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- नई दिल्ली। भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के खिलाफ तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया। उसने पाकिस्तान को ड्रोन और हथियारों की आपूर्ति की, जिसके बाद अब भारत में तुर्की के विरोध में स्वर उठने लगे हैं। भारत के कई संगठनों और आम लोगों ने तुर्की और वहां की वस्तुओं व सेवाओं को बैन करने की मांग की है।लगातार बढ़ते तुर्की से सेब आयात ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।हिमालयी सेब उत्पादक किसानों के संगठन “हिमालयन एप्पल ग्रोअर्स सोसाइटी” ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तुर्की से सेब आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि लगातार बढ़ते तुर्की से सेब आयात ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।2023-24 में तुर्की से आयातित सेब का मूल्य 821 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका हैपत्र में संगठन ने बताया कि इन राज्यों में लाखों परिवार सीधे तौर पर सेब उत्पादन और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर हैं। यह केवल उनकी आजीविका का प्रश्न नहीं, बल्कि इन राज्यों की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ा हुआ है। तुर्की से सेब आयात में साल दर साल वृद्धि हुई है और अब यह भारतीय बागवानों के लिए एक गंभीर प्रतिस्पर्धा बन गया है। उदाहरण के तौर पर, 2023-24 में तुर्की से आयातित सेब का मूल्य 821 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। इससे स्थानीय सेब की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे बागवानों को लागत मूल्य भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है।आयातित सेबों के लिए कठोर क्वालिटी और फाइटोसेनेटरी मानक निर्धारित करने की मांग की हैइस संदर्भ में संगठन ने सरकार से तुर्की से सेब के आयात पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसके साथ ही, अन्य देशों से आयातित सेब पर ‘न्यूनतम आयात मूल्य’ (एमआईपी) लागू करने की मांग भी की गई है। इसके अलावा, आयातित सेबों के लिए कठोर क्वालिटी और फाइटोसेनेटरी मानक निर्धारित करने, हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष बागवानी संरक्षण नीति बनाने और सेब उत्पादक किसानों को समर्थन मूल्य या प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करने की मांग भी शामिल है।यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो देश के पारंपरिक सेब उत्पादक क्षेत्र गंभीर संकट का सामना करने के लिए मजबूर हो सकते हैंसंगठन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश के पारंपरिक सेब उत्पादक क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर सकते हैं। बता दें कि फरवरी 2023 में तुर्की में आए महाविनाशकारी भूकंप के बाद भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था। इस दौरान भारत की ओर से ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर तुर्की के लोगों की मदद की गई थी। ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भारत ने तुर्की में जाकर न केवल लोगों को बचाया था, बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भेजी थी।
- नई दिल्ली। पाकिस्तान में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के एक्शन से देशभर में गर्व और उत्साह की लहर है। इसी जज़्बे को शब्दों और कार्यों में बदलते हुए असम के गुवाहाटी स्थित एक उद्यमी ने अनोखे तरीके से भारतीय सेना को सलाम किया है।भारतीय सेना की वीरता को सलाम करते हुए एक विशेष चाय ‘सिंदूर : द प्राइड’ लॉन्च की गईशहर के प्रमुख चाय उद्यमी और एरोमिका टी के निदेशक रंजीत बरुआ ने भारतीय सेना की वीरता को सलाम करते हुए एक विशेष चाय “सिंदूर द प्राइड” लॉन्च की है। यह चाय 7 मई को भारतीय सेना के पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकियों के ठिकाने पर की गई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की स्मृति में तैयार की गई है। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को पहलगाम हमले के बाद करारा जवाब दिया है।सिंदूर भारतीय समाज में सम्मान और गौरव का प्रतीक हैरंजीत बरुआ ने बताया कि “सिंदूर भारतीय समाज में सम्मान और गौरव का प्रतीक है। मैंने इसी भावना को समर्पित करते हुए यह विशेष चाय पैकेट तैयार किया है। यह किसी व्यावसायिक मंशा से नहीं, बल्कि भारतीय सेना को सलाम करने के उद्देश्य से किया गया है।”इस चाय में हलमारी गोल्डन ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी चाय का मिश्रण किया गया हैइस चाय में हलमारी गोल्डन ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी चाय का मिश्रण किया गया है। इसका रंग सिंदूर जैसा लाल होता है, जो परंपरा और बलिदान का प्रतीक है। साथ ही, यह पैकेट विशेष रूप से भारतीय सेना को उपहार स्वरूप भेंट किए जाएंगे।बरुआ अगले सप्ताह यह चाय पैकेट सेना को सौंपने की योजना बना रहे हैंबरुआ ने बताया कि वह अगले सप्ताह यह चाय पैकेट सेना को सौंपने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि जैसे हर खुशी के मौके पर हम चाय के साथ जश्न मनाते हैं, वैसे ही देश की इस बड़ी सैन्य सफलता को भी एक कप विशेष चाय के साथ याद किया जाना चाहिए।पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी को देशभर में सेलिब्रेट किया जा रहा हैबता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी को देशभर में सेलिब्रेट किया जा रहा है। इसे लेकर भाजपा ‘तिरंगा यात्रा’ निकाल रही है। वहीं, आम लोग भी आतंक के खिलाफ इस जीत को अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट कर रहे हैं।
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नयी दिल्ली. सामरिक मामलों के एक विशेषज्ञ ने बुधवार को कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत पेश किया और आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने एवं पाकिस्तान पर अपनी सैन्य श्रेष्ठता दर्शाने के अपने सामरिक उद्देश्यों को पूरा करने से भी आगे जा कर बेहतर प्रदर्शन किया। अमेरिकी ‘थिंक टैंक' ‘मॉडर्न वार इंस्टीट्यूट' में ‘अर्बन वारफेयर स्टडीज' के अध्यक्ष जॉन स्पेंसर ने कहा कि भारत ने सात मई को शुरू किए गए अपने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में किसी भी लक्ष्य पर ‘‘अपनी इच्छानुसार'' हमला कर सकने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया और सीमा पार आतंकवाद के लिए ‘‘चेतावनी वाली नयी रेखा'' खींच कर उसे लागू किया। ‘मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट' (एमडब्ल्यूआई) खुद को ‘यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री अकेडमी' के ऐसे राष्ट्रीय संसाधन के रूप में वर्णित करता है जो हालिया संघर्षों का अध्ययन करता है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। भारत की कार्रवाई के बाद जब पाकिस्तान ने भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों और असैन्य क्षेत्रों को निशाना बनाने का प्रयास किया तो भारतीय सशस्त्र बलों ने चार दिनों की अवधि में ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भीषण जवाबी हमले किए। इसके बाद दोनों पक्षों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर 10 मई की दोपहर को सहमति बनी। स्पेंसर ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच संघर्ष पर एक लेख में लिखा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल अपने सामरिक उद्देश्यों को पूरा किया बल्कि उससे भी आगे निकलकर काम किया। इसके तहत आतंकवादी ढांचों को नष्ट किया गया, सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया गया, हमले रोकने की क्षमता को दर्शाया गया और एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत को पेश किया गया।'' उन्होंने संघर्ष के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करते हुए कहा, ‘‘चेतावनी वाली एक नयी रेखा खींची गई और उसे लागू किया गया। यह रेखा है : पाकिस्तानी धरती से होने वाले आतंकवादी हमलों का अब सैन्य बल से सामना होगा।'' स्पेंसर ने कहा, ‘‘यह कोई धमकी नहीं है। यह एक मिसाल है।
