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जम्मू,. दक्षिण कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 7,307 तीर्थयात्रियों का नया जत्था बृहस्पतिवार तड़के जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से रवाना हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अभी तक लगभग 1.28 लाख तीर्थयात्री पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं।
घाटी के दो मार्ग से तीन जुलाई को 38 दिवसीय तीर्थयात्रा शुरू हुई थी। पहला मार्ग अनंतनाग जिले में 48 किलोमीटर लंबा पारंपरिक नुनवान-पहलगाम मार्ग है और दूसरा, गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर का छोटा लेकिन अधिक खड़ी चढ़ाई वाला बालटाल मार्ग है। यात्रा नौ अगस्त को समाप्त होगी। अधिकारियों ने बताया कि 5,534 पुरुषों, 1,586 महिलाओं, 25 बच्चों और 162 साधु-साध्वियों समेत 7,307 तीर्थयात्रियों का नौवां जत्था कड़ी सुरक्षा के बीच बृहस्पतिवार तड़के सवा तीन से तीन बजकर 58 मिनट के बीच 284 वाहनों में रवाना हुआ। कुल 3,081 तीर्थयात्री 137 वाहनों में सवार होकर बालटाल मार्ग से रवाना हुए, जबकि 4,226 तीर्थयात्री 147 वाहनों में सवार होकर पारंपरिक पहलगाम मार्ग से रवाना हुए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो जुलाई को अमरनाथ गुफा के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई थी। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भगवती नगर आधार शिविर को बहुस्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा गया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। अब तक चार लाख से अधिक लोगों ने तीर्थयात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। पिछले साल 5.10 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने इस गुफा मंदिर में दर्शन किए गए थे। -
नई दिल्ली। एक नए अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण न केवल दिल और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह ब्रेन में एक सामान्य ट्यूमर, मेनिन्जियोमा के खतरे को भी बढ़ा सकता है। मेनिन्जियोमा नामक ट्यूमर, जो आमतौर पर कैंसररहित (नॉन-कैंसरस) होता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली पतली परत (मेनिन्जेस) में बनता है। यह ट्यूमर ज्यादातर हानिरहित होता है, लेकिन कभी-कभी इसके कारण सिरदर्द, दौरे पड़ते हैं या ये अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की वजह बन सकते हैं।
न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषण और मेनिन्जियोमा के बीच एक संभावित संबंध हो सकता हैन्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषण और मेनिन्जियोमा के बीच एक संभावित संबंध हो सकता है, हालांकि यह साबित नहीं हुआ कि प्रदूषण ही इसका कारण है। अध्ययन में ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और अल्ट्राफाइन कणों (बारीक कण) का विश्लेषण किया गया, जो शहरी क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों का इन प्रदूषकों के संपर्क में ज्यादा समय बीता, उनमें मेनिन्जियोमा का खतरा अधिक था।यह अध्ययन डेनमार्क में करीब 40 लाख वयस्कों पर किया गयाडेनमार्क कैंसर इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता उल्ला ह्विडटफेल्ड ने बताया, “अल्ट्राफाइन कण इतने छोटे होते हैं कि वे रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार कर सकते हैं और मस्तिष्क के ऊतकों को प्रभावित कर सकते हैं।”यह अध्ययन डेनमार्क में करीब 40 लाख वयस्कों पर किया गया, जिनकी औसत आयु 35 वर्ष थी और जिन्हें 21 साल तक ट्रैक किया गया। इस दौरान 16,596 लोगों में मस्तिष्क या सेंट्रल नर्वस सिस्टम का ट्यूमर पाया गया, जिनमें से 4,645 को मेनिन्जियोमा था। शोध में ट्रैफिक से होने वाले अल्ट्राफाइन कणों और मेनिन्जियोमा के बीच संभावित संबंध सामने आया। हालांकि, ग्लियोमा जैसे गंभीर मस्तिष्क ट्यूमर और प्रदूषकों के बीच कोई मजबूत संबंध नहीं मिला।ट्रैफिक और अन्य सोर्स से लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से मेनिन्जियोमा का खतरा बढ़ सकता हैह्विडटफेल्ड ने कहा, “अध्ययन बताता है कि ट्रैफिक और अन्य सोर्स से लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से मेनिन्जियोमा का खतरा बढ़ सकता है। यह प्रदूषण के मस्तिष्क पर प्रभाव को दर्शाता है, न कि केवल दिल और फेफड़ों पर।”उन्होंने आगे बताया कि यदि स्वच्छ हवा से ब्रेन ट्यूमर का जोखिम कम हो सकता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस निष्कर्ष की पुष्टि के लिए और अध्ययन की जरूरत है। - प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि उच्च न्यायालय अपने असाधारण न्याय क्षेत्र के तहत यह निर्धारित नहीं कर सकता कि फिजियोथैरेपी में डिग्री एमबीबीएस की डिग्री के समक्ष है या नहीं, यह तय करना राज्य सरकार का काम है। संध्या यादव नामक एक महिला की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा, “फिजियोथैरेपी में ऐसी डिग्री एमबीबीएस की डिग्री के समक्ष है या नहीं, यह तय करना राज्य सरकार का काम है।” उच्च न्यायालय ने चार जुलाई के अपने आदेश में कहा, “जब तक राज्य सरकार या नियुक्ति अधिकारी ऐसी डिग्री को सेवा नियमों के तहत अकादमिक योग्यता के तौर पर आवश्यक नहीं मानता, तबतक यह अदालत उस अधिकारी को इस डिग्री को योग्यता के तौर पर एमबीबीएस की डिग्री के समान विचार करने के लिए निर्देश नहीं देगा।” इस मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 14 जुलाई, 2024 को एक विज्ञापन निकाला जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया जिसके लिए कुछ योग्यता निर्धारित की गई। याचिकाकर्चा आयोग की लिखित परीक्षा में शामिल हुई और परीक्षा उत्तीर्ण की और उसे साक्षात्कार के लिए ‘कॉल लेटर' जारी किया गया। हालांकि, जब याचिकाकर्ता साक्षात्कार के लिए आयोग पहुंची तो उसे साक्षात्कार में शामिल नहीं होने दिया गया । अंतिम परिणाम 29 जनवरी, 2025 को घोषित कर दिया गया और याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी खारिज कर दी गई जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने नियमों के तहत उल्लिखित योग्यता के समकक्ष किसी अन्य योग्यता को अधिसूचित नहीं किया है और नियुक्ति अधिकारी से प्राप्त सूचना के आधार पर आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि फिजियोथैरेपी में स्नातक की डिग्री को ‘मेडिसिन' में डिग्री नहीं माना जाएगा जो खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद के लिए आवश्यक योग्यता है।
