सस्ते प्याज ने किसानों के निकाले आंसू, मंडियों में एक रुपये किलो तक बिक रही फसल
नई दिल्ली। कभी ग्राहकों के आंसू निकालने वाली प्याज इस समय किसानों के आंसू निकल रही है। महाराष्ट्र की कई कृषि मंडियों में प्याज का दाम उत्पादन लागत से भी नीचे पहुंच चुके हैं। प्याज के गिरते हुए दामों ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। महाराष्ट्र की थोक मंडियों में प्याज एक रुपये से 11 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रही है। हालांकि प्याज के खुदरा व्यापारी 25-30 रुपये किलोग्राम पर बिक्री कर रहे हैं।एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज का न्यूनतम दाम 500 रुपये और अधिकतम 1400 रुपये एवं औसत दाम 1100 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा है। राज्य की दूसरी मंडियों में हालात और भी खराब है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सोलापुर मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ एक रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। दूसरे राज्यों में भी इस समय प्याज को भाव नहीं मिल रहा है। एगमार्क के मुताबिक चालू महीने में महाराष्ट्र में प्याज का औसत दाम 733 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पिछले महीने यहा 870 रुपये था। यानी एक महीने में कीमत करीब 16 फीसदी की गिर गई है और पिछले साल के अपेक्षा 29 फीसदी प्याज सस्ती बिक रही है।दिल्ली एनसीआर में मई महीने में प्याज का औसत दाम 1093 रुपये चल रहा है जबकि अप्रैल महीने का औसत दाम 1364 रुपये और पिछले साल मई महीने का औसत दाम 1682 रुपये प्रति क्विंटल था। इस तरह देखा जाए तो दिल्ली और आसपास के इलाके में पिछले एक महीने में प्याज के दाम करीब 20 फीसदी और एक साल में 35 फीसदी लुढ़क गए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में एक महीने में 20 फीसदी और एक साल 22 फीसदी प्याज के दाम टूटे हैं।हाल ही में आए महंगाई के आंकड़ों में भी प्याज की हालत पतली बताई गई है। खाद्य पदार्थों, सब्जियों और ईंधन की कीमतों में नरमी आने से थोक महंगाई 13 महीने के निचले स्तर 0.85 फीसदी पर आ गई। आंकड़ों के मुताबिक वस्तुओं की कीमतों में अप्रैल में 0.86 फीसदी की गिरावट आई। मार्च में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 1.57 फीसदी थी। अप्रैल में सब्जियों की महंगाई दर 18.26 फीसदी रही, जबकि मार्च में यह 15.88 फीसदी थी। सबसे अधिक प्याज की थोक कीमतों में गिरावट आई है, प्याज की महंगाई दर घटकर 0.20 फीसदी रह गई जो मार्च में 26.65 फीसदी थी।
प्याज कारोबारियों का कहना है कि प्याज में बाजार आंशिक रूप से नरम रहा। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से प्याज में पानी लग चुका है। इस वजह से पानी लगे प्याज की आवक ज्यादा हो रही है जिसके कारण कीमतें तेजी से गिरी है। लेकिन अगले कुछ महीनों में प्याज में तेजी देखने को मिल सकती है क्योंकि हाल ही में हुई बारिश से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
देश में सबसे ज्यादा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के किसानों को मौजूदा हालात में खेती की लागत निकालना बहुत मुश्किल हो रहा है। महाराष्ट्र के सोलापुर और धुले मंडी में प्याज के दाम लुढ़क कर ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इस स्थिति ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में डाल दिया है। हालत ऐसी है कि राज्य के कई हिस्सों में किसान अपनी फसल को मंडी तक ले जाने की बजाय खेत में ही छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। एक तरफ मंडियों में किसानों को जहां प्याज के दाम नहीं मिल रहे, वहीं, दूसरी ओर बाजार में लोगों को प्याज 20 से 30 रुपये किलो मिल रहा है।
भंडारण के लिए रेडिएशन प्लांट लगाने की तैयारी
महाराष्ट्र सरकार ने प्याज की कीमतों को स्थिर करने की दिशा में ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अब राज्य में प्याज के लिए समर्पित गामा रेडिएशन प्लांट बनाए जाने की नीति पर तेजी से काम हो रहा है। प्याज की कीमतों में अस्थिरता से किसान परेशान रहते हैं। क्योंकि प्याज एक जल्दी खराब होने वाली फसल है। प्याज को रेडिएशन प्लांट से संरक्षित किया जाए तो उसकी भंडारण क्षमता कई महीनों तक बढ़ाई जा सकती है, जिससे किसान कम कीमतों पर प्याज बेचने से बच सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार सरकार प्याज उत्पादक जिलों में रेडिएशन प्लांट स्थापित करने की योजना तैयार की है। इससे किसानों को भंडारण की सुविधा मिलेगी और वे बाजार की सही स्थिति देखकर अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे।
महाराष्ट्र के प्रमुख प्याज उत्पाद नाशिक, पुणे, अहमदनगर और सोलापुर जैसे प्याज उत्पादक जिलों में लोकसभा चुनाव के दौरान किसानों की नाराजगी साफ दिखी थी। इस नाराजगी की बड़ी वजह दिसंबर 2023 में प्याज निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध था, जिससे बाजार में प्याज की कीमतों में गिरावट आई थी। देश के कुल प्याज उत्पादन का 35 से 40 फीसदी हिस्सा महाराष्ट्र से आता है। प्याज उत्पादक किसानों को प्याज की अधिक आपूर्ति के कारण कम कीमतों का सामना करना पड़ता है।
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