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नई दिल्ली। कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा के परिणामों के बाद छात्रों को सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने मुफ्त में मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं के दूसरे चरण की शुरुआत की है। यह हेल्पलाइन 13 मई से शुरू हो चुकी है और 28 मई 2025 तक उपलब्ध रहेगी।
बोर्ड ने इस तनावपूर्ण समय में छात्रों और उनके परिवारों की मानसिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया हैसीबीएसई द्वारा 37 लाख से अधिक छात्रों के परिणाम घोषित किए जाने के बाद जिसमें 93.66% की सफलता दर के साथ 22 लाख से अधिक छात्र कक्षा 10 में सफल हुए और 88.39% की पास दर के साथ लगभग 15 लाख छात्र कक्षा 12 में उत्तीर्ण हुए। बोर्ड ने इस तनावपूर्ण समय में छात्रों और उनके परिवारों की मानसिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है। सीबीएसई परिणाम 2025 की मार्कशीट छात्र अपने रोल नंबर, एडमिट कार्ड आईडी, स्कूल कोड और जन्म तिथि जैसी लॉगिन जानकारियों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। यह मुफ्त परामर्श सेवा विभिन्न प्रकार के सहयोग प्रदान करती है, जिसमें शामिल हैं:टेली-काउंसलिंग सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक आयोजित की जाएगीआईवीआरएस समर्थन (24×7): छात्र और अभिभावक 1800-11-8004 पर कॉल करके तनाव प्रबंधन, समय प्रबंधन और अन्य परीक्षा-संबंधित समस्याओं पर तुरंत सलाह प्राप्त कर सकते हैं। टेली-काउंसलिंग: सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक, भारत और विदेशों में स्थित सीबीएसई स्कूलों के 65 प्रशिक्षित विशेषज्ञ जिनमें प्राचार्य, काउंसलर और विशेष शिक्षक शामिल हैं, दूरभाष पर मार्गदर्शन देंगे।छात्र इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सीबीएसई वेबसाइट के “काउंसलिंग” अनुभाग में जा सकते हैं या CBSE HQ के यूट्यूब चैनल पर विज़िट कर सकते हैंऑनलाइन संसाधन: सीबीएसई की वेबसाइट और आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक दबाव को संभालने जैसे विषयों पर पॉडकास्ट और वीडियो उपलब्ध हैं। छात्र इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सीबीएसई वेबसाइट के “काउंसलिंग” अनुभाग में जा सकते हैं या CBSE HQ के यूट्यूब चैनल पर विज़िट कर सकते हैं।यह सराहनीय पहल ऐसे समय में की गई है जब छात्र न केवल अपने बोर्ड परिणामों पर चिंतन कर रहे हैं, बल्कि CUET, JEE, और NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैंयह सराहनीय पहल ऐसे समय में की गई है जब छात्र न केवल अपने बोर्ड परिणामों पर चिंतन कर रहे हैं, बल्कि CUET, JEE, और NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। सीबीएसई की यह परामर्श सेवा यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि छात्रों की भावनात्मक भलाई उनके शैक्षणिक सफर के अगले चरण में भी प्राथमिकता बनी रहे। - नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने आज बुधवार को तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ अपने समझौते को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा की और लिखा, “राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते जेएनयू और इनोनू यूनिवर्सिटी, तुर्किए के बीच समझौता निलंबित किया जाता है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।” यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब तुर्किए और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए जाने के बाद भारत में इन दोनों देशों के खिलाफ जनभावनाएं तेज हो गई हैं। ये घटनाक्रम भारत द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सामने आया है, जिसके बाद देश में तुर्किए और अजरबैजान की यात्रा पर व्यापक बहिष्कार देखने को मिला है।गौरतलब है कि 8 मई की रात पाकिस्तान ने लेह से सर क्रीक तक 36 स्थानों पर ड्रोन घुसपैठ की कोशिश की। रक्षा अधिकारियों के अनुसार इन ड्रोन हमलों में लगभग 300 से 400 ड्रोन शामिल थे, जिनमें से कई तुर्की निर्मित थे। भारतीय सशस्त्र बलों ने कई ड्रोन को ‘काइनेटिक’ और ‘नॉन-काइनेटिक’ तरीकों से मार गिराया। प्रारंभिक फॉरेंसिक जांच में पुष्टि हुई है कि इन ड्रोन में ‘Asisguard Songar’ और ‘Yiha’ (या YEEHAW) जैसे तुर्की मूल के UAV शामिल थे। इस पूरी स्थिति से यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रीय भावना कितने गहराई से जुड़े हुए हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत में तुर्किए और अजरबैजान का बहिष्कार जोर पकड़ चुका है और इसके चलते पर्यटन उद्योग पर गहरा असर पड़ा है।गौरतलब है कि 7 मई की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों सटीक स्ट्राइक की थी। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में की गई थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए कहा कि 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की एयर स्ट्राइक के बाद अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद के खिलाफ नई नीति है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत उत्तर प्रदेश में सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी। इससे 3,700 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होगा। यह यूनिट एचसीएल और फॉक्सकॉन का संयुक्त उद्यम है। दोनों मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (यीडा) एरिया में जेवर हवाई अड्डे के पास प्लांट स्थापित करेंगे।
यह प्लांट 20,000 वेफर्स प्रति माह के लिए डिजाइन किया गया है और डिजाइन आउटपुट क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रति माह है। इस प्लांट में मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले वाले दूसरे डिवाइस के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण होगा।कैबिनेट नोट के अनुसार, ”भारत में लैपटॉप, मोबाइल, सर्वर, मेडिकल डिवाइस, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के तेजी से विकास के साथ सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ रही है, यह नई यूनिट प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को और आगे बढ़ाएगी।”एचसीएल हार्डवेयर डेवलप करने और मैन्युफैक्चर करने को लेकर वर्षों से काम कर रही है। जबकि, फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में एक प्रमुख वैश्विक कंपनी है। कैबिनेट ने कहा, “पांच सेमीकंडक्टर यूनिट निर्माण के एडवांस स्टेज में हैं। इस छठी यूनिट के साथ भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने की अपनी यात्रा में आगे बढ़ता है।”कैबिनेट नोट में आगे कहा गया, “सेमीकंडक्टर उद्योग अब पूरे देश में आकार ले रहा है। देश भर के कई राज्यों में विश्व स्तरीय डिजाइन सुविधाएं सामने आई हैं।” 270 शैक्षणिक संस्थानों और 70 स्टार्टअप में छात्र और उद्यमी नए उत्पादों को विकसित करने के लिए विश्व स्तरीय नवीनतम डिजाइन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इन शैक्षणिक छात्रों द्वारा विकसित लगभग 20 उत्पादों को एससीएल मोहाली ने अपने साथ जोड़ा है।जैसे-जैसे देश सेमीकंडक्टर की यात्रा में आगे बढ़ रहा है, इकोसिस्टम पार्टनर्स ने भी भारत में अपने प्लांट स्थापित किए हैं।एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च दो सबसे बड़े उपकरण निर्माता हैं। दोनों की अब भारत में मौजूदगी है। मर्क, लिंडे, एयर लिक्विड, आईनॉक्स और कई दूसरे गैस और रासायनिक आपूर्तिकर्ता देश में सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास के लिए कमर कस रहे हैं। -
