्तमान में भाजपा ऊंचाइयों तक पहुंची है। ‘अटल स्मृति सम्मेलन' में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नवीन ने कहा कि वाजपेयी में दिखाई देने वाले आत्मविश्वास के स्तर की बराबरी कुछ ही नेता कर सकते हैं। भाजपा की दिल्ली इकाई ने वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर राजधानी भर में बृहस्पतिवार को विधानसभा स्तर पर इसी तरह के ‘अटल स्मृति सम्मेलन' आयोजित किए। कस्तूरबा नगर में नवीन के साथ भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, नयी दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, स्थानीय विधायक नीरज बसोया और पार्टी के अन्य नेता शामिल हुए।
- नयी दिल्ली । रेल मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को आधिकारिक तौर पर 215 किलोमीटर से अधिक की यात्रा के लिए साधारण श्रेणी के टिकट की कीमत में एक पैसा प्रति किलोमीटर तथा मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की गैर वातानुकूलित और सभी ट्रेनों की वातानुकूलित श्रेणियों के टिकट की कीमत में दो पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि की अधिसूचना जारी की। मंत्रालय ने 21 दिसंबर को घोषणा की थी कि 26 दिसंबर से यात्री किराए में वृद्धि की जायेगी।यह एक साल में दूसरी बार है जब मंत्रालय ने यात्री रेल किरायों में संशोधन किया है। इससे पहले जुलाई में किराया में वृद्धि की गयी थी। अपने फैसले को सही ठहराते हुए मंत्रालय ने कहा कि किरायों को युक्तिसंगत बनाने का उद्देश्य यात्रियों की वहनीयता और परिचालन की स्थिरता के बीच संतुलन स्थापित करना है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘संशोधित किराया संरचना के तहत, उपनगरीय सेवाओं और सीजन टिकटों के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसमें उपनगरीय और गैर-उपनगरीय दोनों मार्ग शामिल हैं। साधारण गैर एसी (गैर-उपनगरीय) सेवाओं के लिए, द्वितीय श्रेणी सामान्य, शयनयान श्रेणी सामान्य और प्रथम श्रेणी सामान्य में किराए को श्रेणीबद्ध तरीके से तर्कसंगत बनाया गया है।'' उसने कहा है,‘‘द्वितीय श्रेणी सामान्य में 215 किलोमीटर तक की यात्राओं के लिए किराए में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जिससे कम दूरी और रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 216 किलोमीटर से 750 किलोमीटर तक की दूरी के लिए किराए में पांच रुपये की वृद्धि होगी। इससे अधिक दूरी की यात्राओं के लिए, वृद्धि चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी - 751 किलोमीटर से 1250 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 10 रुपये, 1251 किलोमीटर से 1750 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 15 रुपये और 1751 किलोमीटर से 2250 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 20 रुपये।'' आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि तेजस राजधानी, राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, वंदे भारत, हमसफर, अमृत भारत, तेजस, महामना, गतिमान, अंत्योदय, गरीब रथ, जन शताब्दी, युवा एक्सप्रेस, नमो भारत रैपिड रेल और सामान्य गैर-उपनगरीय सेवाओं (एसी मेमू/डेमू को छोड़कर, जहां लागू हो) सहित प्रमुख ट्रेन सेवाओं के मौजूदा मूल किराए को अनुमोदित वर्ग-वार मूल किराए के अनुरूप संशोधित किया गया है। इसमें कहा गया है, "संशोधित किराया केवल 26 दिसंबर, 2025 को या उसके बाद बुक किए गए टिकटों पर लागू होगा। इस तिथि से पहले बुक किए गए टिकटों पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा, भले ही यात्रा प्रभावी तिथि के बाद की जाए।" .
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नई दिल्ली।‘ शुक्रवार, 26 दिसंबर को देशभर में राष्ट्रीय स्तर पर वीर बाल दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाले बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान करेंगी।
केंद्र सरकार के अनुसार, ये पुरस्कार वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, सामाजिक सेवा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा खेल जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को दिए जाते हैं। वीर बाल दिवस के इस राष्ट्रीय आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री इस अवसर पर बच्चों और युवाओं को संबोधित करते हुए राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को रेखांकित करेंगे। कार्यक्रम के माध्यम से भारत के युवा वीरों के साहस, बलिदान और अनुकरणीय मूल्यों को स्मरण किया जाएगा।प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है। वर्ष 2025 के लिए 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 20 बच्चों का चयन इस पुरस्कार हेतु किया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। समारोह में वीरता, दृढ़ता और निस्वार्थ सेवा से जुड़ी प्रेरक कहानियां प्रस्तुत की जाएंगी, जिससे बच्चों और युवाओं को प्रेरणा मिल सके। इसके साथ ही विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप सशक्त और जिम्मेदार नागरिकों के निर्माण की प्रतिबद्धता को भी दोहराया जाएगा।इस कार्यक्रम में देशभर से स्कूली बच्चे, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्तकर्ता और कई गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे। भारत की समृद्ध सभ्यतागत विरासत और वीरता की भावना को दर्शाने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां समारोह का प्रमुख आकर्षण होंगी।गौरतलब है कि स्कूली छात्रों और युवाओं को मार्गदर्शन व प्रेरणा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई विशेष योजनाएं संचालित की जा रही हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित पीएम-युवा 3.0 योजना के परिणाम भी घोषित कर दिए गए हैं। यह योजना युवा लेखकों के मार्गदर्शन और लेखन को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल है।राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के अनुसार, इस संस्करण में 30 वर्ष से कम आयु के 43 युवा लेखकों के पुस्तक प्रस्तावों का चयन अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से किया गया है। ये प्रस्ताव भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में प्राप्त हुए हैं। इनमें डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, असमिया, बांग्ला, बोडो, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मैथिली, ओड़िया, पंजाबी, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, संस्कृत और उर्दू शामिल हैं।राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के मुताबिक, चयनित 43 लेखकों में 19 महिलाएं और 24 पुरुष हैं। चयनित पुस्तक प्रस्तावों को छह माह के भीतर प्रतिष्ठित विद्वानों के मार्गदर्शन में पुस्तकों का रूप दिया जाएगा। प्रत्येक चयनित लेखक को 50,000 रुपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति के साथ प्रकाशित पुस्तक पर आजीवन 10% रॉयल्टी भी प्रदान की जाएगी। - नई दिल्ली। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और महान समाज सुधारक भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “मातृभूमि की सेवा में आजीवन समर्पित रहे भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। उन्होंने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए समाज सुधार के साथ राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश के शिक्षा जगत में उनका अतुलनीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।”केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, “बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और महान समाज सुधारक भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को उनकी जयंती पर नमन। शिक्षा को समाज सुधार का मूल मंत्र मानने वाले मालवीय ने बीएचयू की स्थापना के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा के लिए युवाओं को प्रेरित किया। प्रेस को राष्ट्रनिर्माण का सशक्त माध्यम बनाने में भी उनका अहम योगदान रहा। अस्पृश्यता उन्मूलन के प्रयासों और किसान हितैषी कार्यों के लिए आजीवन संकल्पित महामना का योगदान चिरस्मरणीय है।”भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, ‘भारत रत्न’ महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। शिक्षा के अग्रदूत रहे मालवीय ने जन-जन के अंतर्मन में भारतीयता के विचार को और प्रखर करते हुए युवाओं में चरित्र निर्माण की आधारशिला रखी। स्वभाषा और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए उनका महनीय योगदान सदैव प्रेरणादायी रहेगा।”केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। शिक्षा, राष्ट्रनिर्माण और भारतीय मूल्यों के संरक्षण के लिए उनका जीवन समर्पित रहा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के माध्यम से उन्होंने ज्ञान, संस्कार और आत्मनिर्भर भारत की जो मजबूत नींव रखी, वह आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरणा देती रहेगी।”उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा, “भारतीय भाषाओं के प्रबल पक्षधर, शिक्षा एवं संस्कार के अग्रदूत, ‘भारत रत्न’ महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे गौरवशाली संस्थान की स्थापना कर महामना ने उच्च आदर्शों और विचारों से समाज को परिचित कराया। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माता थे और उनका जीवन भारतीय जनमानस के लिए निरंतर प्रेरणा स्रोत है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें नमन किया। पीएम मोदी ने कहा कि अटलजी ने अपना संपूर्ण जीवन सुशासन और राष्ट्र निर्माण को समर्पित कर दिया और उनका व्यक्तित्व, कृतित्व व नेतृत्व देश के चहुंमुखी विकास के लिए सदैव पथ-प्रदर्शक बना रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “देशवासियों के हृदय में बसे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर सादर नमन। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सुशासन और राष्ट्र निर्माण को समर्पित कर दिया। वे प्रखर वक्ता होने के साथ-साथ ओजस्वी कवि के रूप में भी सदैव स्मरणीय रहेंगे। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व और नेतृत्व देश के चहुंमुखी विकास के लिए पथ-प्रदर्शक बना रहेगा।”नरेंद्र मोदीने अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े अपने पुराने भाषणों का एक वीडियो भी साझा किया। इसमें उन्होंने कहा था, “अटलजी की वाणी सिर्फ भाजपा की आवाज नहीं थी, बल्कि एक समय ऐसा भी था जब अटलजी की वाणी भारत के सामान्य मानवीय आशाओं और आकांक्षाओं की वाणी बन चुकी थी। अटलजी बोल रहे हैं, मतलब देश बोल रहा है। वे अपनी भावनाओं को नहीं, बल्कि देश के जन-जन की भावनाओं को समेटकर उन्हें अभिव्यक्ति देते थे।”पीएम मोदी ने अपने संदेश में आगे कहा, “यह देश अटलजी के योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उनके नेतृत्व में भारत ने परमाणु शक्ति के क्षेत्र में भी देश का सिर ऊंचा किया। पार्टी नेता, संसद सदस्य, मंत्री या प्रधानमंत्री- अटलजी ने प्रत्येक भूमिका में एक आदर्श स्थापित किया।”एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा, “अटलजी की जन्म-जयंती हम सभी के लिए उनके जीवन से प्रेरणा लेने का विशेष अवसर है। उनका आचरण, शालीनता, वैचारिक दृढ़ता और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का संकल्प भारतीय राजनीति के लिए एक आदर्श मानक है। उन्होंने अपने जीवन से सिद्ध किया कि श्रेष्ठता पद से नहीं, आचरण से स्थापित होती है और वही समाज को दिशा देती है।”इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक सुभाषित- ‘यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥’- भी साझा किया, जो अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और व्यक्तित्व के एक महत्वपूर्ण पहलू को रेखांकित करता है। - नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ‘विकसित भारत-जी राम जी’ पर लिखे गए लेख को साझा किया है। पीएमओ ने बताया कि ‘विकसित भारत-जी राम जी’ एक्ट 2025 को आय सहायता और बड़े ग्रामीण विकास के बीच एक सशक्त संबंध के रूप में देखा जा रहा है। लेख में इस एक्ट को केवल योजनाओं या घटनाओं की श्रृंखला के रूप में नहीं, बल्कि इनकम सपोर्ट, संपत्ति निर्माण, कृषि स्थिरता और समग्र ग्रामीण विकास को जोड़ने वाले व्यापक आर्थिक ढांचे के रूप में प्रस्तुत किया गया है।पीएमओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “इस विधेयक को तैयार करने से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ व्यापक परामर्श किया। तकनीकी कार्यशालाओं का आयोजन किया गया और किसानों, ग्रामीण समुदायों, विशेषज्ञों व नीति निर्माताओं के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की गई, ताकि जमीनी जरूरतों और व्यावहारिक चुनौतियों को समझा जा सके।”केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस लेख पर पीएमओ ने कहा कि यह जानकारीपूर्ण लेख ‘विकसित भारत-जी राम जी’ एक्ट 2025 की मूल भावना को उजागर करता है। यह कानून आय सहायता, परिसंपत्ति निर्माण, कृषि की दीर्घकालिक स्थिरता और समुदाय के नेतृत्व वाले ग्रामीण विकास को अलग-अलग पहलुओं के रूप में नहीं, बल्कि आपस में जुड़े तत्वों के रूप में देखता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और किसानों व ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक्ट का उद्देश्य केवल अल्पकालिक सहायता देना नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ विकास की नींव रखना है। इसके तहत रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचा विकास, कृषि संसाधनों का बेहतर उपयोग और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।शिवराज सिंह चौहान ने लेख में कहा कि अक्सर बदलाव मौके पैदा करता है। मनरेगा की आड़ में यूपीए सरकार ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया। ‘विकसित भारत-जी राम जी’ बिल पेश करके कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई गंभीर कमियों को दूर करने की कोशिश की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस द्वारा इस बिल के संबंध में फैलाए जा रहे भ्रम और गलत जानकारी का मकसद केवल अपनी पिछली नाकामियों को छिपाना है।
- नई दिल्ली। भारत में मुंह के कैंसर की बड़ी वजह शराब के साथ धुआं रहित तंबाकू उत्पादों का सेवन है। बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया। स्टडी के अनुसार, भारत के 10 में से छह से ज्यादा लोग स्थानीय स्तर पर बनी शराब के साथ ही गुटखा, खैनी और पान जैसे धुआं रहित तंबाकू उत्पादों का सेवन करने के कारण मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं।महाराष्ट्र में सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी और होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि दिन में 2 ग्राम से कम बीयर पीने से बक्कल म्यूकोसा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जबकि दिन में 9 ग्राम शराब जो लगभग एक मानक ड्रिंक के बराबर है से मुंह के कैंसर का खतरा लगभग 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।जब इसे चबाने वाले तंबाकू के साथ मिलाया जाता है, तो यह देश में ऐसे सभी मामलों में से 62 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हो सकता है। ओपन-एक्सेस जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में विस्तार से बताए गए निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में सभी बक्कल म्यूकोसा कैंसर के 10 में से एक से ज्यादा मामले (लगभग 11.5 प्रतिशत) शराब के कारण होते हैं। मेघालय, असम और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में इसके मरीजों की संख्या ज्यादा है। कहीं-कहीं तो इसकी दर 14 प्रतिशत तक है।ग्रेस सारा जॉर्ज के नेतृत्व वाली रिसर्च टीम ने बताया, “भले ही तंबाकू का इस्तेमाल लंबे समय से किया जाता रहा हो, लेकिन मुंह के कैंसर को बढ़ाने में शराब बड़ा कारक है। दरअसल, इथेनॉल मुंह की अंदरूनी परत में मौजूद फैट को प्रभावित कर सकता है; ये परत कमजोर हो जाती है, और नतीजतन ये तंबाकू उत्पादों में मौजूद अन्य कार्सिनोजेन के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है।”उन्होंने कहा, “स्थानीय रूप से बनी शराब में मेथनॉल और एसीटैल्डिहाइड जैसे टॉक्सिन की मिलावट ज्यादा पाई जाती है, जो इन ड्रिंक्स को ज्यादा खतरनाक बनाती है।” मुंह का कैंसर भारत में दूसरा सबसे आम कैंसर है, जिसमें एक अनुमान के अनुसार हर साल 143,759 नए मामले सामने आते हैं और 79,979 लोगों की मौत होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार इस बीमारी की दर लगातार बढ़ रही है, और हर 100,000 भारतीय पुरुषों में से लगभग 15 इससे जूझ रहे हैं।भारत में मुंह के कैंसर का मुख्य रूप गालों और होठों की मुलायम गुलाबी परत (बक्कल म्यूकोसा) का कैंसर है। पीड़ितों में से आधे से भी कम (43 प्रतिशत) पांच या उससे ज्यादा साल तक जीवित रहते हैं।अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने 2010 और 2021 के बीच पांच अलग-अलग अध्ययन केंद्रों से बक्कल म्यूकोसा कैंसर से पीड़ित 1,803 लोगों और बीमारी से मुक्त 1,903 यादृच्छिक रूप से चुने गए लोगों (कंट्रोल) की तुलना की। अधिकांश प्रतिभागियों की उम्र 35 से 54 वर्ष के बीच थी; लगभग आधे (लगभग 46 प्रतिशत) मामले 25 से 45 साल के लोगों में थे।जो लोग शराब नहीं पीते थे, उनकी तुलना में शराब पीने वालों में खतरा 68 प्रतिशत ज्यादा था। बीयर, व्हिस्की, वोदका, रम और ब्रीजर (फ्लेवर्ड अल्कोहलिक ड्रिंक्स) जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की शराब पीने वालों में इसकी दर 72 प्रतिशत थी, तो अपोंग, बांग्ला, चुल्ली, देसी दारू और महुआ जैसे स्थानीय रूप से बनी शराब पीने वालों में इसकी दर 87 फीसदी थी।टीम ने कहा, “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि मुंह के कैंसर से बचने के लिए शराब पीने की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है। हमारे नतीजे बताते हैं कि शराब और तंबाकू के इस्तेमाल की रोकथाम के लिए पब्लिक हेल्थ एक्शन लेने की जरूरत है; इससे ही बक्कल म्यूकोसा कैंसर पर लगाम लगाई जा सकती है।”
