महाराष्ट्र मंडल के केंद्रों की बैठकों में खेलों का आकर्षण बरकरार
रोचक खेलों से बढ़ती है मौलिकता, जिज्ञासा, याददाश्त, जीत की भावना और निखरती है प्रतिभा
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल के महिला केंद्रों में होने वाली मासिक बैठक सिर्फ मनोरंजन, आध्यात्म और भावी कार्यक्रमों की तैयारियों को लेकर ही नहीं होती, बल्कि इसमें होने वाले रोचक खेलों से महिला सभासदों में उनकी मौलिकता, बौद्धिक व शारीरिक क्षमता बढ़ती है। साथ ही उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना, जिज्ञासा और याददाश्त की वृद्धि भी होती है। इन सबसे बढ़कर प्रतिभागी महिलाओं में सामाजिक, सांसारिक, पारिवारिक जीवन के तनाव को पीछे छोड़कर जीतने की, लक्ष्य हासिल करने की प्रबल इच्छाशक्ति पैदा होती है। इन खेलों से उन्हें अपनी- अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका मिलता है, सो अलग।
रोहिणीपुरम महिला केंद्र की शनिवार को रचना ठेंगड़ी के घर पर हुई बैठक में महिलाओं ने खिलौना बंदूक से निशानेबाजी पर हाथ आजमाए। इनमें गीता दलाल विजेता, श्यामल जोशी उप विजेता और जयश्री भूरे तृतीय रहीं। इन सभी को नकद राशि से पुरस्कृत भी किया गया। इसके बावजूद इनमें परिणाम उतने मायने नहीं रखते, जितने की प्रतिभागियों का हंसी- मजाक, ठहाके और एक- दूसरे को चिढ़ाने व नकल करने के साथ फ्रेश होना रखता है। निशानेबाजी में सभी ने फिर अपनी एकाग्रता और लक्ष्य पर निशाना लगाने के गुण को तराशा।
महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले ने इस संदर्भ में कहा कि 16 महिला केंद्रों की बैठकों में महाराष्ट्र मंडल के भावी कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन पर चर्चा होती है। राम रक्षा स्त्रोत और हनुमान चालीसा का पाठ भी होती है। स्थानीय स्तर के कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाकर उसे क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदारियां भी तय होतीं हैं। लेकिन विविध खेलों से महिलाओें में प्रतिस्पर्धा के साथ एकजुटता की भावना भी बढ़ती है।
विशाखा के शब्दों में इन बैठकों में गेम्स का महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि कई महिलाएं भारी व्यस्तताओं के बावजूद बैठकों में सिर्फ खेलों को एंजाय करने के लिए पहुंचतीं हैं। इसी तर्क का समर्थन करते हुए रचना ठेंगड़ी कहतीं हैं कि उन बैठकों में महिलाओं की संख्या अधिक होती हैं, जिनमें उन्हें कुछ रोचक और मजेदार खेल खेलने का मौका मिलने का विश्वास होता है।
उपाध्यक्ष गीता दलाल के अनुसार महिला केंद्रों में विभिन्न स्वरूपों में एक मिनट गेम शो, बैलेंसिंग गेम, अलग- अलग प्रकार की कुर्सी दौड़, विभिन्न याददाश्त और ज्ञानवर्धन के खेल भी महिलाओं को आकर्षित करते हैं। सभी खेलों में अनिवार्य रूप से प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जाता है, ताकि सभी महिलाओं में गेम्स को जीतने को लेकर आकर्षण बना रहे।
गीता का मानना है कि इन खेलों में महिलाएं मानसिक व शारीरिक रूप से रिफ्रेश होती हैं। तनाव घटने से उनमें सकारात्मकता बढ़ती है। खेलों के विचार- विमर्श के सत्र में आमतौर पर उनका रवैया सहयोगात्मक और आयोजन की जिम्मेदारी लेने वालों का हौसला बढ़ाने वाला होता है। इस वजह कि हर बार केंद्र की संयोजिकाओं से लेकर मेजबान को तक बैठक में हर बार कुछ नया गेम प्लान कर महिलाओं को आकर्षित करना होता है।
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