बच्चे वही करते हैं, जो पालकों को करते हुए देखते हैं: काले
महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष ने संत ज्ञानेश्वर स्कूल में अभिभावकों से की बच्चों को अच्छे संस्कार देने की अपील
रायपुर। अभिभावक अपने बच्चों को चाहे जितनी भी शिक्षा दें... संस्कार दें, बच्चों पर उसका खास प्रभाव नहीं पडता, बल्कि बच्चे अपने माता-पिता का अनुसरण करते हैं। अभिभावक यदि चाहते हैं कि उनके बच्चे सुबह जल्दी उठें, तो उन्हें स्वयं जल्दी उठना होगा। यदि वे मोबाइल से दूरी बनाकर रखेंगे, तो बच्चे भी मोबाइल फोन के उपयोग में मितव्ययी होंगे। महाराष्ट्र मंडल के संत ज्ञानेश्वर स्कूल के पेरेंट्स मिटिंग में इस आशय के विचार मंडल अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने व्यक्त किए।
काले ने अभिभावकों को महाराष्ट्र मंडल के गौरवशाली 90 साल का इतिहास बताते हुए उसके क्रमबद्ध विकास की संघर्षपूर्ण यात्रा का ब्यौरा भी दिया। उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चों को दान, त्याग, अनुशासन के संस्कार देना चाहिए। यह तभी संभव हो पाएगा, जब स्वयं अभिभावकों में ये सारे सद्गुण उनके बच्चे देखेंगे। काले ने कहा कि बच्चे स्कूल में सिर्फ छह घंटे रहते हैं, जबकि बाकी ये समय वे घर पर परिजनों के बीच होते हैं। ऐसे में बच्चों के लालन- पालन से लेकर शिक्षा व संस्कार की बुनियादी जिम्मेदारी उनकी होती है। हर बात को लेकर स्कूल या वहां के शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।
अध्यक्ष काले ने कहा कि महाराष्ट्र मंडल जितनी गौरवशाली संस्था है, उतनी ही विश्वसनीय और प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर स्कूल भी है। यहां से निकले बच्चे इसरो से लेकर सरकार के विभिन्न विभागों में देशभर की जानी- मानी संस्थाओं में स्कूल, प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसे में हम अपने बच्चों को पढ़ाई व कॅरियर को लेकर कैसे प्रेरित कर सकते हैं। इस पर परिजनों व शिक्षकों की भूमिका पर हमें विचार करना चाहिए। इस मौके पर अनेक पालकों ने स्कूल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। जिन पर अमल करने का भरोसा स्कूल प्रभारी परितोष डोनगांवकर व प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने दिया। सह प्रभारी नवीन देशमुख के आभार प्रदर्शन करने के साथ ही पेरेंट्स मिटिंग का समापन हुआ।
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