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 डिजिटल सुशासन का राष्ट्रीय मानक : छत्तीसगढ़ की पेंशन जीवन प्रमाणन में ऐतिहासिक उपलब्धि

 रायपुर। भारत में सामाजिक सुरक्षा को तकनीक से जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ शासन के समाज कल्याण विभाग ने डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) अभियान के माध्यम से एक उल्लेखनीय राष्ट्रीय उपलब्धि दर्ज की है। केंद्र प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं से जुड़े 73 प्रतिशत से अधिक लाभार्थियों का आधार-आधारित बायोमेट्रिक जीवन प्रमाणन सफलतापूर्वक पूर्ण कराए गए है। यह प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण तो है ही  साथ ही यह दर्शाता है कि डिजिटल नवाचार को मानवीय संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए तो अंतिम व्यक्ति तक लाभ तेज़ी और पारदर्शिता से पहुँचता है।
 राज्य में वृद्धजन, विधवा एवं परित्यक्ता महिलाएं तथा दिव्यांगजन, यह वे वर्ग हैं जिनके लिए पेंशन आर्थिक संबल का मूल आधार है। वर्तमान में छह पेंशन योजनाएं संचालित हैं तीन केंद्र प्रायोजित (जिन पर राज्य का अतिरिक्त टॉप-अप) और तीन पूर्णतः राज्य योजनाएं। सभी पात्र लाभार्थियों को मासिक 500 रुपये की पेंशन नियमित रूप से प्रदान की जा रही है, जिससे उनकी दैनिक आवश्यकताओं में स्थिरता आती है।
 DLC अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य बनाना है। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि पेंशन केवल जीवित और वास्तविक हितग्राहियों तक ही पहुँचे। डुप्लीकेट, अपात्र और फर्जी मामलों पर प्रभावी अंकुश लगने से सार्वजनिक धन का दुरुपयोग रुका और भरोसेमंद वितरण प्रणाली सुदृढ़ हुई ऐसी चुनौती जिसे कई राज्य आज भी जटिल मानते हैं।
 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए राज्य ने जनसेवा केंद्रों, सहकारी संस्थाओं और विशेष शिविरों के माध्यम से घर के निकट सत्यापन की व्यवस्था की। परिणामस्वरूप, सरकारी दफ्तरों के चक्कर घटे और सहभागिता बढ़ी। कई जिलों में प्रगति 80 प्रतिशत से अधिक तक पहुँच चुकी है, जबकि शेष क्षेत्रों में विशेष ड्राइव के ज़रिये 100 प्रतिशत लक्ष्य साधने का प्रयास जारी है।
 पेंशन वितरण में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को प्राथमिकता देकर राज्य ने पारदर्शिता को नई ऊँचाई दी है। वर्तमान में करीब 98 प्रतिशत पेंशन राशि सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर हो रही है। साथ ही 75 प्रतिशत पेंशनधारकों के खाते आधार से लिंक हो चुके हैं, जिससे भुगतान त्रुटियाँ न्यूनतम और निगरानी अधिक प्रभावी हुई है।
 फिलहाल DLC अभियान केंद्र योजनाओं के लगभग 8 लाख लाभार्थियों तक सीमित है। अगले चरण में राज्य योजनाओं को भी शामिल किया जाएगा, जिससे कुल करीब 21 लाख पेंशनधारकों का डिजिटल सत्यापन संभव होगा। यह विस्तार सामाजिक सुरक्षा के दायरे को व्यापक और मजबूत बनाएगा।
 डिजिटलीकरण, सामाजिक सुरक्षा और सुशासन इन तीनों के समन्वय से छत्तीसगढ़ ने यह सिद्ध किया है कि तकनीक का संवेदनशील और समावेशी उपयोग शासन को अधिक उत्तरदायी बनाता है। DLC, DBT और आधार लिंकिंग का यह संयोजन देशभर के लिए नीति-स्तरीय ब्लूप्रिंट प्रस्तुत करता है जहाँ लाभ समयबद्ध, पारदर्शी और सम्मानजनक ढंग से अंतिम व्यक्ति तक पहुँचता है। छत्तीसगढ़ की यह पहल केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि नहीं, बल्कि डिजिटल भारत के सामाजिक सुरक्षा विज़न की ठोस अभिव्यक्ति है, जो राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को प्रेरित करती है।

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