- जैसलमेर. राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक दुखद घटना में दो भाइयों और दो बहनों की पानी से भरे एक गड्ढे में डूबने से मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। उसने बताया कि यह घटना पोकरण उपखंड के नई मंगोलाई गांव में हुई। पुलिस का कहना है कि बच्चे खेलते समय बारिश के पानी से भरे एक गड्ढे में गिर गए। यह गड्ढा पहले मिट्टी निकालने के लिए खोदा गया था। मृतकों की पहचान अहमद (12), रिजवान (10), मोहम्मद (3) और शहनाज (8) के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार खेलने के बाद जब बच्चे देर तक घर नहीं लौटे, तो परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने उनकी तलाश शुरू की और पाया कि वे गड्ढे में गिर गए थे। पुलिस ने बताया कि ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें बाहर निकाला और पोकरण के सरकारी अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
- नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को संघ के विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले को “पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति” बताया। नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने राष्ट्र निर्माण के प्रति पिंगले के “मौन समर्पण” और विभिन्न विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता की सराहना की। ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस' पुस्तक का विमोचन करने के बाद, भागवत ने संघ के वरिष्ठ नेता की विनम्रता, दूरदर्शिता और जटिल विचारों को सरल भाषा में समझाने की अद्वितीय क्षमता को याद किया। भागवत ने कहा, “मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अनेक काम यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।” आपातकाल के बाद राजनीतिक मंथन के दौरान पिंगले की भविष्यवाणियों का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, “जब चुनाव का मुद्दा चर्चा में आया, तो मोरोपंत ने कहा था कि अगर सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो लगभग 276 सीटें जीती जा सकती हैं। जब नतीजे आए, तो जीती गई सीटों की संख्या 276 ही थी।'
- अहमदाबाद. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है और अधिक उपज समेत इसके कई लाभ हैं। उन्होंने आगाह किया कि रासायनिक उर्वरकों के साथ गेहूं की खेती से अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। शाह ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति रसायनों और उर्वरकों से मुक्त भोजन करता है, तो उसे किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी। वरिष्ठ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद, वह अपना शेष जीवन प्राचीन भारतीय ग्रंथों वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को देंगे। शाह ने कहा, ‘‘मैंने पहले ही निर्णय ले लिया है कि जब भी मैं सेवानिवृत्त होऊंगा, मैं अपना शेष जीवन वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को समर्पित करूंगा। प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है जिसके कई लाभ हैं।'' केंद्रीय मंत्री ने यह बात ‘सहकार संवाद' के दौरान कही। यह अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की महिला सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ एक संवाद था। शाह के गुजरात दौरे के दौरान अहमदाबाद की साइंस सिटी में पिछले शनिवार और रविवार को हुई इस बातचीत का वीडियो और प्रेस विज्ञप्ति बुधवार को जारी की गई। उन्होंने कहा कि उर्वरकों का उपयोग करके उगाया गया गेहूं थायराइड, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का कारण बन सकता है। शाह ने कहा, ‘‘अगर आप रसायनों और उर्वरकों से मुक्त भोजन का सेवन करते हैं, तो आपको किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी। फसल की पैदावार भी बढ़ेगी, जो प्राकृतिक खेती का एक और लाभ है। अपने खेत में इस कृषि तकनीक को लागू करने के बाद मेरी उपज में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है।'' प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना, प्रकृति के सिद्धांतों का पालन करती है। यह एक पारंपरिक, रसायन-मुक्त खेती का तरीका है जो मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ाने पर केंद्रित है। पीआईबी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘सहकार संवाद' को संबोधित करते हुए, शाह ने कहा कि गुजरात के आणंद जिले में एक सहकारी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई है और इसका नाम भारत के सहकारी आंदोलन के जनक माने जाने वाले त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखा जाएगा।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि भारतीय डाक विभाग ने जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है। सिंधिया ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रखर राष्ट्रवादी नायक, महान स्वतंत्रता सेनानी एवं दूरदर्शी राजनेता, श्रद्धेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय डाक द्वारा स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।'' मंत्री ने कहा कि यह डाक टिकट भारत के राजनीतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान, राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित समावेशी विकास के प्रति उनके अडिग विश्वास को प्रतिबिंबित करता है।
