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पायर के लिये गुलजार के गीत लिखने को पुरस्कार जैसा महसूस कर रहा हूं : विनोद कापड़ी

 नयी दिल्ली. विनोद कापड़ी अपने निर्देशन में बनी फिल्म 'पायर' को फिल्म महोत्सव में मिल रहे प्यार और पहचान से बेहद खुश हैं, लेकिन फिल्म निर्माता के लिए सबसे बड़ा सम्मान सिनेमा के दिग्गज गुलजार से मिला, जिन्हें यह फिल्म बेहद पसंद आई और उन्होंने इसके लिए कोई फीस लिए बिना एक गीत भी लिखा। फिल्म ‘पायर' की कहानी उत्तराखंड के मुनस्यारी गांव के एक बुजुर्ग दंपती की सच्ची कहानी पर आधारित है। कापड़ी उनसे साल 2017 में मिले थे। फिल्म में ऐसे कलाकारों ने भूमिका निभाई है, जिन्होंने इससे पहले कभी भी फिल्मों में अभिनय नहीं किया था। फिल्म में कलाकार पदम सिंह (भारतीय सेना के सेवानिवृत्त सैनिक) और हीरा देवी (किसान) ने भी भूमिका निभाई है। वे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं। प्रख्यात कवि एवं निर्देशक गुलजार ने इससे पहले कापड़ी के साल 2021 में रिलीज हुए वृत्तचित्र ‘‘1232 केएमएस'' में दो गाने लिखे थे, इसलिए कापड़ी ने एक बार फिर से उनकी फिल्म ‘पायर' के लिए सिनेमा के दिग्गज से संपर्क करने का फैसला किया। फिल्म ‘पायर' को पिछले साल नवंबर में टालिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल में ऑडियंस अवार्ड मिला है।

 
कापड़ी ने कहा कि जब उन्होंने गुलज़ार को फिल्म के बारे में बताया तो वह खुद भी फिल्म के दोनों मुख्य पात्रों के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे। कापड़ी ने  कहा, ‘‘उस समय उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘‘आप क्या कह रहे हैं?'' आपने गैर-पेशेवर कलाकारों के साथ एक फिल्म बनाई है। उन्होंने पूछा कि उन्होंने (कलाकारों) फिल्म में कैसा प्रदर्शन किया और वह इसे देखना चाहते थे। इसलिए मैंने उन्हें पहला कट भेजा। 48 घंटे बाद मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ गोवा में था। उन्होंने मुझे सुबह-सुबह फोन किया था, हालांकि मैं फोन नहीं उठा पाया था।'' कापड़ी ने उन्हें फोन किया। इसके बाद उन्हें पता चला कि गुलज़ार को फिल्म वाकई पसंद आई है।
 
फिल्म निर्माता ने कहा, ‘‘गुलज़ार साहब की ओर से यह एक पुरस्कार की तरह था।''
 
उन्होंने कहा कि गीतकार ने फिल्म के लिए गीत लिखने पर सहमति जता दी थी।
 
फिल्म निर्माता ने बाद में मुंबई में गुलजार से मुलाकात की और तब तक में वह फिल्म के लिए गीत लिख चुके थे। कापड़ी ने कहा, ‘‘उन्होंने अपना लिखा हुआ गाना सुनाया। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि अगर मुझे गाना पसंद न आए तो मैं उन्हें बता दूं। लेकिन मुझे गाना पसंद आया। मुलाकात के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने उनसे कमर्शियल (भुगतान) के बारे में बात नहीं की थी।'' उन्होंने बताया, ‘‘मैंने उनके (गुलजार) प्रबंधक को फोन किया और सारी बात बताई। मैंने उनसे कहा कि भले ही हमारे पास बजट कम है, लेकिन हम किसी तरह से काम चला लेंगे। 10 मिनट के अंदर ही गुलजार साहब ने मुझे फोन किया और कहा, कि ‘‘विनोद तुम इतने बड़े हो गए हो कि अब तुम मुझे पैसे दोगे?'' उन्होंने कहा कि ‘‘तुमने इतनी अच्छी फ़िल्म बनाई है तो मैं इसके लिए पैसे कैसे ले सकता हूं?''

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