क्या कच्ची हल्दी खाने से पेट की समस्याएं दूर होती हैं?
कच्ची हल्दी सिर्फ दूध में डालकर सर्दी-खांसी दूर करने के काम नहीं आती है, बल्कि यह हमारे पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए भी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है। हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक ऐसा कम्पाउंड होता है जिसमें एंटी इंफ्लेमेशन, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। खासकर कच्ची हल्दी को खाया जाए तो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम को कम करने व सूजन को कम करने फायदेमंद होता है। लेकिन इसका सेवन कैसे किया जाए, आइए विस्तार से जानते हैं, लेकिन उससे पहले आइए फायदे जानें।
सूजन बढ़ने से रोकता है
करक्यूमिन में एंटी इंट्राफ्लेमेशन गुण होते हैं जो सूजन बढ़ने से रोकते हैं, इस दौरान पेट की परतों और आंतों में होने वाली सूजन भी कम करते हैं। इसके अलावा टिश्यू को हील करने, गैस को कम करने और अन्य पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
हट माइक्रोबायोमी मॉड्यूलेशन
कच्ची हल्दी बेनेफिशियल गट बैक्टीरिया जैसे लैक्टोबैकीलयस, बिफीडोबैक्टीरियम को बढ़ाने में मदद करती है और हानिकारक बैक्टीरिया को कम करके गट बैरियर फंक्शन को इंप्रूव करने का काम करती है। यह पाचन को ठीक करने और पोषक तत्वों को सही से अबॉर्शन को बेहतर बनाता है। साथ ही इम्यूनिटी और मेटाबॉलिज्म की हेल्थ को भी प्रमोट करता है। यही कारण है कि लोग शरीर की समस्याओं को ठीक करने के लिए दूध में कच्ची हल्दी डालकर पीते हैं।
कैसे करें कच्ची हल्दी का उपयोग
अगर आप भी अपने पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करना चाहते हैं तो कच्ची हल्दी का सेवन कर सकते हैं। लेकिन इसे आप पहले बार में ही ज्यादा मात्रा में न लें। बल्कि पहले इनडाइजेशन में पेट में होने वाली जलन से बचने के लिए रोज आधी चम्मच पिसी हुई ताजी हल्दी का सेवन करें।
हल्दी का सेवन करने के अन्य तरीके
आप चाहें तो कच्ची हल्दी का सूप भी पी सकते हैं, स्टू, सलाद या स्मूदी में पीसकर डाल सकते हैं। वहीं रात को सोने से पहले गर्म दूध में हल्दी व काली मिर्च मिलाकर भी पी सकते हैं। यह आपकी गट हेल्थ के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में फायदेमंद साबित होगी। रोजाना कच्ची हल्दी का सेवन करने से कुछ ही दिनों में आपको असर दिखने शुरु हो जाएंगे।
कच्ची हल्दी से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान
कच्ची हल्दी का सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हल्दी की मात्रा हमेशा कम ही रखें, वरना सीने व पेट में जलन हो सकती है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स की समस्या को बढ़ा सकती है। साथ ही दवाओं के साथ इसे न खाएं और अगर समस्या ज्यादा बढ़ रही है तो पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें।





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