- नई दिल्ली। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि सरकार जल्द ही ‘भारत टैक्सी’ सेवा शुरू करेगी, जिसके तहत ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने और ड्राइवरों की कमाई बढ़ाने के मकसद से ड्राइवरों के साथ प्रॉफिट शेयर किया जाएगा।पंचकूला में सहकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह पहल सहकारिता मंत्रालय के तहत की जा रही है और यह सुनिश्चित करेगी कि सेवा का लाभ सीधे ड्राइवरों को मिले। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सेवा यात्रियों के लिए यात्रा में आसानी और ड्राइवरों के लिए बेहतर आय के अवसरों को जोड़ेगी, और इस पहल से होने वाला पूरा मुनाफा ड्राइवरों को मिलेगा।केंद्रीय मंत्री ने देश के लिए हरियाणा के योगदान पर भी प्रकाश डाला, और कहा कि राज्य ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, डेयरी उत्पादन को मजबूत करने और खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों ने लगातार राष्ट्रीय विकास में योगदान दिया है और कई क्षेत्रों में देश को पहचान दिलाई है।उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा और पंजाब ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक सम्मान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा में हरियाणा के योगदान पर भी जोर दिया, और कहा कि एक छोटा राज्य होने के बावजूद, यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सशस्त्र बलों में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक सैनिक देता है। आर्थिक विकास में सहकारिता की भूमिका पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि पशुपालन, कृषि और सहकारी प्रणालियों को एकीकृत करके समृद्धि हासिल की जा सकती है।मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकारी खर्च में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला, और कहा कि कृषि बजट 2014 में 22,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि ग्रामीण विकास बजट 80,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.87 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि ये उपाय ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने और देश भर के किसानों का समर्थन करने पर सरकार के फोकस को दर्शाते हैं।
- नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का दौरा करेंगे। इस दौरान पीएम दोपहर करीब 2:30 बजे लखनऊ में बने भव्य ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करेंगे और एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। पीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस बात की जानकारी दी।उन्होंने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “देश की महान विभूतियों की विरासत के सम्मान और संरक्षण के लिए हमारी सरकार कृतसंकल्प है। इसी कड़ी में कल दोपहर बाद करीब 2:30 बजे लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की 101वीं जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ के उद्घाटन का सौभाग्य मिलेगा। यहां वाजपेयी जी के साथ ही डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की भव्य कांस्य प्रतिमाएं भी लगाई गई हैं। इसके साथ ही एक अत्याधुनिक संग्रहालय भी विकसित किया गया है, जहां राष्ट्र निर्माण में इन दूरदर्शी नेताओं के अमूल्य योगदान के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।”‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ को एक राष्ट्रीय स्मारक और प्रेरणादायक परिसर के रूप में विकसित किया गया है। यह स्थल स्वतंत्र भारत के महान नेताओं के जीवन, आदर्शों और नेतृत्व को सम्मान देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह परिसर लगभग 65 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसके निर्माण पर करीब 230 करोड़ रुपए की लागत आई है। इसे एक स्थायी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में विकसित किया गया है, जो नेतृत्व मूल्यों, राष्ट्रीय सेवा, सांस्कृतिक चेतना और जन-प्रेरणा को बढ़ावा देगा।इस परिसर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित 65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमाएं हैं, जो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राष्ट्र निर्माण में योगदान का प्रतीक हैं। इसके साथ ही यहां कमल के आकार में बना एक आधुनिक संग्रहालय भी है, जो लगभग 98,000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला हुआ है। इस संग्रहालय में उन्नत डिजिटल और इमर्सिव तकनीक के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय यात्रा और इन दूरदर्शी नेताओं की विरासत को प्रदर्शित किया गया है।राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन निस्वार्थ नेतृत्व, सुशासन और राष्ट्र सेवा के आदर्शों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित पीएम-युवा 3.0 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री युवा लेखकों के मार्गदर्शन के लिए योजना लेखन से जुड़ी महत्वपूर्ण पहल है। एनबीटी-इंडिया की वेबसाइट पर यह नतीजे प्रकाशित किए गए हैं। यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है। यह युवा लेखकों को उनके लेखन और विचारों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के मुताबिक, इस संस्करण के अंतर्गत 30 वर्ष से कम आयु के 43 युवा लेखकों के पुस्तक प्रस्ताव अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित किए गए हैं। ये प्रस्ताव भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में प्राप्त हुए हैं। इन भाषाओं में डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, असमिया, बांग्ला, बोडो, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मैथिली, ओड़िया, पंजाबी, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, संस्कृत, और उर्दू शामिल हैं। इतनी व्यापक भाषायी भागीदारी देशभर में समावेशी साहित्यिक विकास को बढ़ावा देने के योजना के उद्देश्य को और सुदृढ़ करती है।न्यास का कहना है कि चयनित 43 लेखकों में 19 महिलाएं और 24 पुरुष हैं। इन चयनित पुस्तक प्रस्तावों को छह माह के भीतर प्रतिष्ठित विद्वानों के मार्गदर्शन में पुस्तकों का रूप दिया जाएगा। प्रत्येक चयनित लेखक को 50,000 रुपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति तथा प्रकाशित पुस्तक पर आजीवन 10 प्रतिशत रॉयल्टी भी प्रदान की जाएगी।इस वर्ष पीएम-युवा 3.0 के लिए राष्ट्र-निर्माण में भारतीय प्रवासी समुदाय का योगदान, भारतीय ज्ञान परंपरा तथा आधुनिक भारत के निर्माता(1950–2025) निर्धारित विषय थे। चयनित पांडुलिपियां गैर-कथा (नॉन-फिक्शन) श्रेणी की हैं, जिनमें इतिहास, संस्कृति, विज्ञान, दर्शन, शासन व्यवस्था, सामाजिक सुधार और भारत की वैश्विक सहभागिता जैसे विषयों के माध्यम से भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य को प्रस्तुत किया गया है।अब चयनित लेखकों का एक राष्ट्रीय शिविर आने वाले नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला के दौरान आयोजित किया जाएगा। यह पुस्तक मेला 10 से 18 जनवरी, 2026 तक आयोजित होगा। पीएम-युवा 3.0 के अंतर्गत पुस्तकों का पहला समूह अगले वर्ष प्रकाशित किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत और विदेशों में भारतीय साहित्य और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले नई पीढ़ी के लेखकों को तैयार करना है। -
