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 भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद ने वैश्विक ऊर्जा कीमतों को स्थिर रखने में निभाई बड़ी भूमिका : हरदीप पुरी

 नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के निर्णय ने न केवल देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी कीं, बल्कि इससे वैश्विक ऊर्जा कीमतों को स्थिर बनाए रखने में भी मदद मिली। एक अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अगर रूस का तेल बाजार से हट जाता, तो दुनिया को आपूर्ति की भारी कमी का सामना करना पड़ता और तेल की कीमतें 120-130 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक हो जातीं। पुरी ने बताया कि रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है जो प्रतिदिन 90 लाख बैरल से अधिक कच्चा तेल निकालता है। वैश्विक तेल आपूर्ति करीब 9.7 करोड़ बैरल प्रतिदिन है और रूस का योगदान इसमें लगभग 10 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यदि यह तेल उपलब्ध नहीं होता, तो वैश्विक उपभोक्ताओं को आपूर्ति की कमी के चलते भारी कीमतें चुकानी पड़तीं।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्धता, किफायती दर और टिकाऊ समाधान को प्राथमिकता दी है और वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता में एक सकारात्मक भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूसी तेल पर कभी कोई वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगा था और भारत ने निर्धारित मूल्य सीमा के तहत रियायती दरों पर खरीदारी करके वैश्विक आपूर्ति को संतुलित रखने में योगदान दिया। पुरी ने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग, जिन्हें ऊर्जा बाजार की समझ नहीं है, भारत की नीतियों की अनावश्यक आलोचना करते हैं, जबकि असल में भारत की रणनीति ने वैश्विक संकट को टालने में मदद की है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत दुनिया में सबसे कम कीमत पर स्वच्छ रसोई गैस अपने नागरिकों को उपलब्ध करा रहा है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10.3 करोड़ से ज्यादा परिवारों को सिर्फ 0.4 डॉलर प्रति किलोग्राम या 7-8 सेंट प्रति दिन की दर से रसोई गैस दी जा रही है। देश के 33 करोड़ घरों को सस्ती दरों पर क्लीन कुकिंग गैस मिल रही है। एक अन्य बयान में पुरी ने यह भी कहा कि भारत ने तेल और गैस खोज के लिए ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के 10वें दौर के तहत 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नए ऊर्जा संसाधनों की खोज का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2025 तक 0.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर और 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अन्वेषण के दायरे में लाना है।

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