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की अस्मिता (पहचान) का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सशस्त्र सेनाओं की ताकत और सरकार की नई रक्षा नीति को दर्शाता है। वैष्णव ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य कार्रवाई ने देश की रणनीतिक क्षमता और सशक्त नेतृत्व को स्पष्ट किया है।
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर भारत की अस्मिता, हमारी सेनाओं की निर्णायक भूमिका और सशक्त नेतृत्व का प्रतीक है। यह हमारी नई रक्षा नीति का एक स्पष्ट उदाहरण है और देश के लिए गर्व की बात है।” केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव यह बयान उस समय दे रहे थे जब उन्होंने यह भी घोषणा की कि केंद्र सरकार ने भारत की छठी सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई की मंजूरी दे दी है। यह यूनिट HCL और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त परियोजना है, जिसे उत्तर प्रदेश के जेवर में स्थापित किया जाएगा। यह यूनिट यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में बन रही जेवर एयरपोर्ट के पास स्थित होगी और इसका उत्पादन कार्य 2027 में शुरू होगा।3,700 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस यूनिट की क्षमता हर महीने 20,000 वेफर प्रोसेस करने और 3.6 करोड़ चिप्स बनाने की होगी। ये चिप्स मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल और पर्सनल कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में काम आएंगी। भारत में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन यह पहल देश को आत्मनिर्भर बनाने और कोविड-19 महामारी के दौरान सामने आई ग्लोबल चिप कमी जैसी समस्याओं से निपटने में मदद करेगी। इससे पहले पांच सेमीकंडक्टर यूनिट गुजरात और असम में निर्माणाधीन हैं। - -
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से हज यात्रा की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजफायर की घोषणा के बाद हज यात्रियों का दूसरा जत्था जल्द ही सऊदी अरब के लिए श्रीनगर से रवाना होगा। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हज यात्रा को लेकर कैंप लगाए गए हैं, जहां सऊदी अरब जाने वाले लोग हज यात्रा की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, हज यात्री करेंसी को भी एक्सचेंज करवा रहे हैं।
सीजफायर के बाद जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आज बुधवार सुबह हज यात्रियों का दूसरा जत्था हज हाउस से एयरपोर्ट के लिए निकला। श्रीनगर से हज यात्रियों का पहला जत्था 4 मई 2025 को रवाना हुआ था। ऑपरेशन सिंदूर की वजह से 7 मई और 12 मई को रवाना होने वाले हज यात्रियों की 7 उड़ानें रद्द कर दी गई थीं। वहीं, आज 14 मई से फ्लाइट्स शुरू हुई हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट पर मंगलवार से फ्लाइट ऑपरेशन शुरू हुए हैं।इससे पहले, 4 मई को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से केंद्र शासित प्रदेश के पहले हज जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस दौरान यात्रियों से संवाद किया और उन्हें यात्रा के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दी थीं। उन्होंने सभी यात्रियों की सुरक्षित यात्रा और आध्यात्मिक रूप से पूर्ण हज की कामना की थी।एलजी मनोज सिन्हा ने कहा था, “मैं पवित्र हज यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। दिव्य हज यात्रा सर्वशक्तिमान का बुलावा है और लोगों का जीवन भर से संजोया सपना भी। केंद्र सरकार तीर्थयात्रियों और उनकी पवित्र तीर्थयात्रा के कल्याण के लिए सर्वोत्तम संभव व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”उल्लेखनीय है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से इस साल कुल 3,622 हज यात्री हज यात्रा पर रवाना होंगे। जबकि लद्दाख से 242 यात्री हज यात्रा करेंगे। उपराज्यपाल सिन्हा ने हज यात्रा के सफल संचालन में योगदान देने वाले सभी विभागों, एजेंसियों और अधिकारियों के सहयोग की सराहना की थी।गौरतलब हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारतीय मुसलमानों को वार्षिक हज यात्रा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिसके परिणामस्वरूप भारत का हज कोटा 2014 में 1,36,020 से बढ़कर 2025 में 1,75,025 हो गया है। कोटे के अलावा 52,000 से अधिक कोटा निजी टूर ऑपरेटरों को दिया गया है। सऊदी दिशानिर्देशों में बदलाव के कारण 800 से अधिक निजी टूर ऑपरेटरों को 26 कानूनी इकाइयों में समेकित किया गया, जिन्हें संयुक्त हज ग्रुप ऑपरेटर (सीएचजीओ) कहा जाता है। ( -
नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच चीन ने एक बार फिर नापाक हरकत की है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदले हैं, जिस पर भारत की ओर से आपत्ति जताई गई है। भारत ने कहा कि नए नाम गढ़ने से यह सच्चाई नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने की खबरों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के अपने व्यर्थ और बेतुके प्रयासों को जारी रखा है। हमारी सैद्धांतिक स्थिति के अनुरूप हम ऐसी कोशिशों को पूरी तरह खारिज करते हैं। नए नाम गढ़ने से यह सच्चाई नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।”चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने का निर्णय ऐसे समय में किया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों तक चले तनाव के बाद युद्धविराम की घोषणा की गई थी। चीन, भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है।इससे पहले भी चीन ने कई बार अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नामों को बदला है, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। -
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बुधवार को चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और डिजिटल कदम उठाया। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पाकिस्तानी दुष्प्रचार फैलाने के आरोप में चीन के सरकारी मीडिया आउटलेट्स ग्लोबल टाइम्स और सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के एक्स अकाउंट को भारत सरकार ने ब्लॉक कर दिया है।