भुवनेश्वर. ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल विवाद के हल के लिए बनी सर्वदलीय उच्च-स्तरीय समिति एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर सहमत हो गई लेकिन साथ ही उसने कानूनी लड़ाई को कमजोर न करने का भी फैसला किया है। ओडिशा के उपमुख्यमंत्री के. वी. सिंह देव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई पहली बैठक में सभी आठ सदस्य शामिल हुए, जिनमें तीन मंत्री सुरेश पुजारी (राजस्व), पृथ्वीराज हरिचंदन (कानून) और संपद चंद्र स्वैन (उद्योग) और विधायक सरोज कुमार प्रधान (भाजपा), निरंजन पुजारी (बीजद) और सोफिया फिरदौस (कांग्रेस) शामिल थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक जयनारायण मिश्रा ने डिजिटल माध्यम से इस बैठक में हिस्सा लिया। सिंह देव ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘समिति के सभी आठ सदस्य विवाद बातचीत के माध्यम से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। यह दोनों राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है। ओडिशा सरकार इस मामले को सुलझाते समय राज्य के सभी हितों की रक्षा करेगी।'' उन्होंने कहा कि सदस्यों को इस मुद्दे पर ओडिशा सरकार के रुख, छत्तीसगढ़ के साथ अब तक हुई बातचीत और महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण (एमडब्ल्यूडीटी) में लंबित मुकदमे के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि अगली बैठक से पहले सदस्यों को दस्तावेज दिए जाएंगे। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के पानी के बंटवारे का विवाद 2018 में एमडब्ल्यूडीटी के गठन के साथ न्यायाधिकरण में पहुंचा। यह न्यायाधिकरण तब बनाया गया जब ओडिशा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ द्वारा नदी के ऊपरी हिस्से में बैराज बनाए जाने के कारण महानदी में पानी का बहाव बाधित हो रहा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ओडिशा की स्थिति को और मज़बूत करने तथा महानदी जल विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सर्वदलीय समिति की अगली बैठक जनवरी 2026 में बुलाई जाएगी। महानदी नदी ओडिशा के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि लाखों लोग सिंचाई, पीने के पानी और उद्योग के लिए इस पर निर्भर हैं।
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन वी. नारायणन ने बुधवार को कहा कि एलवीएम3-एम6 रॉकेट के जरिये ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान को लेकर आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। उन्होंने एलवीएम3 रॉकेट की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया, जिसका उपयोग महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम में किया जाएगा। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए है। मीडिया से बात करते हुए नारायणन ने कहा, “आज हमारे लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण मिशन है। क्योंकि आप सभी जानते हैं कि यही वह प्रक्षेपण यान है जिसे मानव अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार किया गया है और भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए चुना गया है। इसलिए, एलवीएम3 के लगातार नौ सफल प्रक्षेपणों के बाद गगनयान कार्यक्रम को लेकर हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। यह एक अनिवार्य आवश्यकता भी है।” एलवीएम3–ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन की प्रमुख उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि ब्लूबर्ड-ब्लॉक-2 उपग्रह को निर्धारित कक्षा में अत्यंत सटीकता के साथ स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत की धरती से ऐसा पहली बार हुआ है।
उन्होंने कहा, “आज का प्रक्षेपण भी काफी महत्वपूर्ण है। यह भारतीय धरती से प्रक्षेपित किया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है। आज यह उपलब्धि हासिल की गई है। लगभग 6,000 किलोग्राम सटीक रूप से कहें तो 5,908 किलोग्राम वाला यह सबसे भारी उपग्रह है, जिसे भारतीय धरती से प्रक्षेपित किया गया है, और हमने इस मिशन में सफलता हासिल की है।” प्रक्षेपण की सटीकता को रेखांकित करते हुए, अंतरिक्ष विभाग के सचिव रहे नारायणन ने कहा, “हमने 520 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा को लक्ष्य बनाया था। हमने उपग्रह को 518.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया है, जो लक्ष्य से 1.5 किलोमीटर इधर-उधर है।” उन्होंने आगे कहा, “यह दुनिया में कहीं भी किए गए सर्वश्रेष्ठ प्रक्षेपणों में से एक है। और यह भारतीय प्रक्षेपण यानों द्वारा अब तक हासिल की गई सबसे बेहतरीन सटीकता भी है।” नारायणन ने कहा कि बुधवार के मिशन में, एलवीएम3 रॉकेट के प्रदर्शन को बेहतर बनाने और इसकी पेलोड क्षमता बढ़ाने के लिए इसरो ने एक तकनीकी सुधार किए थे। उन्होंने बताया, “आज हमने जो सुधार किए हैं, उनमें से एक एस200 सॉलिड मोटर कंट्रोल सिस्टम है (जो एलवीएम3 रॉकेट के किनारों पर लगे होते हैं और प्रक्षेपण के समय थ्रस्ट प्रदान करते हैं)। पहले हम एस200 में इलेक्ट्रो-हाइड्रो एक्ट्यूएटर का उपयोग करते थे, जो एक अत्यंत जटिल प्रणाली थी। पहली बार, भारत ने एक अत्यधिक शक्तिशाली इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर विकसित किया है, जिससे यान की पेलोड क्षमता में लगभग 150 किलोग्राम की वृद्धि हुई है।” मिशन के निदेशक टी. विक्टर जोसेफ ने बताया कि एलवीएम3-एम6 प्रक्षेपण बहुत ही कम समय में सफलतापूर्वक किया गया। उन्होंने कहा, “पहली बार, हम 52 दिन के दौरान लगातार एलवीएम3 मिशन पर काम कर रहे थे, और इसके लिए कई केंद्रों के बीच व्यापक समन्वय की आवश्यकता थी।” उन्होंने आगे कहा, “अतिरिक्त तकनीकों के साथ, हमने यह प्रदर्शित किया है कि गगनयान मिशन समेत भविष्य के मिशनों के लिए इसरो अब और अधिक सक्षम स्थिति में है।” ‘लिफ्ट-ऑफ' में एक मिनट की देरी के सवाल के जवाब में, नारायणन ने बताया कि वैज्ञानिक लगातार रॉकेट और उपग्रह के मार्ग की निगरानी करते रहते हैं। उन्होंने कहा, “यदि अंतरिक्ष पर किसी मलबे की आशंका होती है, तो हम प्रक्षेपण के समय को संशोधित कर देते हैं। हर देश अपनी कक्षा की आवश्यकता के अनुसार ऐसा करता है।” इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पी. मोहन ने एलवीएम3 में बढ़ती दुनिया की रुचि की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा, “एलवीएम3 यान के नौ लगातार सफल प्रक्षेपणों के बाद एलवीएम3 रॉकेट की मांग बढ़ रही है और भविष्य में छह से दस मिशन शुरू करने की तैयारी है… कई वैश्विक कंपनियों ने 2026-27 से एलवीएम3 के प्रति वर्ष छह प्रक्षेपणों की मांग की है…। उन्होंने आगे कहा, “एनएसआईएल के लिए अंतरिक्ष विभाग बड़ा सहारा है और हम यह अवसर प्रदान करने के लिए इसरो चेयरमैन के आभारी हैं जिन्होंने न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और अमेरिका की एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच इंटरफेस बनने की अनुमति दी। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर वासियों को नए साल का तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के विस्तार को मंजूरी दी है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने यह जानकारी साझा की है। केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज 5ए के अंतर्गत 3 नए कॉरिडोर को मंजूरी दी है। इसमें 13 नए मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे।
