महाराष्ट्र मंडल में चार को छत्तीसगढ राज्योत्सव
0- समूचे छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम में संत ज्ञानेश्वर विद्यालय की शिक्षिकाओं की प्रस्तुतियां होंगी आकर्षण का केंद्र
रायपुर। देवउठनी एकादशी- तुलसी विवाह की व्यस्तताओं के कारण असमंजस में फंसी महिला सभासदों के विशेष आग्रह पर महाराष्ट्र मंडल का छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस समारोह अब मंगलवार, चार नवंबर को होगा। मंडल की उपाध्यक्ष गीता श्याम दलाल के अनुसार बड़ी संख्या में महिलाएं मंडल के राज्योत्सव समारोह में शामिल होने के लिए इच्छुक होने के बावजूद नहीं आ रहीं थीं। आपसी सलाह- मशविरे में बाद तय की गई नई तारीख चार नंबर है। मंडल के लॉन एरिया के खुले रंगमंच पर मंगलवार को शाम छह बजे पूरी तरह छत्तीसगढ़ी में होने वाला यह आयोजन उसी उत्साह व जोश के साथ होगा।
गीता दलाल के मुताबिक इस बार छत्तीसगढ़ राज्य की 25वीं वर्षगांठ होने कारण इस बार का यह रजत जयंती समारोह अधिक भव्य और मनोरंजक होगा। महाराष्ट्र मंडल के विभिन्न प्रकल्पों, समितियों और महिला केंद्रों में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। गीता ने बताया कि संत ज्ञानेश्वर विद्यालय (एसडीवी) की शिक्षिकाओं की दो नृत्य प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र होंगी।
एसडीवी के प्रभारी परितोष डोनगांवकर ने बताया कि चौबे कॉलोनी स्थित मंडल परिसर में भव्य आतिशबाजी के साथ होने वाले छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस समारोह में लगभग सभी प्रकल्पों, समितियों और महिला केंद्रों की सहभागिता होगी। एसडीवी की शिक्षिका प्रीति तिवारी समूचा कार्यक्रम छत्तीसगढ़ी में संचालित करेंगी। कार्यक्रम की शुरुआत राजगीत ‘अरपा पैरी के धार...’ से होगी। कार्यक्रम के समापन पर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ कलाकारों सहित दर्शक भी ले सकेंगे।
परितोष के अनुसार एसडीवी की शिक्षिकाओं की दो- दो प्रस्तुतियों के साथ बच्चे भी अपनी स्थानीय बोली छत्तीसगढ़ी में कार्यक्रम प्रस्तुत करते नजर आएंगे। इसी तरह महिला केंद्रों की ओर से कम से कम पांच छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य पेश जाएंगे। इनमें चौबे कॉलोनी केंद्र की महिलाएं महाराष्ट्र मंडल भवन और शंकर नगर की महिला सभासद बाल वाचनालय में अपने नृत्य की रिहर्सल शुरू कर चुकी हैं।
पर्यावरण समिति के समन्वयक अभय भागवतकर ने जानकारी दी कि उनकी समिति के सभासद अपनी प्रस्तुति को लेकर मंडल के लॉन एरिया में लगातार अभ्यास कर रहे हैं। इस बीच विभिन्न समितियों की ओर से संगीतमय प्रस्तुतियां भी लॉन एरिया में बैठे दर्शकों को देखने- सुनने को मिलेंगी। पूरे कार्यक्रम की बड़ी विशेषता यह है कि इसमें न तो मराठी भाषा में कोई प्रस्तुति होगी और न ही मराठी से मंच का संचालन अथवा चर्चा।









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