भारत सरकार ने चीन की सरकारी मीडिया एक्स हैंडल को ब्लॉक करने का फैसला ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ चलाई जा रही गलत और फर्जी खबरों को बढ़ावा देने की वजह से लिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए यह कदम उठाया।भारत सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े ग्लोबल टाइम्स और सिन्हुआ दोनों ही झूठी खबरों और पाकिस्तान के फर्जी दावों को बढ़ावा दे रहे थे। इसमें बहावलपुर के पास एक भारतीय राफेल लड़ाकू विमान को गिराए जाने को लेकर गलत सूचना भी शामिल थी। ब्लॉक करने से पहले चीन में भारतीय दूतावास ने ग्लोबल टाइम्स को एक्स पर एक सख्त चेतावनी जारी की थी, जिसमें किसी पोस्ट को साझा करने से पहले ‘तथ्यों को सत्यापित करने और स्रोतों की जांच करने’ की सलाह दी गई थी।भारतीय दूतावास ने भ्रामक पोस्टों में से एक पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था, “प्रिय ग्लोबल टाइम्स न्यूज, हम आपको सलाह देंगे कि आप इस तरह की गलत सूचना को आगे बढ़ाने से पहले अपने तथ्यों को सत्यापित करें और अपने स्रोतों की जांच करें। कई पाकिस्तान समर्थक एक्स हैंडल ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में गलत दावे फैला रहे हैं और जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। जब मीडिया आउटलेट स्रोतों की पुष्टि किए बिना ऐसी जानकारी साझा करते हैं, तो यह जिम्मेदारी और पत्रकारिता नैतिकता में गंभीर चूक को दर्शाता है।”दूतावास ने बताया कि प्रकाशित तथ्य झूठे थे जिसे पीआईबी के फैक्ट चेक विभाग ने बेनकाब किया। उन्हें चेतावनी भरे अंदाज में सच का प्रमाण दिया गया। कहा गया कि झूठा नैरेटिव गढ़ा जा रहा है। ग्लोबल टाइम्स की ओर से सर्कुलेट की गई तस्वीर 2021 में हुए एक हादसे की थी। यह मिग 21 था जो पंजाब के मोगा में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थक आतंकियों ने हमला किया था जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के साथ-साथ पाकिस्तान की सैन्य ताकत को भी नुकसान पहुंचाया।इसके बाद पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स पर भारत विरोधी और फर्जी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट की जा रही हैं जिसका समर्थन कहीं न कहीं चीन भी कर रहा है। इसी वजह से चीनी सरकारी एक्स हैंडल्स को ब्लॉक किया गया है। ( -
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) व तीनों सेनाध्यक्ष बुधवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचे। यहां सीडीएस और तीनों सेनाध्यक्षों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति मुर्मु के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी जानकारी साझा की गई। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की सुप्रीम कमांडर हैं।
इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को सफल बनाने में सशस्त्र बलों के साहस और समर्पण की सराहना की। राष्ट्रपति मुर्मु ने सैन्य बलों के इस अभियान को एक गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी व नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव बताए व इससे विस्तृत जुड़ी जानकारी दी।22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या की थी। इसके बाद भारतीय सेनाओं ने आतंकवादियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान और पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए गए। सेना के मुताबिक इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। सेना द्वारा किए गए इस ऑपरेशन की जानकारी राष्ट्रपति को दी गई है।भारतीय सेना ने केवल आतंकवादियों और आतंकवादी ठिकानों को अपना निशाना बनाया था। इस दौरान पाकिस्तान के किसी भी सैन्य या नागरिक ठिकाने पर हमले नहीं किए गए। लेकिन पाकिस्तान आतंकवादियों के समर्थन में खड़ा हुआ और पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों को टारगेट करने की कोशिश की। हालांकि भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के सभी हमलों को विफल कर दिया। इतना ही नहीं भारतीय सेना के जवाबी हमले में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा, उसकी एयर डिफेंस प्रणाली को भारतीय सेनाओं ने ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तानी सेना अपने कई एयरबेस की भी रक्षा नहीं कर सकी।माना जा रहा है कि सैन्य ऑपरेशन से जुड़ी अब इन सभी कार्रवाइयों की पूरी जानकारी राष्ट्रपति को दी गई है। इससे पहले मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। यह मुलाकात नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति एनक्लेव में हुई थी। -
नई दिल्ली। भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित की गई नई ड्रोन रोधी प्रणाली भार्गवस्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। यह कम लागत वाली ‘हार्ड किल मोड’ में काम करने वाली प्रणाली है, जिसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने डिजाइन और विकसित किया है। इसका उद्देश्य ड्रोन झुंडों (Swarm Drones) से उत्पन्न बढ़ते खतरे को कुशलता से समाप्त करना है। 13 मई को ओडिशा के गोपालपुर स्थित सीवर्ड फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया, जिसमें भारतीय थल सेना की वायु रक्षा (AAD) शाखा के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। तीन परीक्षणों के दौरान कुल चार माइक्रो रॉकेट दागे गए- पहले दो परीक्षणों में एक-एक रॉकेट और तीसरे में दो रॉकेटों को मात्र दो सेकंड में सल्वो मोड में दागा गया। सभी रॉकेटों ने अपने लक्ष्य हासिल किए और अपेक्षित प्रदर्शन किया।
भार्गवस्त्र में दो परतों वाली सुरक्षा प्रणाली है, पहले में अनगाइडेड माइक्रो रॉकेट होते हैं जो 20 मीटर के घातक दायरे में झुंड रूपी ड्रोन को समाप्त कर सकते हैं और दूसरे में पहले से परीक्षण किए गए गाइडेड माइक्रो-मिसाइल हैं जो सटीक हमले में सक्षम हैं। यह प्रणाली छोटे ड्रोन को 2.5 किलोमीटर दूर से पहचान और समाप्त कर सकती है। इसकी खास बात यह है कि इसे उच्च पर्वतीय क्षेत्रों (5000 मीटर से अधिक ऊंचाई) समेत किसी भी इलाके में आसानी से तैनात किया जा सकता है।यह प्रणाली मॉड्यूलर है, यानी इसमें अतिरिक्त सॉफ्ट किल तकनीक जैसे जैमिंग और स्पूफिंग को भी जोड़ा जा सकता है। इसका रडार, ईओ (Electro-Optical) और आरएफ रिसीवर सेंसर उपयोगकर्ता की जरूरत के अनुसार कॉन्फिगर किए जा सकते हैं। यह प्रणाली मौजूदा नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर ढांचे में भी आसानी से एकीकृत की जा सकती है। इसमें एक अत्याधुनिक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी है, जो C4I (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) तकनीक से लैस है। खास बात यह है कि इसका रडार 6 से 10 किलोमीटर दूर तक के सूक्ष्म हवाई खतरों को पहचान सकता है और EO/IR सेंसर के माध्यम से कम रडार क्रॉस-सेक्शन (LRCS) वाले लक्ष्यों को सटीकता से ट्रैक किया जा सकता है। इससे ऑपरेटर को झुंड या व्यक्तिगत ड्रोन को पहचानने और नष्ट करने में आसानी होगी।SDAL के अनुसार भार्गवस्त्र वैश्विक स्तर पर एक उल्लेखनीय नवाचार है। इसकी ओपन-सोर्स आर्किटेक्चर इसे अद्वितीय बनाती है क्योंकि दुनिया के कई विकसित देश इस प्रकार की माइक्रो-मिसाइल तकनीक पर काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक ऐसा कोई भी बहु-स्तरीय और लागत-प्रभावी प्रणाली, जो ड्रोन झुंड को नष्ट कर सके, तैनात नहीं की गई है। यह “मेक इन इंडिया” मिशन के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है और भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।- - -; 21 दिन बाद घर वापसी-प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है- जवान पूर्णम की पत्नी रजनी शॉनई दिल्ली। पाकिस्तान ने बुधवार को सीमा सुरक्षा बल (BSF) जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत के हवाले कर दिया। कुमार को 23 अप्रैल को पाकिस्तानी रेंजर्स में पकड़ लिया था। यह प्रक्रिया पंजाब स्थित अटारी-वाघा सीमा चौकी पर सुबह 10:30 बजे हुई।बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स की तरफ से जवान को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) को सौंपा गया और यह पूरा ट्रांसफर शांतिपूर्वक और निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार पूरा किया गया।