तीन नए कॉरिडोर में आरके आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी), एयरोसिटी से आईजीआई एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी) शामिल है। इस परियोजना की कुल लंबाई 16.076 किमी है और इससे राष्ट्रीय राजधानी में कनेक्टिविटी और बेहतर होगी। दिल्ली मेट्रो के फेज 5ए परियोजना की कुल लागत 12014.91 करोड़ रुपए है, जिसका वित्तपोषण भारत सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर सभी कर्तव्य भवनों को जोड़ेगा, जिससे इस क्षेत्र के कार्यालय जाने वालों और आगंतुकों को घर बैठे ही सुविधा मिलेगी। इस कनेक्टिविटी से प्रतिदिन कार्यालय जाने वाले लगभग 60,000 लोगों और 2 लाख आगंतुकों को लाभ होगा। ये कॉरिडोर प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करके जीवन स्तर को सुगम बनाएंगे।केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज 5ए को मंजूरी दे दी है, जिसमें 13 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जिसमें 10 अंडरग्राउंड और 3 एलिवेटेड स्टेशन होंगे। यह प्रोजेक्ट 3 साल में पूरा होने का अनुमान है।” उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत 16 किलोमीटर लंबी नई लाइन बिछाई जाएगी, जिसके लिए 12,015 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 400 किलोमीटर से ज्यादा हो जाएगा, जो कि अपने-आप में एक बड़ी उपलब्धि है।वर्तमान में, दिल्ली और एनसीआर में डीएमआरसी द्वारा लगभग 395 किलोमीटर लंबी 12 मेट्रो लाइनें संचालित की जा रही हैं, जिनमें 289 स्टेशन हैं। आज दिल्ली मेट्रो भारत का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है और साथ ही दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्कों में से एक है। - नई दिल्ली। भारतीय तटरक्षक बल ने पहला स्वदेशी नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’ (यार्ड 1267) अपने बेड़े में शामिल किया है। यह पोत आधुनिक हथियारों से लैस है। इन आधुनिक हथियारों में 30 मिमी सीआरएन -91 गन और दो 12.7 मिमी रिमोट कंट्रोल गन शामिल हैं।पोत में कई उन्नत तकनीक लगाई गई हैं। यह जहाज इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम और ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है। इसमें उच्च क्षमता वाली बाहरी अग्निशमन प्रणाली भी मौजूद है। बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह दो पोतों की परियोजना का पहला पोत है और 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है। यह जहाज तेल रिसाव का पता लगाने में सक्षम है। साथ ही यह गाढ़े तेल से प्रदूषक निकालने के काम को भी अंजाम दे सकता है। यह जहाज समुद्र में दूषित पानी से तेल अलग करने और समुद्र में व्यापक प्रदूषण नियंत्रण अभियान चलाने में भी सक्षम है।रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘समुद्र प्रताप’ के निर्माण ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्य को भी मजबूत किया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार ‘समुद्र प्रताप’ भारतीय तटरक्षक का सबसे बड़ा पोत है। इसे विशेष रूप से समुद्री प्रदूषण नियंत्रण और आपदा प्रतिक्रिया के लिए तैयार किया गया है। तटरक्षक बल में तैनात किए गए इस जहाज की लंबाई 114.5 मीटर और चौड़ाई 16.5 मीटर है। यह पोत भारतीय तटरक्षक का पहला जहाज है जिसमें डायनेमिक पोजिशनिंग सिस्टम (डीपी-1) लगा है।प्रदूषण नियंत्रण के लिए इसमें अत्याधुनिक उपकरण हैं। ऑयल फिंगर प्रिंटिंग मशीन, रासायनिक पदार्थों का पता लगाने वाला जाइरो-स्टेबलाइज्ड डिटेक्टर और प्रदूषण विश्लेषण की प्रयोगशाला सुविधा इस जहाज में शामिल हैं। भारतीय तटरक्षक बल का ‘समुद्र प्रताप’ गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित है। पोत के शामिल होने के अवसर पर डीआईजी वी. के. परमार, आईसीजी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, गोवा शिपयार्ड के सीएमडी ब्रजेश कुमार उपाध्याय और दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘समुद्र प्रताप’ के शामिल होने से भारतीय तटरक्षक बल की समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है।गौरतलब है कि दो दिन पहले ही भारतीय नौसेना में ‘अंजदीप’ नामक एक आधुनिक एंटी सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट भी शामिल किया गया है। नौसेना को सौंपा गया यह तीसरा एंटी सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट है। यह नौसैनिक जहाज पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। सोमवार को चेन्नई में यह नौसैनिक जहाज भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था।रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह स्वदेशी निर्माण का उत्कृष्ट उदाहरण है। अंजदीप आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट जहाजों की श्रृंखला का तीसरा जहाज है। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर गॉर्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के संयुक्त प्रयास से बनाया गया।
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नई दिल्ली। एलवीएम3-एम6 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की इस बड़ी उपलब्धि की सराहना की है।
उपराष्ट्रपति के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से पोस्ट कर यूएस स्पेसक्राफ्ट ‘ब्लू बर्ड ब्लॉक-2’ को ले जाने वाले एलवीएम3-एम6 के सफल लॉन्च की प्रशंसा की गई। राधाकृष्णन ने लिखा, “यह ऐतिहासिक मिशन, जिसने भारतीय धरती से लॉन्च किए गए अब तक के सबसे भारी सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किया है, अंतरिक्ष तकनीक में भारत की नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। यह हमारी हेवी-लिफ्ट क्षमता को सशक्त करता है और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका को और मजबूत करता है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह एक गर्व का कदम है, जिसके साथ भारत अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है।”केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने ‘एक्स’ पर लिखा, “यह भारत के लिए गर्व का क्षण है कि इसरो ने एलवीएम3-एम6 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर अमेरिका के ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 स्पेसक्राफ्ट को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। भारतीय धरती से अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च करना हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाता है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट विजन और निरंतर समर्थन का परिणाम है। इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को हार्दिक बधाई।”केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसरो टीम को बधाई देते हुए कहा, “अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 का सफल प्रक्षेपण भारत के वैज्ञानिकों की क्षमता को दर्शाता है, जिन्होंने भारत की अंतरिक्ष शक्ति को वाणिज्यिक सफलता में बदला है। यह प्रधानमंत्री मोदी के भारत को वैश्विक अंतरिक्ष तकनीक केंद्र बनाने के विजन को साकार करता है।”विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस उपलब्धि को आत्मनिर्भर भारत की सफलता का प्रतीक बताते हुए लिखा, “एलवीएम3-एम6 ‘बाहुबली’ के सफल लॉन्च पर इसरो टीम को बधाई, जिसने 6 टन से अधिक वज़न वाले ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किया। यह भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।”केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसे भारत के स्पेस इकोसिस्टम के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत की हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमताओं और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च बाजार में विश्वसनीयता को और मजबूत करता है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नीति समर्थन, रणनीतिक दृष्टिकोण और निरंतर निवेश के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र को सशक्त बनाया गया है, जिसका परिणाम यह सफलता है।केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत की अंतरिक्ष में लंबी छलांग बताते हुए कहा कि यह इसरो की सिद्ध हेवी-लिफ्ट क्षमता और बेदाग मिशन रिकॉर्ड को दर्शाता है।केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लिखा कि एलवीएम3-एम6 मिशन की सफलता भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को प्रतिबिंबित करती है। - श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक ऐतिहासिक मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘एलवीएम-3 एम-6’ ने अमेरिकी संचार उपग्रह ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ को उसकी निर्धारित कक्षा में बुधवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ मिशन का उद्देश्य उपग्रह के जरिए सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है। यह नेटवर्क कहीं भी, कभी भी, सभी के लिए 4जी और 5जी वॉयस-वीडियो कॉल, संदेश, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराएगा।यह मिशन ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआईएल) और अमेरिका स्थित एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए वाणिज्यिक समझौते के तहत संचालित किया गया।एनएसआईएल, इसरो की वाणिज्यिक इकाई है।चौबीस घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद दो एस-200 ठोस बूस्टर से युक्त 43.5 मीटर लंबा रॉकेट चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व स्थित इस अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण ‘पैड’ से सुबह रवाना हुआ। करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और इसे सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया।इसरो ने बताया कि 6,100 किलोग्राम वजनी यह संचार उपग्रह एलवीएम3 के प्रक्षेपण इतिहास में पृथ्वी की निम्न कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया जाने वाला अब तक सबसे भारी पेलोड है।इससे पहले सबसे भारी पेलोड एलवीएम3-एम5 संचार उपग्रह-03 था, जिसका वजन करीब 4,400 किलोग्राम था और जिसे इसरो ने दो नवंबर को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।इस मिशन का उद्देश्य अगली पीढ़ी का ऐसा संचार उपग्रह स्थापित करना है, जिसे दुनिया भर में स्मार्टफोन को सीधे उच्च गति वाली सेल्युलर ब्रॉडबैंड सेवा देने के लिए डिजाइन किया गया है।एएसटी स्पेसमोबाइल पहला और एकमात्र अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क बना रहा है, जो सीधे स्मार्टफोन के माध्यम से सुलभ होगा और इसे वाणिज्यिक एवं सरकारी दोनों ऐप्लीकेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है।भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, एमवीएम3 तीन चरण वाला रॉकेट है जिसमें क्रायोजेनिक इंजन लगा है। इसे इसरो के ‘लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर’ ने विकसित किया है।प्रक्षेपण के लिए आवश्यक अत्यधिक 'थ्रस्ट' प्रदान करने के लिए इस प्रक्षेपण यान में दो एस200 ठोस रॉकेट बूस्टर लगाए गए हैं, जिन्हें तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने विकसित किया है।एएसटी स्पेसमोबाइल ने सितंबर 2024 में ब्लूबर्ड-1 से 5 तक पांच उपग्रह प्रक्षेपित किए थे, जो अमेरिका और कुछ अन्य देशों में निरंतर इंटरनेट कवरेज प्रदान कर रहे हैं। कंपनी ने अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए ऐसे और उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बनाई है और दुनिया भर के 50 से अधिक मोबाइल ऑपरेटरों के साथ साझेदारी की है।
- पटना. वर्ष 2025 के अधिकांश भाग में सत्ता संघर्ष बिहार की राजनीति की दिशा तय करता रहा। इस वर्ष नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने शानदार जीत हासिल की। राजग को मिले प्रचंड बहुमत ने लगभग दो दशक से सत्ता में रहने के बावजूद सत्ता विरोधी लहर की तमाम अटकलों को गलत साबित कर दिया। इस जनादेश ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की केंद्रीय भूमिका को एक बार फिर रेखांकित किया। राज्य में सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाले नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने पांच साल पहले की तुलना में लगभग दोगुनी सीटें हासिल कीं, जबकि सहयोगी भाजपा एक बार फिर बड़े दल के रूप में उभरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में 75 वर्षीय कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के पैर छूने का प्रयास किया, जिसे इस संकेत के रूप में देखा गया कि वे बार-बार के राजनीतिक फेरबदल के दौर को पीछे छोड़ते हुए राजग में स्थायी रूप से बने रहना चाहते हैं। नई विधानसभा के उद्घाटन सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने सरकार की कार्यशैली की दिशा स्पष्ट की। उन्होंने केंद्र सरकार के साथ सहयोग पर जोर दिया और सत्तारूढ़ गठबंधन में ‘डबल इंजन' मॉडल के तहत मिल रही उदार सहायता का बार-बार उल्लेख किया। चुनाव से पहले आए जनमत सर्वेक्षणों में लगातार विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का सबसे पसंदीदा चेहरा बताया जा रहा था। पूर्व उपमुख्यमंत्री यादव ने नौकरियों, भत्तों और सामाजिक सुरक्षा पर केंद्रित लोकलुभावन घोषणाओं के जरिए माहौल बनाने की कोशिश की। चुनावों से पहले लिए गए शासन संबंधी फैसले अहम चुनावी मुद्दा बन गए। मतदान कार्यक्रम की घोषणा से काफी पहले ही राज्य सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की या उनका विस्तार किया, जिनमें से कई (योजनाएं) विपक्ष द्वारा किए गए वादों की झलक लिए हुए थे। यादव ने सरकार पर ‘ नकलची' होने का आरोप लगाया, जबकि सरकार का तर्क था कि वह योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी ला रही है। इसी दौरान निर्वाचन आयोग ने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने का आदेश दिया, जिसे भविष्य में देशभर में लागू किए जाने वाले एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देखा गया। इस व्यापक प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए गए। हालांकि आयोग का कहना था कि ये नाम मृत व्यक्तियों, राज्य से बाहर स्थानांतरित हो चुके लोगों या एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत मतदाताओं के थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘इंडिया' गठबंधन ने इस पुनरीक्षण अभियान को ‘वोट चोरी' करार देने की कोशिश की। साथ ही राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों पर भी निशाना साधा गया, जिनमें कमजोर वर्गों के लिए बढ़ी हुई पेंशन, 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली और बिहार के मूल निवासी महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण शामिल था। गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा', जो अगस्त में तेजस्वी यादव और सीपीआई (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य जैसे सहयोगियों के साथ निकाली गई, में बड़ी संख्या में लोग जुटे। हालांकि यह जनसमर्थन मतों में तब्दील नहीं हो सका और 243 सदस्यीय विधानसभा में ‘महागठबंधन' 41 से भी कम सीटों पर सिमट गया। राजग के चुनावी अभियान के केंद्र में कल्याणकारी योजनाएं रहीं। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ सप्ताह पहले ही बिहार सरकार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' शुरू की, जिसमें प्रधानमंत्री ने डिजिटल तौर पर भाग लिया। इस योजना के तहत 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपए दिए गए। हालांकि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद भी कुछ भुगतान होने के समय को लेकर आलोचना हुई। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2020 के कड़े मुकाबले वाले चुनावों की तुलना में महागठबंधन के वोट शेयर में कोई खास गिरावट नहीं आई। लेकिन राजग की भारी जीत में उसके वोट शेयर में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी अहम रही, जिसे मुख्य रूप से कल्याणकारी योजनाओं की व्यापक पहुंच से जोड़ा गया। तेज ध्रुवीकरण के चलते प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसे नए राजनीतिक दलों के लिए जगह नहीं बची और उनके अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। चुनावी राजनीति से इतर, 2025 ने शासन संबंधी चुनौतियों को भी उजागर किया। बुनियादी ढांचे को लेकर तस्वीर मिली-जुली रही। सरकार ने नए पुलों और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को गिनाया, वहीं विभिन्न जिलों में पुल गिरने की घटनाओं ने निर्माण गुणवत्ता, रखरखाव और निगरानी पर सवाल खड़े किए। वर्ष के दौरान एक पुल के पिलर गिरने की घटना के बाद प्रशासनिक कार्रवाई हुई, इंजीनियरिंग विभागों द्वारा समीक्षा की गई और संरचनात्मक ऑडिट के नए आश्वासन दिए गए। इसके बाद बिहार ने पुलों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए तीसरे पक्ष के निरीक्षण और तकनीक आधारित निगरानी सहित एक व्यापक ढांचा घोषित किया। शहरी बुनियादी ढांचे में भी धीरे-धीरे प्रगति देखने को मिली। पटना मेट्रो परियोजना के कुछ हिस्से चालू हुए और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पतालों के उद्घाटन के साथ चिकित्सा शिक्षा का विस्तार जारी रहा। इसके अलावा राज्य ने खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी की, जिसे सरकार ने खेल अवसंरचना और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों के रूप में प्रस्तुत किया। वहीं बिहार दिवस जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए विकास के साथ-साथ राज्य की विरासत को भी प्रदर्शित किया गया।