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मुंबई. आयुर्वेद अस्पताल नेटवर्क अपोलो आयुर्वेद ने बुधवार को 15 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के साथ आयुर्वेद उत्पाद खंड में उतरने की घोषणा की। इससे कंपनी को अगले पांच साल में 500 करोड़ रुपये का राजस्व पार करने में मदद मिलेगी। अपोलो आयुर्वेद के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजीव वासुदेवन ने बयान में कहा कि नए क्षेत्र में यह प्रवेश न केवल आंतरिक-बाह्य रोगी देखभाल मॉडल का पूरक है, बल्कि व्यापक राजस्व अवसर भी खोलता है और साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद सेवाओं और उत्पादों को वैश्विक स्तर पर सुलभ बनाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने के दृष्टिकोण को मजबूत करता है। वासुदेवन ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि यह पोर्टफोलियो अगले पांच साल में 500 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य के साथ विकास का एक प्रमुख चालक होगा।'' आयुर्वेद उत्पाद प्रभाग को अपोलो आयुर्वेद की एक व्यावसायिक इकाई के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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विंडहोक. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुधवार को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एनशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस' से नवाजा गया। यह सम्मान नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नेंडी-नदैतवा द्वारा प्रदान किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मान से नवाजे जाने के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘‘नामीबिया का वेल्वित्चिया, जिसके नाम पर यह पुरस्कार रखा गया है, कोई साधारण पौधा नहीं है। यह परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य की तरह है, जिसने समय को गुजरते देखा है। यह नामीबिया के संघर्ष, साहस और संस्कृति का प्रतीक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत और नामीबिया के बीच अटूट मित्रता का साक्षी है। मुझे इससे जुड़कर गर्व महसूस हो रहा है। मैं यह सम्मान साथ-साथ प्रगति कर रहे भारत और नामीबिया के लोगों तथा दोनों देशों की मित्रता को समर्पित करता हूं।'' उन्होंने कहा कि भारत और नामीबिया अपनी आजादी के समय से ही एक-दूसरे के साथ खड़े हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘हमारी दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है और साझा मूल्यों और बेहतर भविष्य के सपनों से जुड़ी हुई है। आने वाले समय में भी हम मिलकर काम करते रहेंगे और विकास के पथ पर साथ-साथ चलते रहेंगे।'' विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यह पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय नेता हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री को यह पुरस्कार प्रदान किया जाना भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर है और यह दोनों देशों की युवा पीढ़ियों के लिए विशेष द्विपक्षीय साझेदारी को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के वास्ते प्रेरणा का स्रोत है।'' मई 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के पदभार ग्रहण करने के बाद से किसी विदेशी सरकार द्वारा उन्हें प्रदान किया गया यह 27वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। सम्मान के प्रशस्ति पत्र के अनुसार, तकनीकी नवाचार, आर्थिक विकास, सामाजिक और जलवायु न्याय तथा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति द्वारा परिभाषित प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व भारत की सीमाओं से परे है। इसमें कहा गया है, ‘‘अफ्रीकी संघ के साथ प्रधानमंत्री मोदी का निरंतर जुड़ाव दक्षिण-दक्षिण सहयोग के प्रति ईमानदार प्रतिबद्धता को दर्शाता है... उनके कार्यकाल के दौरान, भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और दोनों देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सार्थक योगदान हुआ है।'' मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के आखिरी चरण में नामीबिया में हैं।
यह प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया की पहली और भारत से किसी प्रधानमंत्री की तीसरी यात्रा है।
इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री मोदी और नेटुम्बो नेंडी नदैतवा ने द्विपक्षीय वार्ता की, जिसके बाद दोनों देशों ने ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। - नई दिल्ली। विदेश यात्रा अब सिर्फ बड़े शहरों के लोगों की पहुंच तक सीमित नहीं रही। पहली बार विदेश जा रहे भारतीयों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है, और खास बात यह है कि इनमें बड़ी हिस्सेदारी देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों की है। वीजा एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म एटलिस (Atlys) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में पहली बार वीजा के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में 32% की वृद्धि हुई है। इनमें से 56% आवेदन छोटे शहरों जैसे चंडीगढ़, सूरत, पुणे, लखनऊ और जयपुर से आए हैं। ये यात्री न तो बिज़नेस के लिए जा रहे हैं और न ही परिवार से मिलने। ये लोग हैं – नवविवाहित जोड़ों, दोस्तों के साथ छुट्टियों पर जाने वाले युवाओं, पहली विदेश यात्रा पर निकले परिवारों की एक नई पीढ़ी, जो जीवन के खास लम्हों को विदेश में मनाना चाहती है।Atlys के अनुसार, सबसे सक्रिय वर्ग में शामिल हैं:-35 साल से कम उम्र के युवा-हनीमून मनाने वाले नवविवाहित जोड़े-पहली बार विदेश जा रहे परिवारदुबई, थाईलैंड, वियतनाम, और इंडोनेशिया जैसे देशों को ये यात्री अधिक पसंद कर रहे हैं। खासकर वे लोग जो कम बजट में विदेशी अनुभव चाहते हैं। दुबई बार-बार यात्रा करने वालों की पसंदीदा जगह बना हुआ है, जबकि थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश युवा और एडवेंचर पसंद करने वाले यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं। Atlys के संस्थापक और सीईओ मोहक नाहटा कहते हैं, “अब यात्रा को विलासिता नहीं, बल्कि जीवन का एक जरूरी हिस्सा माना जा रहा है। डिजिटल वीजा प्रक्रियाएं, सस्ती अंतरराष्ट्रीय उड़ानें और बढ़ती आमदनी इस ट्रेंड को आगे बढ़ा रही हैं।”