62 साल पहले बड़ी हिम्मत के साथ बनी थी ये फिल्म
नई दिल्ली। आज की फिल्मों में भले ही बोल्ड कंटेंट और डायलॉग आम हो गया हो, लेकिन 70 के दशक में ऐसा करना और उसे फिल्मी पर्दे पर उतारना आसान नहीं था, जिस वक्त सेक्सुअलिटी और बोल्डनेस के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था, उसी दौर में एक ऐसी फिल्म आई, जिसने उन मुद्दों को सामने रखा जिनके बारे में समाज में लोग बात भी नहीं करते थे. समय से कहीं आगे थी, उस फिल्म के डायरेक्ट और एक्टर की सोच जिसने इसे कल्ट मूवी की कैटेगरी में ला दिया.
1962 में रिलीज हुई 'साहेब बीबी और गुलाम' जैसी फिल्म बनाना किसी क्रांति से कम नहीं था. उस दौर में न सिर्फ बोल्ड विषयों से बचा जाता था, बल्कि महिलाओं की इच्छाओं पर बात करना भी एक तरह से वर्जित था. फिर भी, गुरु दत्त और उनकी टीम ने वो कर दिखाया जो उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था.
7 दिसंबर 1962 को रिलीज हुई यह फिल्म बिमल मित्र की चर्चित नॉवेल पर आधारित थी. डायरेक्शन अबरार अलवी ने किया था, लेकिन इसके पीछे गुरु दत्त का विजन और जुनून ही असली ताकत था. फिल्म में मीना कुमारी ने 'छोटी बहू' का किरदार निभाया था, जो शादी के बाद अपने पति की उपेक्षा से जूझती है और उसे अपनी ओर खींचने के लिए शराब तक पीने लगती है.
फिल्म का फेमस एक डायलॉग
''चौधरियों की वासना को उनकी पत्नियां कभी शांत नहीं कर सकतीं…'' इस डायलॉग ने उस दौर के दर्शकों को हिला कर रख दिया था. फिल्म में फीमेल सेक्सुअलिटी पर जिस तरह से खुलकर बात की गई, वो आज भी हिंदी सिनेमा के लिए मिसाल है.
फिल्म ने तोड़ी परंपराएं बन गई कल्ट क्लासिक
'साहेब बीबी और गुलाम' सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि उस दौर की सामाजिक सोच पर एक जोरदार सवाल थी. महिलाओं की इच्छाओं, उनकी भावनाओं और अकेलेपन को जिस गहराई से दिखाया गया, वो पहले कभी नहीं देखा गया था. हालांकि, फिल्म के कुछ सीन उस वक्त के दर्शकों को इतने चौंकाने वाले लगे, कि मुंबई में इसके बाद विरोध भी हुआ, लेकिन समय ने साबित कर दिया कि ये फिल्म कितनी जरूरी और समय से आगे थी. आज इसे फिल्म स्कूलों में पढ़ाया जाता है.
गुरु दत्त की साहसी सोच
कहा जाता है, कि गुरु दत्त के कमरे हिंदी, बंगाली, मराठी और दक्षिण भारतीय साहित्य से किताबों से भरे रहते थे. यही गहराई उनकी फिल्मों में दिखती थी. 'साहेब बीबी और गुलाम' में उन्होंने मीना कुमारी के किरदार के जरिए समाज के उस तबके की कहानी बताई, जिसे अब तक पर्दे पर आवाज नहीं मिली थी.
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