इलेक्ट्रॉनिक चिप एवं डिस्प्ले संयंत्रों के लिए 1.53 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले
नयी दिल्ली। सरकार को देश में इलेक्ट्रॉनिक चिप एवं डिस्प्ले विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना के लिए पांच कंपनियों से 1.53 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में इसकी जानकारी दी। इसके मुताबिक सरकार को पांच कंपनियों से कुल 20.5 अरब डॉलर यानी 1.53 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। इसके तहत वेदांता फॉक्सकॉन जेवी, आईजीएसएस वेंचर्स और आईएसएमसी ने सरकार को 13.6 अरब डॉलर निवेश से इलेक्ट्रॉनिक चिप विनिर्माण संयंत्र लगाने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए 'सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम' के तहत केंद्र सरकार से 5.6 अरब डॉलर की मदद की भी मांग रखी है। वेदांता और इलेस्ट ने 6.7 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश से एक डिस्प्ले विनिर्माण संयंत्र लगाने का प्रस्ताव रखने के साथ ही सरकार से भारत में डिस्प्ले फैब्स के गठन के लिए चलाई गई योजना के तहत 2.7 अरब डॉलर का समर्थन भी मांगा है। इन डिस्प्ले का इस्तेमाल मोबाइल फोन एवं लैपटॉप की स्क्रीन में किया जाता है। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार वर्ष 2020 में करीब 15 अरब डॉलर था और इसके वर्ष 2026 तक 63 अरब डॉलर पहुंच जाने का अनुमान है। सेमीकंडक्टर का निर्माण एक जटिल एवं सघन तकनीकी प्रक्रिया का हिस्सा होता है और इसमें काफी पूंजी की भी जरूरत पड़ती है। पिछले कुछ वर्षों में सेमीकंडक्टर चिपों की किल्लत को देखते हुए भारत ने घरेलू स्तर पर ही सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन शुरू किया है। इसी के तहत सरकार को इन पांच कंपनियों से निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसके अलावा एसपीईएल सेमीकंडक्टर, एचसीएल, सिर्मा टेक्नोलॉजी और वेलेंकनी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सेमीकंडक्टर पैकेजिंग के लिए अपना पंजीकरण कराया है जबकि रुटोन्सा इंटरनेशनल रेक्टिफायर ने कंपाउंड सेमीकंडक्टर के लिए अपना पंजीकरण कराया है। इसके साथ तीन कंपनियों- ट्रमिनस माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, ट्राइस्पेस टेक्नोलॉजीज और क्यूरी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स ने भी डिजाइन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदन किए हैं।


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