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फंतासी लेखकों को एआई के विकास का डर सता रहा है, लेकिन वे इसे दिलचस्प कहानी के रूप में भी देखते हैं

न्यूयॉर्क. बड़ी संख्या में लेखकों का मानना है कि कृत्रिम मेधा (एआई) उनकी आजीविका और रचनात्मकता के लिए खतरा है। इनमें से दस हजार से अधिक ने ऑथर्स गिल्ड के उस खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें एआई कंपनियों से बिना अनुमति या क्षतिपूर्ति के कॉपीराइट वाली कृतियों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की गई है। हालांकि, इन लेखकों की नजरों में एआई अब महज विज्ञान फंतासी नहीं रह गया है, बल्कि लोगों को बताई जाने वाली एक दिलचस्प कहानी भी बन गया है। कल्पनाओं में मौजूद राजनीति, महामारी या जलवायु परिवर्तन की तरह ही एआई भी बड़ी संख्या में उपन्यासकारों एवं लघुकथा लेखकों के लिए विमर्श का विषय बनता जा रहा है, जिन्हें उस दुनिया की कल्पना करने के लिए महज खबरों का अनुसरण करने की जरूरत है। लेखिका हेलेन फिलीप ने कहा, ‘‘मैं कृत्रिम मेधा से डरी हुई हूं, लेकिन यह मुझे आकर्षित भी करती है। ज्ञान के संग्रहण के लिए दैवीय समझ की अपेक्षा है, लेकिन साथ ही गैर-मानवीय मेधा के इसकी जगह लेने का डर/आशंका भी व्याप्त है।'' हेलेन का अगला उपन्यास ‘हम' एआई के कारण नौकरी गंवा बैठी एक पत्नी एवं मां की कहानी बयां करता है।

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