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आखिर हम प्यार में क्यों पड़ते हैं? जानिए वैज्ञानिक वजह
वैलेंटाइन डे के साथ प्यार को लेकर चर्चाएं शुरू हो जाती हैं। प्रेम को लेकर कई लोग का तो ये भी मानना है कि विज्ञान में इसके लिए कोई जगह नहीं हैं या यूं कहें तो प्रेम विज्ञान के लिए बना ही नहीं है। लेकिन इन सब के बावजूद भी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में प्रेम विषय को अनछुआ नहीं रखा है। तो आइए जानते हैं विज्ञान प्यार को पहली नजर में किस नजरिए से देखता है।
इस विश्लेषण में उन्होंने समय के साथ होने वाले बदालव को भी शामिल किया है। वैज्ञानिकों की मानें तो प्रेम की शुरुआत में प्रेरित करने के लिए तीन रसायनों की भूमिका अहम होती है। नोराड्रेनालाइन, डोपामाइन और फेनाइलइथाइलामाइन ये तीन ऐसे रसायन हैं, जो हमारे दिमाग में प्रेम के प्रति भावों को सक्रिय करने में मदद करते हैं। नोराड्रेनालाइन रसायन का काम शुरुआत करने यानी शुरुआती भावों को उकसाने में भूमिका निभाते हैं। इसके वजह से एड्रेनालाइन बनने लगता है और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। इस दौरान हथेली पर पसीना आने जैसे लक्षण भी दिखने लगते हैं। इसके बाद दूसरा रसायन डोपामाइन के पैदा होने से व्यक्ति अच्छा महसूस करने लगता है। तीसरे रसायन फेनाइलइथाइलामाइन के रिलीज होने पर व्यक्ति को अजीब सा महसूस होने लगता है। वैज्ञानिको ने प्रेम में होने की स्थिति को तीन चरणों में बांटा है। पहला है आसक्ति, जिसे अंग्रेजी में लस्ट कहते हैं, जो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और महिलाओं में ओस्ट्रोजन के स्तरों से संचालित होते हैं। दूसरा है आकर्षण यह बिलकुल उसी तरह के भाव पैदा करती है, जब किसी नशा करने वाला व्यक्ति तो शराब या ड्रग्स की तलब लगती है। अंतिम चरण में इंसान को लगाव हो जाता है। जब व्यक्ति प्रेम करने वाले से नजदीकी से जुड़ता है और उसके साथ मिलकर लंबी योजनाएं बनाने लगता है, तो उस समय यह अंतिम चरण काम करने लगता है। आसक्ति के स्थिति में शरीर टेस्टोस्टेरोन या ओस्ट्रेजन का बढ़ना पृथ्वी के दूसरे स्तनपायी जीवों की तरह ही होता है।
किसी इंसान के अंदर जब बहुत अधिक खुशी के भाव पैदा होते हैं, तो दिमाग में कई कैमिकल्स पैदा होते हैं। इन कैमिकल्स में खुशियों का अहसास कराने वाला डोपामाइन, लड़ो या बच निकलो वाला भाव पैदा करने वाला एड्रेनालाइन और चौकन्ना होने का भाव पैदा करने वालारोरेपाइनफ्रराइन इंसान में लत की तरह का प्रेम का भाव पैदा करते हैं। एड्रेनालाइन की वजह से हथेलियों में पसीना, दिल की धड़कन बढ़ना और शर्म से गाल लाल होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
बहुत कम लोग जानते हैं हम खास तरह की गंध निकालते हैं। हारमोने की तरह फेरोमोन्स भी रसायन ही होते हैं, जो हमारे शरीर के बाहर पसीने और शरीर के द्रव्यों में रहते हैं। वैज्ञानिक तौर पर पाया गया है कि ये अवचेतन के स्तर पर शुरुआती आकर्षण की वजह बनते हैं। इसके अलावा एक जैसे दिखना, समान मूल्य और विश्वास भी आकर्षण का कारण होते हैं।

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