क्या कहती है इंटरनेशनल रिपोर्ट्सथॉमस कुक इंडिया और SOTC ट्रैवल की रिपोर्ट ‘इंडिया हॉलिडे रिपोर्ट 2025’ के अनुसार:-2024 में पहली बार विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों की संख्या 3 करोड़ के पार पहुंची-85% लोग अब साल में 4 से 6 बार यात्रा करने की योजना बना रहे हैं-84% लोगों ने कहा कि वे इस साल अपने यात्रा बजट में 20% से 50% तक की वृद्धि करेंगे-2014 से 2023 के बीच 100.9 मिलियन पासपोर्ट जारीविदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2023 के बीच 100.9 मिलियन पासपोर्ट जारी किए गए, जिनमें से 85% भारत में ही जारी हुए। पासपोर्ट सेवा केंद्रों (Passport Seva Kendras) की संख्या 2014 में 153 से बढ़कर 2023 में 523 हो गई है। फिर भी, देश की कुल आबादी में से केवल 8.71% लोगों के पास ही सक्रिय पासपोर्ट है। यह दर्शाता है कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में अब भी बड़ी संख्या में लोग पहली बार विदेश यात्रा करने के अवसर का इंतजार कर रहे हैं।
- नयी दिल्ली।, भारत ने विस्तारित रेंज वाली पनडुब्बी रोधी रॉकेट प्रणाली का परीक्षण किया है, जिससे भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि विस्तारित रेंज पनडुब्बी रोधी रॉकेट (ईआरएएसआर) के उपयोगकर्ता परीक्षण आईएनएस कवरत्ती से सफलतापूर्वक किये गये।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, भारतीय नौसेना और इस प्रणाली के विकास एवं परीक्षण में शामिल उद्योग को बधाई दी। सिंह के कार्यालय ने ‘एक्स' पर कहा, “उन्होंने (रक्षा मंत्री ने) कहा कि इस प्रणाली को सफलतापूर्वक शामिल करने से भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।”
- कारवार। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल शहर में पिछले 70 घंटों में आवारा कुत्तों के हमलों में 15 से ज़्यादा लोग जख्मी हो गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश पीड़ित बच्चे और बुजुर्ग थे, जिन्हें आवासीय क्षेत्रों या बाजारों से गुजरते समय कुत्तों ने काट लिया। हमले छह जुलाई को शुरू हुए और तब से लगातार बढ़ रहे हैं।आवारा कुत्तों के हमलों से जख्मी हुए लोगों का स्थानीय अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है और कई लोगों को 'एंटी-रेबीज' टीके लगाए जा रहे हैं। घटनाओं की बढ़ती संख्या से निवासियों में चिंता पैदा हो गई है और वे नगर निगम अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का आरोप है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी के बारे में पहले भी शिकायतें की गई थीं लेकिन उन्हें नगर निकायों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया। भटकल नगर पालिका के अधिकारियों ने कहा कि वे स्थिति पर नजर रख रहे हैं और शीघ्र ही बंध्याकरण और बचाव अभियान शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
- गंगटोक। सिक्किम में राज्य सरकार की एक पहल से बड़ी संख्या में महिलाओं को राहत मिली हैं क्योंकि वे अब भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर एक साफ-सुथरी, सुरक्षित और निजी जगह में अपने बच्चों को स्तनपान करा पा रही हैं। राज्य के महिला, बाल, वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांग कल्याण एवं विकास विभाग ने इस हिमालयी राज्य के कुल छह जिलों में से पांच जिलों के बड़े बाजारों में छह ‘स्तनपान पॉड' स्थापित किए हैं और छठे जिले में भी इसी तरह की सुविधाएं स्थापित करने की योजना है। इसके अलावा, एक अन्य ‘पॉड' राजधानी गंगटोक में जिला प्रशासन द्वारा संचालित किया जा रहा है।विभाग द्वारा स्थापित नवीनतम ‘स्तनपान पॉड' का उद्घाटन तीन जुलाई को पाक्योंग जिले के पाक्योंग बाजार में किया गया। इस अवसर पर कई महिलाएं भी मौजूद थीं जो इस सुविधा को देखने आई थीं। विभाग की संयुक्त निदेशक पेमा ल्हामू ने बताया, ‘‘अब ये ‘पॉड' गंगटोक, मंगन, नामची, सोरेंग, रंगपो और पाक्योंग शहरों में कार्यरत हैं। हम ग्यालशिंग जिले के मुख्यालय में भी एक और ‘स्तनपान पॉड' स्थापित करेंगे।'' ‘स्तनपान पॉड' एक नवीनतम पहल है।ये ऐसे निजी स्थान होते हैं, जिन्हें सार्वजनिक स्थलों और कार्यस्थलों पर स्तनपान कराने वाली माताओं की सहायता के लिए बनाया गया है। ये सुविधाएं उन्हें एक आरामदायक और सुरक्षित वातावरण प्रदान करती हैं जहां वे अपने बच्चों को स्तनपान करा सकें या थोड़ी देर विश्राम कर सकें। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है क्योंकि पहले माताओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए संकरी गलियों या सार्वजनिक शौचालयों जैसी जगहों का सहारा लेना पड़ता था। ल्हामू ने बताया कि प्रशासन की आगामी दिनों में राज्य के सभी जिला मुख्यालयों और उप-मंडलीय शहरों में और अधिक ‘स्तनपान पॉड' स्थापित करने की योजना है। विभाग की संयुक्त निदेशक ने उस वाकये को साझा किया जिसने सिक्किम में इस पहल की शुरुआत की प्रेरणा दी।
- नयी दिल्ली। अमेरिका के जवाबी शुल्क के निलंबन को एक अगस्त तक बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी। साथ ही भारत और अमेरिका को अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए लंबित मुद्दों को सुलझाने के वास्ते अतिरिक्त समय मिलेगा। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र' भेजे जिसमें उन देशों के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों का ब्योरा है। इन देशों में हालांकि भारत को शामिल नहीं किया गया। बांग्लादेश, बोस्निया एंड हर्जेगोविना, कंबोडिया, इंडोनेशिया, जापान, कजाकिस्तान, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, सर्बिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और ट्यूनीशिया को ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भेजे गए हैं।अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक अलग कार्यकारी आदेश में कई अन्य देशों पर बढ़ाए गए शुल्क को टालने की अवधि एक अगस्त तक बढ़ा दी है। शुल्क पर यह 90 दिवसीय निलंबन नौ जुलाई को समाप्त होना था। इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए निर्यातकों ने कहा कि जवाबी शुल्क लगाने को नौ जुलाई से एक अगस्त तक स्थगित करना अमेरिका की अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने की इच्छा को दर्शाता है। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘ यह वार्ता के लिए एक विस्तारित अवसर प्रदान करता है, जिससे हमारे वार्ताकारों को शेष विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।'' उन्होंने कहा कि प्रस्तावित शुल्क में दायरे में करीब 12 देश आते हैं। हालांकि यदि भारत इस महीने के अंत तक अमेरिका के साथ कम से कम वस्तुओं पर बीटीए (द्विपक्षीय व्यापार समझौता) को अंतिम रूप दे देता है तो तुलनात्मक रूप से अधिक फायदे में होगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा कि यह भारत के लिए राहत की बात है।
- नयी दिल्ली। शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी फिजिक्सवाला (पीडब्ल्यू) ने नियमित ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के लिए यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी की है। कंपनी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। फिजिक्सवाला ने कहा कि छात्र कुछ ऑनलाइन, क्रेडिट आधारित डिग्री कार्यक्रमों में भी प्रवेश ले सकेंगे।कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘फिजिक्सवाला (पीडब्ल्यू) ने छात्रों को नियमित ऑनलाइन कक्षाओं और सीधे शंका समाधान की सुविधाएं देने के लिए यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (वाईसीएमओयू) के साथ साझेदारी की है।'' दोनों संस्थान चार कार्यक्रम - मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए), मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन (एमसीए), मास्टर ऑफ आर्ट्स इन इंग्लिश (एमए इंग्लिश), और बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन (बीसीए) शुरू कर रहे हैं। फिजिक्सवाला के सीबीओ (नयी पहल) आदित्य अग्रवाल ने कहा कि वाईसीएमओयू के साथ यह साझेदारी विद्यार्थियों के लिए डिजिटल रूप से डिग्री कार्यक्रमों तक पहुंचने में मददगार होगी।
- नई दिल्ली। ब्राजील ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनकी देश की राजकीय यात्रा के दौरान अपने सर्वोच्च सम्मान, ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस से सम्मानित किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है। यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी के लिए 26वां वैश्विक सम्मान था तथा 2 जुलाई से शुरू हुई उनकी पांच देशों की यात्रा का तीसरा सम्मान था।यह प्रतिष्ठित पुरस्कार महज एक पदक नहीं है, यह इस बात का प्रमाण है कि दुनिया उनके मजबूत नेतृत्व और दूरदर्शिता को किस प्रकार मान्यता देती है। जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे हर भारतीय का गौरव भी बढ़ता जा रहा है। प्रत्येक सम्मान वैश्विक मंच पर एक स्पॉटलाइट के रूप में कार्य करता है, जो हमारे राष्ट्र की ताकत और भावना को प्रदर्शित करता है।इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को पोर्ट ऑफ स्पेन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान कैरेबियाई देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से सम्मानित होने वाले पहले विदेशी नेता बन गए। त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने भारतीय प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सम्मान उनके वैश्विक नेतृत्व, भारतीय प्रवासियों के साथ गहरे संबंधों और कोविड-19 महामारी के दौरान उनके मानवीय प्रयासों के लिए दिया जा रहा है।पिछले बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी को त्रिनिदाद पहुंचने से ठीक पहले अकरा में घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा द्वारा उनकी “प्रतिष्ठित राजनेता और प्रभावशाली वैश्विक नेतृत्व” के सम्मान में देश के राष्ट्रीय सम्मान ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया गया था।वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि ये पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी के बेजोड़ कद को रेखांकित करते हैं। उनका मानना है कि भारत के किसी भी प्रधानमंत्री का वैश्विक स्तर पर इतना गहरा प्रभाव कभी नहीं रहा क्योंकि वे एक ऐसे वैश्विक राजनेता हैं जो क्षेत्रीय शांति, विकास और आध्यात्मिक कूटनीति के लिए प्रतिबद्ध हैं।मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी का ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने ब्रासीलिया के अल्वोराडा पैलेस में गर्मजोशी से स्वागत किया। रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद वे देश की राजकीय यात्रा पर आये थे।
- नई दिल्ली। सरकारी बैंक अपनी ग्राहक सेवा को बेहतर करने के लिए स्थानीय भाषा में निपुण अधिकारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया तेज कर रहे हैं। इसके अलावा कर्मचारियों को स्थानीय भाषा में प्रशिक्षित करने की भी तैयारी चल रही है। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब शाखा कर्मचारियों में स्थानीय भाषा का ज्ञान न होने के कारण ग्राहकों को होने वाली असुविधाओं के मामले बढ़ रहे हैं।पिछले सप्ताह बैंक ऑफ बड़ौदा ने देश भर में 2,500 स्थानीय बैंक अधिकारियों की भर्ती करने के लिए विज्ञापन जारी किया था। उसमें कहा गया था कि गुजरात में 1,160, महाराष्ट्र में 485 और कर्नाटक में 450 स्थानीय बैंक अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। बैंकों में स्थानीय भाषा बोलने वाले कर्मचारियों की बढ़ती मांग के बीच स्थानीय भाषा में दक्षता को पात्रता मानदंड बनाया गया है।बैंक ऑफ बड़ौदा के भर्ती विज्ञापन में कहा गया है, ‘उम्मीदवारों को उस राज्य की स्थानीय भाषा में प्रवीण होना चाहिए जिसके लिए वे आवेदन कर रहे हैं।’ यानी उन्हें स्थानीय भाषा पढ़ने, लिखने, बोलने और समझने की काबिलियत होनी चाहिए। उम्मीदवारों को किसी खास राज्य के लिए ही आवेदन करने की अनुमति दी गई है।