बता दें कि पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान रेंजर्स ने 23 अप्रैल को भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फिरोजपुर जिले से पकड़ लिया था। यह पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद की घटना थी। बीएसएफ की तरफ से जारी बयान में कहा गया, आज बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को संयुक्त चेक पोस्ट अटारी, अमृतसर के जरिये लगभग 10:30 बजे भारत को सौंप दिया गया। वह 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में थे। यह ट्रांसफर शांतिपूर्ण तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।”प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है- जवान पूर्णम की पत्नी रजनी शॉजवान पूर्णम कुमार शॉ की पत्नी रजनी शॉ ने कहा, "आज सुबह जब हमें फोन आया कि चिंता मत कीजिए, आपके पति भारत आ गए हैं और वह बिल्कुल ठीक हैं, तो हम बहुत खुश हुए। मैंने अपने पति से भी बात की और वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। उन्होंने (ममता बनर्जी) मुझसे कहा था कि चिंता मत कीजिए, आपके पति इस सप्ताह वापस आ जाएंगे। उन्होंने भी हमारी बहुत मदद की, वह लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रही थीं। पूरा देश मेरे साथ खड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है। 22 तारीख को पहलगाम हमला हुआ लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन्होंने बदला लिया, मेरे पति को भी वापस ले आए। मैं उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं।"
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नई दिल्ली। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। न्यायमूर्ति गवई को राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है, जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उनका कार्यकाल 6 महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद, राष्ट्रपति मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्यों ने मुख्य न्यायाधीश गावई को बधाई दी। पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना भी उपस्थित थे और उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को शुभकामनाएं दीं।मुख्य न्यायाधीश गवई की कानूनी यात्रा 1985 में शुरू हुई जब उन्होंने बार में रजिस्ट्रेशन किया और बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष प्रैक्टिस करना शुरू किया। उन्हें 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2005 में वे स्थायी न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।कई अहम फैसलों में रही भूमिकासुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, मुख्य न्यायाधीश गवई ने कई महत्वपूर्ण फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे उस पीठ का हिस्सा थे जिसने केंद्र सरकार के 2016 के नोटबंदी के कदम को बरकरार रखा और उन्होंने हाल ही में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले फैसले में भी योगदान दिया। उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें से कई संविधान पीठों के मौलिक अधिकारों के महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित हैं।जस्टिस गवई, जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले केवल दूसरे दलित हैं। वे सार्वजनिक सेवा की पृष्ठभूमि से आते है- उनके पिता, आरएस गवई, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) के संस्थापक और तीन भारतीय राज्यों के पूर्व राज्यपाल थे। आरएस गवई ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में भी सेवाएं दीं। - नयी दिल्ली. भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता को चिह्नित करने और लोगों को आतंकवाद के खिलाफ प्रेरित करने के लिए भाजपा ने देश के विभिन्न हिस्सों में तिरंगा यात्रा निकाली। केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और जे पी नड्डा सहित शीर्ष भाजपा नेताओं द्वारा रविवार को इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद 11 दिवसीय राष्ट्रव्यापी तिरंगा यात्रा शुरू की गई। नड्डा ने सोमवार को इस कवायद को अंतिम रूप देने के लिए तरुण चुग, विनोद तावड़े और दुष्यंत गौतम समेत भाजपा महासचिवों के साथ बैठक की। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा कि तिरंगा महज एक झंडा नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा को दर्शाता है। राष्ट्रीय राजधानी में तिरंगा यात्रा में शामिल होने के दौरान चुग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत बदल गया है। नया भारत शांति चाहता है, लेकिन आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए किसी भी हद तक जाएगा।'' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत दिल्ली सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करने के लिए कर्तव्य पथ पर मंगलवार को रैली निकाली। 'शौर्य सम्मान यात्रा' नाम से आयोजित इस रैली में लोगों ने पाकिस्तान के ‘पूर्ण संहार' का आह्वान किया और देशभक्ति के गीत बजाए। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ यात्रा में हिस्सा लिया।भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा रैली में स्कूली बच्चे, राष्ट्रीय कैडिट कोर (एनसीसी) के कैडेट और नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक भी शामिल हुए। भाजपा की दिल्ली इकाई ने तिरंगा यात्रा की तस्वीर पोस्ट करते हुए ‘एक्स' पर कहा, ‘‘सेना के सम्मान में, देश का हर नागरिक मैदान में।'' हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंचकूला में ‘तिरंगा यात्रा' का नेतृत्व किया, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित हजारों लोगों ने भाग लिया। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय सशस्त्र बलों की सफलता को चिह्नित करने के लिए अंजॉ जिले के वालोंग में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया। खांडू ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों, स्थानीय नेताओं, सेना के जवानों और उत्साही लोगों के साथ इस अभियान में शामिल भारतीय बलों के साहस और दृढ़ संकल्प की सराहना की। खांडू ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘ऐतिहासिक ‘कैबिनेट आपके द्वार' से पहले, मैंने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों, स्थानीय नेताओं, सेना के जवानों और उत्साही स्थानीय लोगों के साथ वालोंग में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया। इस सुदूर पूर्वी सीमा पर देशभक्ति के जोश ने राष्ट्र के प्रति हमारे प्रेम को फिर से जगा दिया और हमारे बहादुर रक्षा बलों के लिए अटूट समर्थन में खड़े होने के हमारे सामूहिक संकल्प को मजबूत किया।'' भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता का जश्न मनाने के लिए प्रदेश इकाई बुधवार को राज्यव्यापी ‘तिरंगा यात्रा' शुरू करेगी। जायसवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बृहस्पतिवार को यह कार्यक्रम राज्य के सभी संभागों में आयोजित किया जाएगा और शुक्रवार से इसे प्रखंड स्तर पर आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के सभी सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष और प्रखंड अध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्रों और निर्वाचन क्षेत्रों में ‘तिरंगा यात्रा' का समन्वय करेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता 23 मई तक पूरे राज्य में जुलूस का नेतृत्व करेंगे।'' गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए भारत ने संदेश दिया है कि वह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति से समझौता नहीं करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता का जश्न मनाने के लिए निकाली गई ‘तिरंगा यात्रा' के दौरान उन्होंने कहा कि इस सैन्य अभियान ने राष्ट्रवाद की भावना को जगाया है। मुख्यमंत्री ने शहर के वडाज इलाके से शुरू हुए पैदल मार्च में हिस्सा लिया, जो करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए आरटीओ सर्कल स्थित सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर समाप्त हुआ।
