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 पेंशन प्रशासन में तत्काल व्यवस्थागत सुधारों की जरूरतः कार्मिक राज्यमंत्री

नयी दिल्ली.  केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को पेंशन प्रशासन में तत्काल व्यवस्थागत सुधारों की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की संख्या अब सेवारत कर्मचारियों से अधिक हो गई है। सिंह ने यहां विज्ञान भवन में पेंशन मुकदमों पर आयोजित एक कार्यशाला में कहा कि पेंशन से जुड़े कानूनी विवादों को कम करना और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 60 लाख से अधिक पेंशनभोगी हैं जो सेवारत केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या से अधिक है। ऐसे में पेंशन प्रशासन से जुड़ी चुनौती नए दौर में पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘पेंशन से संबंधित मुकदमों की उत्पत्ति अक्सर नियमों की गलत व्याख्या से होती है और अगर शिकायतों को निपटारा न हो तो वरिष्ठ नागरिकों को गैरजरूरी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।'' उन्होंने कहा कि लगभग 300 पेंशन संबंधी मामले लंबित हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष विचाराधीन हैं। इन सभी मामलों में सरकार एक पक्ष है। कार्यशाला में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने वर्ष 2028 तक ‘शून्य पेंशन मुकदमेबाजी' का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पेश किया। उन्होंने मध्यस्थता और सुलह की व्यवस्था अपनाने, डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने और मुकदमेबाजी प्रबंधन के लिए एक संरचित राष्ट्रीय दृष्टिकोण की भी वकालत की। कार्मिक राज्यमंत्री ने पेंशन मामलों से संबंधित जागरूकता और शिकायत निवारण को बढ़ाने के लिए कई प्रकाशन और पहल भी शुरू कीं। इनमें विशेष अभियान 2.0 भी शामिल है जो पारिवारिक और अति-वरिष्ठ पेंशनभोगियों की शिकायतों को हल करने पर केंद्रित है।

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