इनकी नियुक्ति स्केल-1 अधिकारी अथवा कनिष्ठ प्रबंधन श्रेणी के कर्मचारी के तौर पर की जाएगी। उन्हें केवल उसी राज्य में अपनी सेवाएं देनी होंगी जिसके लिए उनकी नियुक्ति की जाएगी। उन्हें 12 साल अथवा स्केल-4 (मुख्य प्रबंधक ग्रेड) में से जो भी पहले हो, तक भर्ती किया जाएगा।बैंक ऑफ बड़ौदा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम स्थानीय भाषा में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि हम अपने ग्राहकों को दूसरे बैंकों की ओर जाने नहीं देना चाहते हैं। विजया बैंक के साथ विलय के बाद हम स्थानीय भाषा में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी मई 2025 में एक विज्ञापन जारी कर स्थानीय भाषा में दक्षता रखने वाले 2,600 सर्किल बैंक अधिकारियों की भर्ती करने की घोषणा की है।एसबीआई ने विज्ञापन में कहा था, ‘किसी विशेष सर्कल की रिक्तियों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को उस सर्कल की किसी भी निर्दिष्ट स्थानीय भाषा में कुशल होना चाहिए यानी उसे पढ़ने, लिखने और समझने का ज्ञान होना चाहिए।’ एसबीआई की कुल रिक्तियों में से 250 बेंगलूरु सर्कल के लिए, 240 अहमदाबाद के लिए और 200 भोपाल के लिए थीं।बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सरकारी बैंक अपने कर्मचारियों को स्थानीय भाषा में प्रशिक्षित करने की भी योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा खास तौर पर ग्रामीण शाखाओं के लिए किया जा रहा है ताकि ग्राहक सेवा को बेहतर किया जा सके।सरकारी बैंकों द्वारा यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब बैंक कर्मियों के स्थानीय भाषा में बातचीत करने में असमर्थता के कई मामले सामने आए हैं। उनकी इस असमर्थता से ग्राहक निराश हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, भारतीय स्टेट बैंक और केनरा बैंक जैसे बड़े सरकारी बैंक अपने मौजूदा कर्मचारियों को स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण देने योजना बना रहे हैं।एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अखिल भारतीय स्तर पर भर्ती किए जाने वाले प्रोबेशनरी ऑफिसर, जूनियर ऑफिसर एवं अन्य स्तर के अधिकारियों को उस राज्य की स्थानीय भाषा में प्रशिक्षित किया जाएगा जहां उनकी नियुक्ति की गई है।’वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से ऐसे लोगों को तैनात करने के लिए कहा था जो ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय भाषा में बोल और समझ सकें।
- नई दिल्ली। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और वित्त मंत्रालय ने उस खबर का खंडन किया है जिसमें बैंकों को निष्क्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों को बंद करने का निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि डीएफएस, वित्त मंत्रालय द्वारा बैंकों से निष्क्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों को बंद करने से संबंधित मीडिया में आई खबरों के बाबत वित्तीय सेवा विभाग ने कहा है कि उसने बैंकों से निष्क्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों को बंद करने के लिए नहीं कहा है।दरअसल, डीएफएस द्वारा 1 जुलाई से पूरे देश में जन धन योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना को अपनाने के लिए तीन महीने का एक अभियान शुरू किया गया है। बैंक इस अभियान के दौरान सभी देय खातों का पुनः केवाईसी भी करेंगे। वित्तीय सेवा विभाग निष्क्रिय पीएमजेडीवाई खातों की संख्या की निरंतर निगरानी करता है और बैंकों को सलाह दी गई है कि वे अपने खातों को परिचालन में लाने के लिए संबंधित खाताधारकों से संपर्क करें।वित्त मंत्रालय ने कहा कि पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या में लगातार वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है और निष्क्रिय पीएमजेडीवाई खातों के बड़े पैमाने पर बंद होने की कोई घटना विभाग के संज्ञान में नहीं आई है।
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भुवनेश्वर.ओडिशा में मंगलवार को रसगुल्ला दिवस मनाया गया, जो वार्षिक रथ यात्रा के बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के मंदिर में अपने निवास स्थान पर लौटने का प्रतीक है। रसगुल्ला दिवस 'नीलाद्रि बिजे' पर मनाया जाता है, जो देवताओं के मंदिर में लौटने की रस्म है और इस दिन उन्हें औपचारिक रूप से मिठाई चढ़ाई जाती है। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने कहा, ‘‘नीलाद्रि बिजे और रसगुल्ला दिवस के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं और ओडिशा के निवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। नीलाद्रि बिजे और रसगुल्ला दिवस ओडिया संस्कृति, भक्ति और गौरव का जीवंत प्रतिबिंब है। इस पवित्र परंपरा पर सभी को भगवान का आशीर्वाद मिले। जय जगन्नाथ।'' नीलाद्रि बिजे को 2015 से रसगुल्ला दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।
शोधकर्ता असित मोहंती ने कहा, ‘‘प्रारंभिक दिनों में मंदिर में इस मिठाई को ‘खीर मोहन' के नाम से जाना जाता था। यह रसगुल्ले के समान ही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रसगुल्ला बंगाल के रसगुल्ले से बिलकुल अलग है। बंगाल का रसगुल्ला 1868 में अस्तित्व में आया, जबकि यहां इस मिठाई की शुरुआत करीब 500 साल पहले हुई थी। बलराम दास द्वारा लिखित दानी रामायण में रसगुल्ले का उल्लेख है।'' मोहंती ने रसगुल्ले की उत्पत्ति का पुरी मंदिर से संबंध का पता लगाने के लिए साक्ष्य जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि सदियों से भक्त 'नीलाद्रि बिजे' पर भगवान जगन्नाथ को रसगुल्ला चढ़ाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि रसगुल्ला की उत्पत्ति पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल को अपने रसगुल्ले का आनंद लेने दें और हमें अपने रसगुल्ले का।''
