डॉ. हेडगेवार के जीवन चारित्र को दो घंटे के नाटक में समेटना आसान नहीं: डॉ. प्रधान
- सुप्रसिद्ध चर्चित नाटक ‘युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार’ के लेखक ने कहा कि गोवा में नाटक को अभूतपूर्व प्रतिसाद, छत्तीसगढ़ में हो चुके चार मंचन, चार अभी बाकी
रायपुर। ‘युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार’ नाटक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के क्रांतिकारी से युगप्रवर्तक बनने की कहानी है, जो उनके जीवन के अति महत्वपूर्ण प्रसंगों पर आधारित है। इस आशय की बात जानकारी नादब्रह्मा प्रस्तुत नाटक ‘युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार’ के रचियता डॉ. अजय प्रधान ने दी।
डॉ. प्रधान ने कहा कि तीन मराठी नाटक लिखने के बाद उन्होंने अपने लंबे अध्ययन और रिसर्च के बाद इस नाटक के लेखन का विचार आया, तो उन्होंने यह भी तय किया कि इसे हिंदी में लिखा जाना बेहतर होगा क्योंकि युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार को किसी एक भाषा या राज्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इतने व्यापक व्यक्तित्व वाले डॉ. साहब का नाटक लिखने में उन्हें 25 दिनों लगे। लेखन के समय डॉ. हेडगेवार के प्रसंगों को पढ़ने के लिए उन्होंने अपने बेटे को दिया, तो वह पढ़ते-पढ़ते ही रोने लगा। यही स्थिति अन्य सदस्यों की भी रही। डॉ. हेडगेवार का जीवन इतना प्ररेक व संघर्षपूर्ण रहा है कि उसे मात्र सवा दो घंटे के नाटक में समेटना आसान नहीं रहा।
डॉ. अजय प्रधान ने बताया कि ‘युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार’ लेखन के बाद उन्होंने अनुमति के लिए तीन बार संघ मुख्यालय भेजा गया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री राकेश सिन्हा के पिता को भी यह नाटक पढ़ने के लिए दिया। कुछ लोगों को इसमें हिंदू-मुस्लिम प्रसंग के संवाद अधिक आक्रामक लगे, तो किसी को कुछ और आपत्तिजनक। डॉ. अजय कहते हैं कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जो कुछ भी लिखा गया है, वह हेडगेवार से संबंधित लिखित साहित्य व तथ्यात्मक व प्रमाणिक सूचना के आधार पर ही है। कहीं पर भी उनके निजी विचार नहीं है। रेशमबाग के उच्च पदाधिकारियों की अनुमति और मार्गदर्शन के बाद ही इसे नाट्य स्वरूप में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया।
डॉ. अजय प्रधान के अनुसार शुरुआती सुझावात्मक नेपथ्य में नाट्य मंचन के बाद हमने यह महसूस किया कि नाटक की असरदार प्रस्तुति के लिए नेपथ्य को प्रभावी बनाना जरूरी है। इसके लिए हमारी टीम ने डिजिटल स्क्रीन वाला नेपथ्य फाइनल करने का निर्णय लिया। निश्चित ही इससे नाटक अधिक आकर्षक और कथानक के अनुरूप हो गया है। फिर भी हम एक कदम आगे बढ़कर अब नेपथ्य में थ्रीडी इफेक्ट लाना चाहते हैं और जल्दी ही हम ऐसा करेंगे।
लेखक डॉ. अजय ने कहा कि गोवा में इस नाटक के छह मंचन हुए और वहां इसे अपेक्षा से अधिक प्रतिसाद मिला। इसी तरह महाराष्ट्र में अब तक इसके 25 मंचन हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ में अब तक इसके चार मंचन कवर्धा, रायपुर, भिलाई और रायगढ़ में हो चुके हैं और चार शहरों में इस नाटक की प्रस्तुति होनी शेष है। इसके बाद ‘युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार’ नाटक का मंचन मध्यप्रदेश, ओडिशा और उत्तरप्रदेश में होना है। डॉ. प्रधान ने कहा कि इस नाटक के बाद उनकी योजना संघ के द्वितीय सरसंघ चालक माधवराव सदाशिव गोलविलकर ‘गुरुजी’ के जीवन पर आधारित नाटक लिखना चाहते हैं।










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