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नयी दिल्ली । भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) मानदंडों के तहत अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम पर लगाये गये शुल्क को लेकर कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखा है और वह दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने का विकल्प चुन सकता है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इससे पहले भी भारत ने यूरोपीय संघ के 2019 और 2021 के इस्पात को लेकर रक्षोपाय शुल्क पर विश्व व्यापार संगठन को इसी तरह की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन इसे आज तक लागू नहीं किया गया। अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके अनुसार, अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम शुल्क के खिलाफ वस्तु व्यापार की डब्ल्यूटीओ परिषद को दी गयी भारत की वर्तमान अधिसूचना केवल रक्षोपाय कदमों पर समझौते के तहत भविष्य में किसी भी समय जवाबी कार्रवाई करने के अधिकार को सुरक्षित रखती है। हालांकि, यह भारत को तय करना है कि अधिसूचना के 30 दिन के बाद या बाद में इन प्रस्तावित जवाबी शुल्क को प्रभावी करना है या इसे चल रही बीटीए वार्ता के हिस्से के रूप में हल करना है।'' वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में अधिकारियों का एक दल 17 मई से अमेरिका की यात्रा पर है। वहां वे प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे। दोनों देशों के मुख्य वार्ताकार 19-22 मई तक बैठकें करेंगे। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने के लिए समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का जवाबी कदम उठाने का अधिकार प्रस्तावित व्यापार समझौते में सौदेबाजी के रूप में काम कर सकता है। अगर, भारत जवाबी शुल्क लगाता है तो यह कोई पहला मामला नहीं होगा।
भारत ने जून, 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाए थे। यह शुल्क उस समय लगाया गया जब अमेरिका ने भारत को अपनी सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) से हटा दिया और कुछ इस्पात तथा एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत शुल्क जारी रखा। हालांकि, दोनों देशों के डब्ल्यूटीओ में लंबित विवादों को हल करने के निर्णय के बाद सितंबर, 2023 में शुल्क वापस ले लिए गए थे। भारत ने इस बारे में 12 मई को नोटिस जारी किया। इसमें डब्ल्यूटीओ के रक्षोपाय समझौते के प्रावधान के तहत अपने अधिकारों के उपयोग की बात कही गयी है। यह कानूनी प्रावधान उस स्थिति में किसी देश को जवाबी कार्रवाई करने की अनुमति देता है जब कोई अन्य सदस्य देश बिना उचित सूचना या परामर्श के रक्षोपाय कदम उठाता है। भारत ने अप्रैल में अमेरिका से परामर्श मांगा था। लेकिन अमेरिका ने कहा कि शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाये गये हैं और उन्हें रक्षोपाय कदम नहीं माना जाना चाहिए। डब्ल्यूटीओ अधिसूचना के अनुसार, अमेरिकी रक्षोपाय शुल्क से लगभग 7.6 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय निर्यात प्रभावित होगा। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका द्वारा लगभग 1.91 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क वसूले जाने की संभावना है। भारत चुनिंदा अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाकर इस राशि को वसूल करना चाहता है। -
नई दिल्ली। जस्टिस बी.आर. गवई कल यानी बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। वे इस पद तक पहुंचने वाले पहले बौद्ध न्यायाधीश होंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उन्हें शपथ दिलाएंगी। वे मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल अब समाप्त हो रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति ने इस नियुक्ति को मंजूरी दी थी, जिसके बाद कानून और न्याय मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी की। जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वे इस समय सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
पिछले छह वर्षों में, जस्टिस गवई लगभग 700 पीठों (Benches) का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने संवैधानिक, प्रशासनिक, दीवानी, आपराधिक, वाणिज्यिक विवादों, मध्यस्थता, विद्युत, शिक्षा और पर्यावरण कानून जैसे कई क्षेत्रों से जुड़े मामलों की सुनवाई की है। उन्होंने करीब 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें संविधान पीठों के महत्वपूर्ण निर्णय भी शामिल हैं। उनके फैसलों में कानून के राज और मौलिक, मानव तथा कानूनी अधिकारों की रक्षा को प्रमुखता दी गई है।जस्टिस गवई 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मुंबई के प्रधान पीठ के अलावा नागपुर, औरंगाबाद और पणजी पीठों पर भी महत्वपूर्ण न्यायिक कार्य किया। उनकी नियुक्ति भारत की न्यायिक व्यवस्था में विविधता और समावेशिता को भी दर्शाती है, और न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि अब हर वर्ष 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। यह बदलाव 27 मार्च 2025 को जारी गजट अधिसूचना के माध्यम से किया गया है। पहले यह धनतेरस के दिन मनाया जाता था, जो हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार बदलता रहता है और अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस वजह से हर वर्ष आयुर्वेद दिवस की तारीख निश्चित नहीं होती थी, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन करने में परेशानी होती थी। मंत्रालय ने बताया कि आने वाले दशक में धनतेरस की तारीख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच अलग-अलग रहेगी, जिससे और भी अस्थिरता होगी।
इस समस्या के समाधान के लिए आयुष मंत्रालय ने एक समिति गठित की, जिसने चार संभावित तारीखों का सुझाव दिया। इनमें से 23 सितंबर को अंतिम रूप दिया गया। यह तारीख शरद विषुव (Autumnal Equinox) के साथ मेल खाती है, यह वह दिन होता है जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। यह संतुलन आयुर्वेद के मूल सिद्धांत से मेल खाता है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन पर आधारित है। इस खगोलीय घटना को प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है और यही आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य भी है -प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहना।आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शैक्षणिक संस्थाओं, आम नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से अपील की है कि वे इस नए तय किए गए दिन-23 सितंबर को अपनाएं और आयुर्वेद दिवस को उत्साह के साथ मनाएं। मंत्रालय का मानना है कि यह बदलाव आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य विमर्श में और अधिक मजबूती से स्थापित करेगा और इसे एक वैज्ञानिक, सबूत-आधारित और सतत स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में प्रोत्साहित करेगा, जो रोगों की रोकथाम और संपूर्ण कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। - नयी दिल्ली ।दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मंगलवार को बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। मौसम विभाग ने कहा कि पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी वर्षा हुई।