पूरे राज्य में लोग इस दिन को मनाने के लिए रसगुल्ले का आदान-प्रदान करते हैं, मिठाई की दुकानों पर खूब भीड़ होती है। भुवनेश्वर और कटक के बीच राजमार्ग के किनारे स्थित पाहाला गांव में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जहां रसगुल्ले की कई दुकानें हैं। प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने इस अवसर पर अपनी कलाकृति की एक तस्वीर ‘एक्स' पर साझा की।
उन्होंने कहा, ‘‘जय जगन्नाथ... नीलाद्रि बिजे के पावन अवसर पर, महाप्रभु जगन्नाथ रत्न सिंहासन पर लौटते समय महालक्ष्मी को रसगुल्ला अर्पित करते हैं। ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर मेरी रेत कला इस अनूठी रस्म के लिए है। '' -
मुरादाबाद (उप्र). अमरोहा जिले के हैबतपुर गांव के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर ‘रील' बनाने के लिए सांप को चूमने का प्रयास किया जिसके बाद सांप ने उसकी जीभ पर डस लिया। व्यक्ति की हालत गंभीर है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, जिसकी लोगों ने तीखी आलोचना की है। यह घटना शुक्रवार शाम को अमरोहा जिले के हैबतपुर गांव में हुई, जहां किसान जितेंद्र कुमार (50) ने सांप को बचाने के बाद उसके साथ एक वीडियो बनाने का फैसला किया। लोगों को प्रभावित करने के लिए कुमार ने सांप के साथ फोटो खिंचवाई और रील बनवायी जिसे वहां मौजूद कई लोगों ने रिकॉर्ड किया। स्थानीय लोगों के अनुसार कुमार उस समय नशे में था और धूम्रपान कर रहा था।
कथित वीडियो में कुमार को सांप को अपनी गर्दन के चारों ओर लपेटते हुए और धीरे-धीरे उसके सिर को अपने मुंह की ओर लाते हुए देखा जा सकता है। जैसे ही उसने अपनी जीभ सांप की ओर बढ़ाई, सांप ने अचानक हमला किया और सीधे उसकी जीभ पर काट लिया। इससे वहां खड़े लोग भयभीत हो गए। सर्पदंश के बाद कुमार की हालत बिगड़ गई। उसे नजदीक एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में उसे एक अन्य अस्पताल के लिए ‘रेफर' कर दिया गया। गांव के मुखिया जयकीरत सिंह ने बताया कि घटना वाले दिन इलाके में एक दीवार से सांप निकला था, जिससे दहशत फैल गई। घटनास्थल पर पहुंचे कुमार ने सांप को पकड़ लिया था। सिंह ने कहा, "वह सांप को पकड़े हुए था और उसे चूमने का प्रयास कर रहा था। जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई, सांप ने उसकी जीभ पर काट लिया। जितेंद्र ने सांप को छोड़ दिया, जो फिर (सांप) पास की झाड़ियों में चला गया। -
नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की। पिछली बार ऐसी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। अधिसूचना में कहा गया है कि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना एक अक्टूबर 2026 से तथा देश के बाकी हिस्सों में एक मार्च 2027 से की जाएगी। इसमें कहा गया, ‘‘ उक्त जनगणना के लिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के बर्फ बारी वालों क्षेत्रों के अलावा बाकी राज्यों के लिए संदर्भ तिथि एक मार्च, 2027 को 00.00 बजे होगी।'' इसमें कहा गया है कि लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के बर्फ से ढके क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि एक अक्टूबर 2026 को 00:00 बजे होगी। देश भर से जनसंख्या संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराने का यह विशाल कार्य लगभग 34 लाख गणनाकर्ताओं और पर्यवेक्षकों तथा डिजिटल उपकरणों से लैस लगभग 1.3 लाख जनगणना कर्मियों द्वारा किया जाएगा। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी की जाएगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को यहां केंद्रीय गृह सचिव, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण में - हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (एचएलओ) - प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। इसके बाद, दूसरे चरण में - जनसंख्या गणना (पीई) जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक स्थिति और प्रत्येक घर में प्रत्येक व्यक्ति का अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा। -
नयी दिल्ली. दिल्ली हवाई अड्डा वर्ष 2024 में 7.7 करोड़ से अधिक यात्रियों को संभालने के साथ दुनिया का नौंवां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा रहा। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। ‘एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल' (एसीआई) की दुनिया के 20 सबसे व्यस्त हवाई अड्डों की सूची में अमेरिका का अटलांटा हवाई अड्डा 10,80,67,766 यात्रियों की आवाजाही के साथ शीर्ष पर रहा। इसके बाद दुबई हवाई अड्डा (9,23,31,506 यात्री) दूसरे स्थान पर और अमेरिका का डलास/फोर्ट वर्थ हवाई अड्डा (8,78,17,864 यात्री) तीसरे स्थान पर हैं। मंगलवार को जारी एक बयान के मुताबिक, ‘‘2024 में वैश्विक यात्री यातायात 9.4 अरब यात्रियों की आवाजाही के साथ एक नए उच्चस्तर पर पहुंच गया। यह आंकड़ा 2023 से 8.4 प्रतिशत और महामारी-पूर्व (2019) के स्तर से 2.7 प्रतिशत अधिक है।'' सूची में शामिल शीर्ष 20 हवाई अड्डों पर पिछले साल हवाई यात्रा करने वाले कुल 1.54 अरब यात्रियों की आवाजाही रही, जो वैश्विक यातायात का 16 प्रतिशत है। पिछले साल दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने 7.78 करोड़ यात्रियों को संभाला, जिससे इसकी रैंकिंग सुधरकर नौंवें स्थान पर आ गई, जबकि 2023 में यह 10वें स्थान पर था। यह आंकड़ा विमान में सवार और विमान से उतरने वाले कुल यात्रियों की संख्या पर आधारित है, जबकि ठहराव स्थल के तौर पर ट्रांजिट यात्रियों की गिनती एक बार की गई है। एसीआई ने कहा कि इस सूची में अमेरिका के सर्वाधिक छह हवाई अड्डे शामिल हैं। सूची के शीर्ष 10 हवाई अड्डों में जापान का हानेडा (चौथे), लंदन का हीथ्रो (पांचवें), अमेरिका का डेनवर (छठे), तुर्किये का इस्तांबुल (सातवें), अमेरिका का शिकॉगो (आठवें) और चीन का शंघाई (10वें) भी शामिल है। एसीआई 170 देशों में कुल 2,181 हवाई अड्डों का संचालन करने वाले 830 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