- कुरुक्षेत्र. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक होटल के कमरे में कथित तौर पर कोयले की अंगीठी से निकले धुएं के कारण कमरे में सो रहे उत्तर प्रदेश के चार मजदूरों और एक ठेकेदार की दम घुटने से मौत हो गई। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पांच लोगों को सुबह एक बंद कमरे में मृत पाया गया। पुलिस को संदेह है कि कमरे के अंदर जल रही अंगीठी से निकले धुएं के कारण दम घुटने से उनकी मौत हुई। कुरुक्षेत्र के थाना प्रभारी दिनेश राणा के अनुसार, मारे गए लोग सहारनपुर से थे और जिला जेल के पास स्थित एक होटल में पेंटिंग का काम करने के लिए कुरुक्षेत्र आए थे। मंगलवार सुबह देर तक कमरा बंद रहने पर होटल के कर्मचारियों ने उन्हें जगाने की कोशिश की, कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर मामले की सूचना होटल प्रबंधक और पुलिस को दी गई। कमरा खोलने पर सभी पांचों व्यक्ति बेहोश पाए गए और बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। राणा ने बताया कि बंद कमरे के अंदर कोयले की अंगीठी मिली है और प्रारंभिक आकलन से जहरीली गैस में सांस लेने से मौत की आशंका जताई जा रही है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया है। पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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नयी दिल्ली. पारंपरिक तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया नौसेना का अग्रणी पोत आईएनएसवी कौंडिन्य अपनी पहली विदेश यात्रा ओमान के लिए 29 दिसंबर से शुरू करेगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह जहाज गुजरात के पोरबंदर से मस्कट के लिए रवाना किया जाएगा। यह यात्रा प्रतीकात्मक रूप से उन ऐतिहासिक समुद्री मार्गों को दोहराएगी, जिनके जरिये भारत हजारों वर्षों तक हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़ा रहा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रों से प्रेरित और पूरी तरह पारंपरिक तकनीक से बना गया गया आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, कारीगरी और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का दुर्लभ संगम है। इसने कहा कि भारतीय नौसेना का यह अग्रणी पोत भारत की प्राचीन जहाज निर्माण और समुद्री यात्रा परंपराओं को पुनर्जीवित करता है। इसमें कहा गया है कि यह जहाज 29 दिसंबर को अपनी पहली विदेश यात्रा पर रवाना होगा। मंत्रालय ने कहा कि आधुनिक जहाजों के विपरीत, इसके लकड़ी के तख्तों को नारियल के रेशे से बनी रस्सी का इस्तेमाल करके जोड़ा गया है और प्राकृतिक रेजिन से सील किया गया है। उसने कहा कि यह भारत के तटों और हिंद महासागर क्षेत्र में कभी प्रचलित रही जहाज निर्माण परंपरा को दर्शाता है। अधिकारियों ने कहा कि इस तकनीक ने आधुनिक नौवहन और धातु विद्या के आने से बहुत पहले ही भारतीय नाविकों को पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक लंबी समुद्री यात्राएं करने में सक्षम बनाया। यह परियोजना स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को फिर से खोजने और पुनर्जीवित करने के भारत के प्रयासों के तहत संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होडी इनोवेशंस के बीच त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से पूरी की गई। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि मुख्य जहाज निर्माता श्री बाबू शंकरन के मार्गदर्शन में पारंपरिक कारीगरों द्वारा बनाए गए इस पोत को भारतीय नौसेना और शैक्षणिक संस्थानों के व्यापक शोध, डिजाइन और परीक्षण का समर्थन मिला है। यह जहाज पूरी तरह समुद्र में चलने योग्य है और महासागरीय नौवहन में सक्षम है। इस जहाज का नाम प्रसिद्ध नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है जिसके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया तक समुद्री यात्रा की। इस जहाज में एक समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका झलकती है।
- देवास/इंदौर. मध्यप्रदेश के देवास में मंगलवार को रेल पटरियों पर रील बना रहे दो नाबालिग लड़कों की यात्री ट्रेन से कटकर मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। औद्योगिक थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया ने संवाददाताओं को बताया कि बीराखेड़ी रेलवे क्रॉसिंग के पास हुई इस घटना में जान गंवाने वाले लड़कों की पहचान आलोक (16) और सन्नी योगी (16) के रूप में हुई है। चौरसिया ने बताया,‘‘मौके पर मौजूद लोगों ने हमें बताया कि दोनों लड़के पटरियों पर सोशल मीडिया के लिए बड़ी देर से रील बना रहे थे। इंदौर-बिलासपुर ट्रेन की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई।'' उन्होंने बताया कि रील बनाए जाने के दौरान पास-पास स्थित दो समानांतर पटरियों पर एक साथ दो रेलगाड़ियां गुजरीं और इनमें से एक पटरी पर दोनों युवक इंदौर-बिलासपुर ट्रेन की चपेट में आ गए। थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों लड़कों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया है और उनकी मौत के मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
- मुंबई. भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) वीआर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान जब पाकिस्तान ने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला किया, तो भारतीय वायुसेना ने भी करारा जवाब देते हुए उसके सबसे अहम सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। चौधरी ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई के कारण पाकिस्तान ने मई में चार दिन चले सैन्य संघर्ष के बाद आखिरकार “घुटने टेक दिए।” उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अप्रैल में हुए पहलगाम हमले के जवाब में आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में हमला करने का बहुत ही साहसिक निर्णय लिया। एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) चौधरी आईआईटी बंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जिसमें पूर्व नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार और पूर्व सेना प्रमुख मनोज पांडे भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त टीमों की साहसिक योजना का नतीजा था। सात मई को भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया, जिनमें से दो शिविरों-बहावलपुर और मुर्दिके-पर मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना ने हमला किया। पूर्व वायु सेना प्रमुख ने कहा कि यह पहली बार था, जब भारत इतनी गहराई में गया और एकदम सटीक निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हमें किसी न किसी तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद थी। पाकिस्तानियों ने हमारे सैन्य ठिकानों और नागरिक लक्ष्यों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करके जवाब दिया। उन्होंने उधमपुर में कुछ अस्पतालों को भी निशाना बनाया।” हालांकि, एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) चौधरी ने कहा कि भारत की एकीकृत हवाई रक्षा प्रणाली इन सभी हमलों को नाकाम करने में सफल रही। उन्होंने कहा, “हमने भारत पर दागे गए हर ड्रोन और मिसाइल को मार गिराया। हमारे देश में कोई क्षति नहीं हुई। जब वे हमारे ठिकानों को निशाना बना रहे थे, तो स्थिति थोड़ी बेकाबू हो रही थी। जब वे हमारे ठिकानों पर हमला कर रहे थे, तो हमें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी और उनके उन ठिकानों पर हमला करना पड़ा, जहां से उनके विमान और ड्रोन उड़ान भरते थे।
- चंडीगढ़. पंजाब के स्वापक-रोधी कार्य बल (एएनटीएफ) ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ मिलकर अमृतसर जिले के एक गांव से करीब 12 किलोग्राम हेरोइन की खेप बरामद की है, जिसे ड्रोन विमान के जरिये गिराया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि चिन्हित संवेदनशील जगहों पर नियमित गश्त के दौरान डल्लेके गांव के एक कृषि क्षेत्र में ड्रोन की गतिविधियों के बारे में सूचना मिली। यादव ने कहा कि सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक (एसपी) गुरप्रीत सिंह के नेतृत्व में एएनटीएफ की टीमों ने संदिग्ध स्थान की गहन तलाशी ली और डल्लेके गांव के पास के खेतों से हेरोइन की एक खेप बरामद की। इससे पहले, यादव ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था, “पंजाब के स्वापक रोधी कार्य बल ने ड्रोन की गतिविधि की जानकारी मिलने के बाद बीएसएफ के साथ मिलकर डल्लेके गांव के पास एक खेत से लगभग 12.050 किलोग्राम हेरोइन बरामद की।” उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने और सीमावर्ती इलाकों में मादक पदार्थों के तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के अपने संकल्प पर कायम। इस बीच, एएनटीएफ के एसपी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि तकनीकी साक्ष्यों और मानवीय खुफिया जानकारी का इस्तेमाल करते हुए इस मामले से जुड़ी सभी कड़ियों का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन संदिग्धों को हेरोइन की खेप उठानी थी, उनकी पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। सिंह ने बताया कि एएनटीएफ थाने में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