इस अवधि में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में वृद्धि हुई है। आईएमडी ने बताया कि ‘आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन' (ओएलआर) भी इस क्षेत्र में कम हुआ है जो बादल छाए रहने का सूचक है। ओएलआर से तात्पर्य पृथ्वी की सतह, वातावरण और बादलों द्वारा उत्सर्जित इंफ्रारेड विकिरण से होता है जो बाद में अंतरिक्ष में जाकर खो जाता है। मौसम विभाग ने कहा कि ये स्थितियां इस क्षेत्र में मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल मानकों को पूरा करती हैं। मौसम विभाग ने कहा कि अगले तीन से चार दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र के अधिकतर भाग, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के अधिकतर क्षेत्रों, संपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के शेष भागों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। प्राथमिक वर्षा प्रणाली के एक जून की सामान्य तिथि से पहले 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है।आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, अगर मॉनसून उम्मीद के अनुरूप केरल पहुंचता है तो 2009 के बाद से भारतीय भूमि पर इसका समय से पूर्व आगमन होगा। 2009 में मॉनसून 23 मई को शुरू हुआ था। आम तौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू हो जाता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। अप्रैल में आईएमडी ने 2025 के मॉनसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जताया था और ‘अल नीनो' की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया था जो भारतीय उप महाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनता है। ‘अल नीनो' एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जो तब होती है जब पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के पास समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। यह गर्म पानी वायुमंडल को गर्म करता है, जिससे नमी युक्त हवा ऊपर उठती है और तूफान में बदल जाती है। ‘अल नीनो' की स्थिति भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनती है। मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है। यह देश भर में पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आज मंगलवार को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों को मार गिराया। मारे गए आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ऑपरेशनल चीफ कमांडर शाहिद कुट्टे भी शामिल है। यह मुठभेड़ शुकरू केलर क्षेत्र में हुई, जहां खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षाबलों ने संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO) चलाया था। पुलिस के मुताबिक शाहिद कुट्टे शोपियां के छोटीपोरा हीरपोरा गांव का निवासी था और 8 मार्च 2023 को आतंकी संगठन से जुड़ा था। वह कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा था, जिनमें 8 अप्रैल 2024 को डैनिश रिसॉर्ट पर हमला शामिल है, जिसमें दो जर्मन पर्यटक और उनका ड्राइवर घायल हुए थे। इसके अलावा वह कुलगाम के बेजबाग में बीजेपी सरपंच और टेरिटोरियल आर्मी के जवान की हत्या में भी शामिल था।
दूसरे मारे गए आतंकी की पहचान अदनान शफी डार के रूप में हुई है, जो वंदुना मेलहोरा का रहने वाला था। तीसरे आतंकी की पहचान अभी नहीं हो सकी है। आईजीपी कश्मीर वी. के. बर्डी ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान तीन आतंकियों को मार गिराया गया है और ऑपरेशन अभी भी जारी है। भारतीय सेना ने कहा कि शुकरू केलर क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की सटीक सूचना के बाद ‘सर्च एंड डिस्ट्रॉय’ ऑपरेशन शुरू किया गया था। आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर भारी गोलीबारी की, जिसके जवाब में जोरदार मुठभेड़ हुई और तीन कट्टर आतंकी ढेर कर दिए गए।यह मुठभेड़ ऐसे समय हुई जब 11 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सभी तरह की शत्रुता रोकने पर सहमति बनी थी। इसके बावजूद यह जम्मू-कश्मीर में दूसरी आतंकी घटना है। 11 मई की शाम को संदिग्ध आतंकियों ने जम्मू के नागरोटा कॉर्प्स मुख्यालय के गेट पर फायरिंग की थी, जिसमें एक जवान घायल हुआ और हमलावर फरार हो गए। इसके अलावा पाकिस्तान सेना ने 11 मई को संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा पार से गोलीबारी की, जिससे जम्मू-कश्मीर के कई सीमावर्ती गांवों में तनाव बढ़ गया। पुलिस ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के पास के गांवों के निवासियों को सलाह दी है कि वे जब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य न हो जाए, तब तक घर न लौटें।- -
नई दिल्ली। अप्रैल 2025 में देश की खुदरा महंगाई दर घटकर 3.16% हो गई, जो पिछले छह वर्षों में सबसे कम है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 में यह दर 3.34% थी जबकि अप्रैल 2024 में 4.83% थी। यानी मार्च से अप्रैल के बीच 18 बेसिस पॉइंट की गिरावट हुई है। महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण हुई है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) आधारित खाद्य महंगाई अप्रैल में घटकर 1.78% रह गई, जो मार्च में 2.69% थी। यह अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम खाद्य महंगाई दर है। सब्जियों, दालों, फलों, अनाज, मांस-मछली और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की कीमतों में कमी ने महंगाई कम करने में मदद की।
ग्रामीण क्षेत्रों में कुल महंगाई दर अप्रैल में घटकर 2.92% रह गई, जो मार्च में 3.25% थी। वहीं, ग्रामीण खाद्य महंगाई भी घटकर 1.85% हो गई, जो मार्च में 2.82% थी। वहीं शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर में मामूली गिरावट हुई मार्च के 3.43% से घटकर अप्रैल में 3.36% पर आ गई। हालांकि, शहरी खाद्य महंगाई में तेज गिरावट देखी गई, जो मार्च में 2.48% थी और अप्रैल में घटकर 1.64% रह गई। खास श्रेणियों की बात करें तो, शहरी क्षेत्रों में आवास महंगाई 3.00% पर स्थिर रही। शिक्षा क्षेत्र में महंगाई दर मार्च के 3.98% से बढ़कर अप्रैल में 4.13% हो गई। स्वास्थ्य क्षेत्र की महंगाई दर 4.25% पर लगभग स्थिर रही। परिवहन और संचार की लागत अप्रैल में बढ़कर 3.73% हो गई, जो मार्च में 3.36% थी। ईंधन और बिजली (फ्यूल एंड लाइट) श्रेणी में महंगाई तेजी से बढ़कर अप्रैल में 2.92% हो गई, जो मार्च में सिर्फ 1.42% थी।मासिक आधार पर देखा जाए तो, अप्रैल में संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 0.31% बढ़ा, जबकि खाद्य मूल्य सूचकांक में 0.15% की गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख खाद्य वस्तुओं में, सब्जियों की कीमतों में साल-दर-साल आधार पर 10.98% की गिरावट आई, जबकि दालों की कीमतें भी घटीं। वहीं, फलों की कीमतों में 13.8% और तेल-घी की कीमतों में 17.4% की तेज बढ़ोतरी हुई।राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अप्रैल के लिए आंकड़े 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से एकत्र किए। ग्रामीण क्षेत्रों में 89.4% और शहरी क्षेत्रों में 92.3% उपयोगी डेटा मिला, जिससे लगभग पूर्ण कवरेज सुनिश्चित हो सका।वहीं अगले महीने की खुदरा महंगाई दर (मई 2025) के आंकड़े 12 जून 2025 को जारी किए जाएंगे।- -