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नयी दिल्ली. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईसीटी) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में फास्टैग के जरिये राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह 19.6 प्रतिशत बढ़कर 20,681.87 करोड़ रुपये हो गया। एनईटीसी के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में टोल उपयोगकर्ताओं की संख्या भी 16.2 प्रतिशत बढ़कर 117.3 करोड़ हो गई। एक साल पहले की इसी अवधि में यह 100.98 करोड़ थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एक अप्रैल, 2025 से देशभर के राजमार्ग खंडों पर टोल शुल्क में औसतन 4-5 प्रतिशत की वृद्धि की थी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में कहा था कि सरकार 15 अगस्त से निजी वाहनों के लिए 3,000 रुपये की कीमत वाला फास्टैग-आधारित वार्षिक पास पेश करेगी।
- नयी दिल्ली। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने मंगलवार को अपने दैनिक बुलेटिन में बताया कि असम, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चार नदियों में भीषण बाढ़ आ गयी है, जबकि 11 अन्य नदियां चेतावनी स्तर से ऊपर बह रही हैं। बुलेटिन के अनुसार, किसी भी नदी ने पिछले उच्चतम बाढ़ स्तर को पार नहीं किया है, जबकि असम के गोलाघाट जिले में धनसिरी (दक्षिण) और नुमालीगढ़ में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी मंडला में 437.67 मीटर की ऊंचाई पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी, हालांकि जल स्तर में कमी देखी गयी है। वहीं, महाराष्ट्र के भंडारा में वैनगंगा नदी ने खतरे के निशान को पार कर लिया है। इनके अलावा, असम, बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में 11 नदियां ‘‘सामान्य से ऊपर'' श्रेणी में दर्ज की गयी हैं, जहां जल स्तर चेतावनी स्तर को पार कर चुका है लेकिन खतरे के स्तर से नीचे बना हुआ है। इनमें असम की कई नदियां शामिल हैं, जैसे नेमाटीघाट और तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी, शिवसागर में दीखौ नदी और करीमगंज में कुशियारा नदी, जहां जल स्तर में गिरावट या स्थिरता देखी गई। यह संकेत देता है कि बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है। उत्तर प्रदेश में एल्गिनब्रिज पर घाघरा नदी, बिहार के डुमरिया घाट पर गंडक नदी, और ओडिशा में बैतरणी तथा जलका नदियां भी चेतावनी स्तर से ऊपर बह रही हैं, हालांकि इनके जल बहाव में भिन्नता देखी गई है। इस बीच, सीडब्ल्यूसी ने 35 बांधों और बैराज के लिए जलप्रवाह पूर्वानुमान जारी किए हैं, जहां पानी का बहाव खतरे की सीमा से ऊपर पहुंच गया है। इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के प्रमुख जलाशय शामिल हैं, जैसे श्रीशैलम, मैथन, आलमट्टी, इंदिरा सागर और दुर्गापुर बैराज। कुछ स्थानों पर स्थानीय स्तर पर भीषण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, लेकिन देशभर में कहीं भी अत्यंत भीषण बाढ़ की स्थिति नहीं देखी गई है।
- नयी दिल्ली। केंद्रीय और क्षेत्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी बुधवार को नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में देश भर में हड़ताल पर जाएंगे। कर्मचारियों की हड़ताल से बैंकिंग, डाक और अन्य सेवाओं में व्यवधान पैदा होने की आशंका है। श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन 26,000 रुपये करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से देशव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। एक श्रमिक संगठन के पदाधिकारी ने मंगलवार को कहा कि आम हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित हो सकती हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।सीटू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठन चार श्रम संहिताओं को हटाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, ठेका व्यवस्था खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने के साथ ही किसान संगठनों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ऋण माफी की मांग पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए आम हड़ताल में हिस्सा नहीं लेने की बात कही है। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव ए आर सिंधु ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों सहित लगभग 25 करोड़ श्रमिकों के आम हड़ताल में भाग लेने की संभावना है। सिंधु ने कहा, ‘‘इस दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और बैंकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘असंगठित क्षेत्र के सारे कर्मचारी संभवतः विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो पाएंगे लेकिन उन्हें भी संगठित किया जाएगा। इस दौरान सड़क पर आवागमन रोकने एवं ‘रेल रोको' प्रदर्शन भी किया जाएगा।'' सिंधु ने कहा कि देश में श्रमिकों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने हड़ताल को मजदूरों और किसानों की उभरती एकता को मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भी हमने संयुक्त कार्रवाई की थी, यह भविष्य की कार्रवाई के लिए मजदूरों और किसानों को अधिक मजबूत करेगा।'' संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) नौ जुलाई को देश भर में तहसील स्तर पर स्वतंत्र रूप से और साथ ही ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों के समन्वय से विरोध रैलियां करेगा। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने भी देश भर के मनरेगा श्रमिकों से आम हड़ताल में भाग लेने का आह्वान किया है। उनकी मांगों में 800 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी देने और पश्चिम बंगाल में मनरेगा को दोबारा शुरू करने जैसी मांगें शामिल हैं। श्रमिक संगठनों ने कहा कि वर्ष 1991 में देश में नव-उदारवादी नीतियां लागू किए जाने के बाद से यह 22वीं आम हड़ताल है। पहले यह हड़ताल 20 मई को होने वाली थी लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के चलते इसे आगे के लिए टाल दिया गया था। हड़ताल में शामिल श्रम संगठनों में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।