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 मुख्यमंत्री ने श्रमिकों-किसानों के बेहतरी योजना बनाकर कर रही है सशक्तः   सुशील सन्नी अग्रवाल

 राज्य के प्रवासी श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए  हुआ मंथन
 रायपुर /छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल और यूएनडीपी के संयुक्त तत्वाधान में आज यहां राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में प्रवासी श्रमिकों के विशेष संदर्भ में श्रमिक कल्याण को सशक्त बनाना और राज्य में सामाजिक सुरक्षा को प्रशस्त करना विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में मंडल के अध्यक्ष श्री सुशील सन्नी अग्रवाल शामिल हुए। श्री अग्रवाल ने कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सोच है कि वे राज्य के श्रमिक और किसान सशक्त हो, सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ श्रमिकों को सामाजिक सम्मान मिले। इसके लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री की पहल पर श्रमिक हितैषी योजनाओं के माध्यम से उनके सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है, ताकि अंतिम छोर के श्रमिक और किसान को इसका लाभ मिल सके। 
 
छत्तीसगढ़ भवन एवं  अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने कहा कि योजना बनाना आसान है लेकिन योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन करना चुनौतीपुर्ण कार्य है। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग द्वारा श्रमिक एवं श्रमिकों के परिवारों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं उत्थान के लिए लगभग 72 योजनाएं संचालित की जा रही है। सभी योजनाएं बेहतर ढंग से संचालित हो रही है। इससे श्रमिकों को लाभ मिल रहा है। इसके लिए मैं विभाग के अधिकारी-कर्मचारी को बधाई देता हूॅ। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकासखण्डों में श्रम संसाधन केंद्र बनाए गए है। कोई भी श्रमिक यदि किसी समस्या को लेकर आते है तो वह निराश व हताश नहीं होना चाहिए। अधिकारी कर्मचारियों को संवेदनशीलता के साथ काम करते हुए ऐसे श्रमिकों के समस्याओं का शीघ्र निराकरण की दिशा में काम किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों को निःशुल्क पंजीयन सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। कुछ सुविधाकेंद्रों मंे श्रमिकों से तय की गई राशि से अधिक राशि लिये जाने की शिकायत आ रही है उस पर नियंत्रण रखने अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने श्रम संसाधन केंद्रों में भी पंजीयन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने पर जोर दिया। 
 
इस मौके पर श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप श्रमिकों के प्रकरणों के त्वरित निराकरण हेतु नवीन पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल के माध्यम से  अब श्रमिकों के पंजीयन और योजनाओं के आवेदन सरल और सुगम माध्यम से प्राप्त होंगे। साथ ही श्रम संसाधन केंद्रों से प्राप्त होने वाले आवेदनों को सीधा विभागीय पोर्टल में जोड़ा गया है जिससे श्रमिकों को इसका त्वरित लाभ मिलेगा। कार्यशाला को श्रम आयुक्त श्री भीम सिंह और यूएनडीपी के छत्तीसगढ़ हेड श्री अमित कुमार ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में अपर श्रमायुक्त श्रीमती सविता मिश्रा, श्री एस. एल. जांगडे़ सहित प्रदेशभर के श्रम अधिकारी, श्रम निरीक्षक और यूएनडीपी व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 
 
कार्यशाला में चर्चा के दौरान बताया गया कि श्रम विभाग द्वारा कोविड-19 महामारी के समय लगभग 5.29 लाख प्रवासी श्रमिक राज्य में वापस आए उनके रहने-खाने, आवागमन, स्वास्थ्य, सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा गया। हेल्पलाईन सेंटर के माध्यम से श्रमिकों के समस्याओं का त्वरित निराकरण किया गया। फंसे हुए श्रमिकों को रेल और बस के माध्यम से राज्य में वापसी कर उनके गंतव्य तक पहुुंचाया गया। प्रवासी श्रमिकों के समस्याओं को ध्यान में रखते हुए 20 हजार 744 श्रमिकों को असंगठित और 58 हजार 709 श्रमिकों को निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीयन किया गया। प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पंजीयन शिकायतों का निराकरण एवं डाटाबेस तैयार करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति 2020 बनाकर 19 जुलाई 2021 को लागू किया गया है। 
 
अधिकारियों ने चर्चा के दौरान बताया कि मुख्यमत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को नये आवास क्रय या स्वयं के भूखण्ड पर आवास निर्माण के लिए 1 लाख रूपए का अनुदान प्रदान किया जाता है। वहीं ऐसे निर्माण श्रमिक जिन्होंने 60 वर्ष पूर्ण कर लिया हो और मंडल में निर्माण श्रमिक के रूप में कम से कम 10 वर्षों तक पंजीकृत है, उनके लिए 1500 रूपए प्रतिमाह पेंशन का प्रावधान किया गया है। निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना  के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। मुख्यमंत्री नोनी बाबू में मेघावी शिक्षा सहायता योजना के तहत विदेश में स्नातकोत्तर की अध्ययन को जोड़ा गया है। जिसमें 50 लाख रूपए तक की राशि का प्रावधान किया गया है। शैक्षणिक सहायता योजना के तहत 3 से 30 हजार रूपए, मेघावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहज 5 हजार से 1 लाख रूपए तक और खेल-कूद प्रोत्साहन योजना के तहत 5 हजार से 1.5 लाख रूपए तक का प्रावधान किया गया है।

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