- नई दिल्ली। विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) हमारे शरीर के लिए सिर्फ एक साधारण पोषक तत्व नहीं, बल्कि हर कोशिका के लिए किसी सुपरहीरो से कम नहीं है। इसकी कमी से होने वाले नुकसान की गंभीरता का अंदाजा बहुत कम लोग लगा पाते हैं। यदि शरीर में विटामिन सी की अत्यधिक कमी हो जाए, तो मसूड़ों से खून बहना शुरू हो सकता है, पुराने घाव दोबारा खुल सकते हैं, नसें कमजोर पड़ने लगती हैं और दांत तक गिर सकते हैं।दरअसल, विटामिन सी हमारे शरीर की कोशिकाओं को आपस में जोड़कर रखने में अहम भूमिका निभाता है। हम इसे अक्सर सिर्फ एक सामान्य विटामिन समझ लेते हैं, जबकि यह शरीर की मजबूती का मूल आधार है। मानव शरीर स्वयं विटामिन सी का निर्माण नहीं कर सकता और न ही इसे लंबे समय तक संग्रहित कर सकता है। इसलिए इसे रोजाना भोजन के जरिए लेना जरूरी होता है।सामान्य रूप से पुरुषों को प्रतिदिन लगभग 90 मिलीग्राम, महिलाओं को 75 मिलीग्राम, जबकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 85 से 120 मिलीग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है। यह मात्रा फल, सब्जियों और हरी पत्तेदार खाद्य पदार्थों से आसानी से प्राप्त की जा सकती है।विटामिन सी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कोलेजन का निर्माण करना है। कोलेजन एक ऐसा प्रोटीन है जो त्वचा, हड्डियों, नसों और जोड़ों को मजबूती प्रदान करता है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी का सेवन त्वचा की चमक बनाए रखने और जोड़ों को मजबूत रखने के लिए आवश्यक है।इसके अलावा, विटामिन सी शरीर में आयरन के अवशोषण को भी बढ़ाता है। यदि कोई व्यक्ति आयरन युक्त भोजन तो कर रहा है, लेकिन विटामिन सी की कमी है, तो शरीर आयरन को पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर पाता। शाकाहारी लोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एनीमिया से बचाव में मदद करता है।विटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी है। यह फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं की रक्षा करता है, जो उम्र बढ़ने, तनाव और प्रदूषण के कारण शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नियमित सेवन से कैंसर और हृदय रोगों का खतरा कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है।विटामिन सी की कमी होने पर शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।थकान, बार-बार सर्दी-जुकाम होना, मसूड़ों से खून आना, दांतों की कमजोरी और घाव भरने में देरी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। गंभीर स्थिति में स्कर्वी जैसी बीमारी भी हो सकती है। इसलिए विटामिन सी को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसके प्राकृतिक स्रोतों में आंवला सबसे प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा अमरूद, कीवी, लाल शिमला मिर्च, संतरा, नींबू, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकली और टमाटर भी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।
- नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एचआईवी पीड़ितों में एडवांस स्टेज की पहचान के लिए सीडी4 टेस्टिंग कराने की सलाह दी है। यह सिफारिश एडवांस्ड एचआईवी पर डब्ल्यूएचओ की 2025 की नई गाइडलाइंस का हिस्सा है।डब्ल्यूएचओ वयस्कों, किशोरों और पांच वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों में एडवांस्ड एचआईवी बीमारी को “200 सेल्स/एमएम³ से कम सीडी4 सेल काउंट” के रूप में परिभाषित करता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, “एडवांस्ड एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है और यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। एचआईवी टेस्टिंग और उपचार की बेहतर उपलब्धता तथा 95-95-95 लक्ष्यों की दिशा में प्रगति के बावजूद यह चुनौती बनी हुई है।” पांच वर्ष से कम उम्र के सभी एचआईवी पीड़ित बच्चों को एडवांस्ड एचआईवी पीड़ित माना जाना चाहिए।डब्ल्यूएचओ ने कहा, “2025 की गाइडलाइंस एडवांस्ड एचआईवी की पहचान करने और अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले एचआईवी पीड़ितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए बेहतर तरीकों की आवश्यकता पर जोर देती हैं।” नई गाइडलाइंस में डब्ल्यूएचओ ने एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए सीडी4 टेस्टिंग की सिफारिश की है। वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने कहा, “जहां सीडी4 टेस्टिंग उपलब्ध नहीं है, वहां एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए डब्ल्यूएचओ की क्लिनिकल स्टेजिंग का उपयोग किया जा सकता है।”सीडी4 टेस्टिंग का उपयोग उन पीड़ितों में एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए किया जा सकता है, जो एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) की शुरुआत कर रहे हों या दोबारा इलाज शुरू करने जा रहे हों, जिनका उपचार असफल रहा हो, या जो अस्पताल में भर्ती हों, गंभीर रूप से बीमार हों अथवा क्लिनिकली अस्थिर माने जाते हों।डब्ल्यूएचओ ने बताया कि जब वायरल लोड टेस्टिंग उपलब्ध न हो, तब भी सीडी4 टेस्टिंग के जरिए उपचार विफल होने की पहचान में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, सीडी4 टेस्टिंग को-ट्राइमोक्साजोल प्रोफिलैक्सिस (एंटीबायोटिक) और फ्लूकोनाजोल प्रोफिलैक्सिस (एंटी-फंगल दवाओं) के लिए पात्रता का आकलन करने में भी सहायक होती है।संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य संस्था ने कपोसी सार्कोमा- जो रक्त और लसीका वाहिकाओं की परत में विकसित होने वाला एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है- से पीड़ित एचआईवी रोगियों के लिए फार्माकोलॉजिकल उपचार में पैक्लिटैक्सेल या पेगिलेटेड लिपोसोमल डॉक्सोरूबिसिन के उपयोग का भी सुझाव दिया है।इन गाइडलाइंस में बीमारी और मृत्यु दर को कम करने के लिए जल्दी पहचान, तेजी से एआरटी शुरू करने और बेहतर क्लिनिकल प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, “इन सिफारिशों को लागू करके देश गंभीर बीमारी और मृत्यु दर को कम कर सकते हैं, इलाज के नतीजों में सुधार कर सकते हैं और वैश्विक स्तर पर एचआईवी उन्मूलन के लक्ष्यों को आगे बढ़ा सकते हैं।”
- नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एलवीएम3 रॉकेट के इतिहास में अब तक का सबसे भारी पेलोड (6,100 किलोग्राम) को लॉन्च किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गौरवपूर्ण क्षण बताया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस उपलब्धि को एक बड़ी छलांग बताते हुए लिखा, “एलवीएम3-एम6 का सफल लॉन्च, जिसने भारतीय धरती से लॉन्च किए गए अब तक के सबसे भारी सैटेलाइट, यूएसए के ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 स्पेसक्राफ्ट को उसकी तय ऑर्बिट में पहुंचाया, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है।”उन्होंने लिखा, “यह भारत की हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता को मजबूत करता है और ग्लोबल कमर्शियल लॉन्च मार्केट में हमारी बढ़ती भूमिका को और पक्का करता है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारे प्रयासों को भी दिखाता है। हमारे मेहनती अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। भारत अंतरिक्ष की दुनिया में लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है।”केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके इसरो को बधाई दी। उन्होंने लिखा, “ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को ले जाने वाले एलवीएम3-एम6 के सफल लॉन्च के लिए टीम इसरो को बधाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी संरक्षण में, इसरो लगातार एक के बाद एक सफलता हासिल कर रहा है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती ताकत को फिर से साबित करता है।”भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने लिखा, “भारत की अंतरिक्ष शक्ति ने एक नई ऊंचाई हासिल की है। भारत ने अपना अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट ब्लू बर्ड-6 सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जिसमें ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को सटीकता से अलग करके ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। मिशन को एकदम सटीक तरीके से पूरा किया गया। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम महत्वाकांक्षा से अमल की ओर बढ़ा है, क्षमता से निरंतरता की ओर। जो कांग्रेस के समय में सिर्फ एक सपना था, वह अब रोजाना की बेहतरीन उपलब्धि बन गया है।


























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