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केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने बागबाहरा के ऐश्वर्य पुरोहित की पुस्तक 'स्वाधीनता के स्वर' का विमोचन किया

-अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में हुआ विमोचन, पुरोहित की इस उपलब्धि के लिए सतत बधाइयाँ मिलने का सिलसिला जारी
 बागबाहरा। नगर के युवा लेखक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासमुंद जिला संयोजक ऐश्वर्य पुरोहित द्वारा लिखित पुस्तक 'स्वाधीनता के स्वर' का विमोचन 8 दिसंबर को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया। छात्र कल्याण न्यस द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के विमोचन से नगर स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। पुस्तक का विमोचन केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने शुक्रवार को अभाविप के 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्गाटन सत्र में किया।
प्रदेश के सुविख्यात पत्रकार स्व. देवकृष्ण पुरोहित के सुपौत्र ऐश्वर्य पुरोहित (आत्मज : अनिल पुरोहित-ऊर्मिला पुरोहित) बचपन से ही मेधावी और अध्ययनशील प्रवृत्ति के हैं। इससे पहले उनकी एक पुस्तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित हो चुकी है। पुस्तक के विमोचन के बाद श्री ऐश्वर्य पुरोहित ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी रायपुर के 'विद्यार्थी सदन' में शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं विद्यार्थी हितों को दृष्टिगत रखते हुए छात्र कल्याण न्यास संचालित किया जा रहा है। यह न्यास विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और उत्थान की दिशा में सतत कार्यशील रहने वाला एवं विद्यार्थियों को रचनात्मक रूप से राष्ट्रीय कार्यों में प्रवृत्त कराने वाला एक प्रदेशव्यापी संगठन है। विद्यार्थियों में राष्ट्रीय चरित्र का विकास करना एवं उनकी ऊर्जा को रचनात्मक गतिविधियों में लगाने वाले प्रत्येक प्रयास को प्रोत्साहित करना न्यास के प्रधान उद्देश्य हैं। न्यास प्रदेश में शिक्षा, सामाजिक सद्भाव, अर्थव्यवस्था, प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन जैसे राष्ट्रीय महत्व के प्रत्येक क्षेत्र में वैचारिक आन्दोलनों के माध्यम से सतत विकास हेतु सकारात्मक वातावरण के निर्माण के उद्देश्य से वर्षभर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सक्रिय रहता है। इनके अतिरिक्त आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए न्यास द्वारा पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के प्रयासों के अन्तर्गत उन्हें आर्थिक और शैक्षणिक सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
श्री पुरोहित ने बताया कि साहित्य-साधकों ने भी भारतीय राष्ट्र का महान स्वाधीनता संग्राम उसी तरह लड़ा था, जिस तरह देश के लिए प्राणों का दान करने वालों के हौतात्म्य ने लड़ा था। क्रान्ति के साथ-साथ अहिंसा और सत्याग्रह के नूतन प्रयोगों को आमजन तक पहुँचाकर स्वाधीनता के स्वर को लोकस्वर बनाने वाली ऐसी ही कुछ प्रमुख साहित्यिक कृतियों से पाठक, विशेषकर इस देश का यौवन, परिचित हो सकें और उनमें साहित्य के इन मानबिन्दुओं को पढ़ने की अभिलाषा जाग सके, यही इस पुस्तक का प्रयोजन है। पुस्तक 'स्वाधीनता के स्वर' में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, भारतेंदु, सुब्रमण्यम भारती, वीर सावरकर, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, रामधारी सिंह 'दिनकर', रवीन्द्रनाथ टैगोर और प्रेमचंद की साहित्यिक कृतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनसे स्वीधनता संग्राम में आम जनमानस स्वस्फूर्त जुड़ने के लिए प्रेरित हुआ था। श्री पुरोहित की इस उपलब्धि के लिए सतत बधाइयाँ मिलने का सिलसिला जारी है।

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