मराठी के अलावा किसी अन्य भाषा को प्राचीन भाषा का दर्जा देने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला : केंद्र
नयी दिल्ली. सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि उसे मराठी के अलावा किसी अन्य भाषा को प्राचीन भाषा का दर्जा प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय को मराठी से इतर भाषाओं को प्राचीन भाषा का दर्जा प्रदान करने हेतु राज्य सरकारों की ओर से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। तथापि, पाली, प्राकृत, बांग्ला, असमिया, मणिपुरी, सिंधी और मैथिली को प्राचीन भाषा का दर्जा प्रदान करने हेतु विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों की ओर से कई पत्र प्राप्त हुए हैं।'' उन्होंने कहा कि लेकिन राज्य सरकारों की ओर से बिना किसी औपचारिक प्रस्ताव के इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि अब तक छह भाषाओं - तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम व ओड़िया को प्राचीन भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी को प्राचीन भाषा का दर्जा प्रदान करने हेतु प्रस्ताव भेजा था।







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