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने आज मंगलवार को कक्षा 10वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए। इस साल कुल 93.66 फीसदी छात्र परीक्षा में पास हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.06 फीसदी अधिक है। लड़कियों ने एक बार फिर लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है। 95 फीसदी लड़कियां पास हुईं, जो लड़कों से 2.37 फीसदी अधिक है। इस बार कुल 22,38,827 छात्रों ने परीक्षा में भाग लिया, जिनमें से 20,95,467 छात्र सफल हुए। क्षेत्रीय स्तर पर त्रिवेंद्रम ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया, जहां 99.70% छात्र पास हुए। दूसरी ओर, असम के गुवाहाटी क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा, जहां केवल 84.14% छात्र पास हो सके।
गौरतलब है कि CBSE कक्षा 10वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से 18 मार्च 2025 के बीच आयोजित की गईं। ये परीक्षाएं देशभर के 7,837 केंद्रों और 26 विदेशी केंद्रों सहित कुल 26,675 स्कूलों में हुईं। CBSE ने परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। नियमित छात्रों को स्कूल की यूनिफॉर्म पहननी थी, जबकि निजी छात्रों को हल्के रंग के कपड़े पहनने के निर्देश दिए गए थे। छात्रों को परीक्षा केंद्र पर परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले पहुंचना अनिवार्य था।परीक्षा हॉल में मोबाइल फोन, ब्लूटूथ डिवाइस, ईयरफोन, स्मार्टवॉच, कैमरा, किताबें, पर्स, हैंडबैग, चश्मा और पाउच जैसी वस्तुएं प्रतिबंधित थीं। खाने-पीने की चीजें भी अनुमति नहीं थीं, केवल मधुमेह से ग्रस्त छात्रों को विशेष अनुमति के बाद इसकी छूट दी गई थी। इससे पहले CBSE ने कक्षा 12वीं के नतीजे भी घोषित किए थे, जिसमें 88.39% छात्र पास हुए थे, जो पिछले साल से 0.41% अधिक था। 12वीं में 91% लड़कियों ने सफलता पाई, जो लड़कों से 5.94% अधिक है। इस परीक्षा में 16 लाख से ज्यादा छात्रों ने भाग लिया था, जिनमें से 14 लाख से अधिक पास हुए। वहीं क्षेत्रीय स्तर पर 12वीं में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा ने 99.60% पास प्रतिशत के साथ टॉप किया, जबकि प्रयागराज क्षेत्र में सबसे कम, लगभग 80% छात्र पास हुए।- -
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 12वीं कक्षा की परीक्षा रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार का रिजल्ट 88.39 प्रतिशत रहा। पिछली बार का रिजल्ट 87.98 प्रतिशत था। इस बार 12वीं के रिजल्ट में 0.41 अंकों की वृद्धि हुई है।
इस साल परीक्षा के लिए 17,04,367 छात्रों ने कराया था पंजीकरणकेंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक डॉ. संयम भारद्वाज ने कक्षा 12 के रिजल्ट की घोषणा करते हुए बताया कि इस साल परीक्षा के लिए कुल 17,04,367 छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 16,92,794 उपस्थित हुए और उनमें से 14,96,307 पास हुए हैं।इस साल पास होने वाली लड़कियों का प्रतिशत 91.64 रहाउन्होंने बताया कि सीबीएसई 12वीं कक्षा की परीक्षा का इस बार का रिजल्ट 88.39 प्रतिशत रहा है। पिछले वर्ष का उत्तीर्ण प्रतिशत 87.98 प्रतिशत था। पिछले साल की तुलना में कक्षा 12 बोर्ड परीक्षा में 0.41 अंकों की मामूली वृद्धि हुई है। साथ ही पिछले साल की तरह इस साल भी लड़कियों का पास प्रतिशत ज्यादा है। इस साल पास होने वाली लड़कियों का प्रतिशत 91.64 रहा है, तो वहीं लड़कों का पास प्रतिशत 85.70 रहा है।सीबीएसई के जिलेवार नतीजों में विजयवाड़ा ने मारी बाजीसीबीएसई के जिलेवार नतीजों पर नजर डालें तो विजयवाड़ा ने बाजी मारी है। विजयवाड़ा में 99.60 प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास हुई हैं। इसके बाद, त्रिवेंद्रम का रिजल्ट 99.32 प्रतिशत रहा है। इसके अलावा, चेन्नई का 97.39 प्रतिशत, बेंगलुरु का 95.95 प्रतिशत, दिल्ली पश्चिम का 95.37 प्रतिशत, दिल्ली पूर्व का 95.06 प्रतिशत, चंडीगढ़ का 91.61 प्रतिशत, पंचकूला का 91.17 प्रतिशत, पुणे का 90.93 प्रतिशत, अजमेर का 90.40 प्रतिशत, भुवनेश्वर का 83.64 प्रतिशत, गुवाहाटी का 83.62 प्रतिशत, देहरादून का 83.45 प्रतिशत, पटना का 82.86 प्रतिशत, भोपाल का 82.46 प्रतिशत और नोएडा का 81.29 प्रतिशत तथा प्रयागराज का 79.53 प्रतिशत रिजल्ट रहा।यहां देखें रिजल्टसीबीएसई ने बताया कि कक्षा 12 2024-2025 का परिणाम आज घोषित कर दिया गया है। जानकारी दी जाती है कि कक्षा 12वीं के परिणाम सीबीएसई डॉट जीओवी डॉट इन, रिजल्ट डॉट एनआईसी डॉट इन या फिर डिजी लॉकर डॉट इन पर जाकर देख सकते हैं। -
जवानों के बीच पीएम मोदी, जवानों ने जय हिंद के नारे लगाए
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे। उन्होंने यहां ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जवानों से बातचीत की और सफल एयर स्ट्राइक को लेकर बधाई भी दी। पीएम मोदी आदमपुर एयरबेस पर करीब एक घंटे तक रहे। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें पोस्ट की। इससे पहले सोमवार शाम को प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों सेनाओं के जवानों की तारीफ की थी। जवानों के बीच पी मोदी पहुंचे, तो जवानों ने जय हिंद के नारे लगाए।
- नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना आज मंगलवार को सेवानिवृत्त होंगे। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उन्होंने 10 नवंबर, 2024 को पदभार ग्रहण किया और छह महीने तक सर्वोच्च पद पर रहने के बाद सेवानिवृत्त होंगे।न्यायिक परंपरा के अनुसार, न्यायमूर्ति खन्ना अपने उत्तराधिकारी के साथ औपचारिक बेंच पर बैठेंगे। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन एक औपचारिक समारोह में निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश को विदाई देने के लिए तैयार है, जिसके दौरान न्यायमूर्ति खन्ना द्वारा विदाई भाषण देने की उम्मीद है।न्यायमूर्ति बी आर गवई लेंगे अगले मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथन्यायमूर्ति खन्ना ने औपचारिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को अपने उत्तराधिकारी के रूप में अनुशंसित किया है। यह अनुशंसा केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को की गई थी और राष्ट्रपति मुर्मु द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद न्यायमूर्ति गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।23 नवंबर, 2025 तक होगा न्यायमूर्ति बी आर गवई का कार्यकालन्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। 64 वर्ष की आयु में, वे 23 नवंबर, 2025 तक शीर्ष न्यायिक पद पर बने रहेंगे, जब वे 65 वर्ष के हो जाएंगे, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु है।न्यायमूर्ति गवई ने 1985 में अपना कानूनी करियर किया था शुरूमहाराष्ट्र के अमरावती के मूल निवासी न्यायमूर्ति गवई ने 16 मार्च, 1985 को अपना कानूनी करियर शुरू किया। उन्होंने पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजा एस. भोंसले से प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1990 के बाद, उन्होंने संवैधानिक और प्रशासनिक कानून पर विशेष जोर देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में अपनी कानूनी प्रैक्टिस पर ध्यान केंद्रित किया।कई प्रमुख सार्वजनिक कानूनी पदों पर कार्य कर चुके हैं बी आर गवईउन्होंने सहायक सरकारी वकील, अतिरिक्त लोक अभियोजक और बाद में नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक सहित कई प्रमुख सार्वजनिक कानूनी पदों पर कार्य किया है। न्यायमूर्ति गवई की पदोन्नति न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा, न केवल उनके अनुभव के लिए बल्कि अनुसूचित जाति की पृष्ठभूमि से आने वाले कुछ मुख्य न्यायाधीशों में से एक के रूप में भी, जो भारतीय न्यायपालिका के भीतर बढ़ती समावेशिता को दर्शाता है।