ब्रेकिंग न्यूज़

जगदलपुर और महाराष्ट्र के रायगढ़ में ट्राइफेड की ट्राइफूड परियोजना  लांच

-केंद्रीय  मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया ऑनलाइन किया उद्घाटन
परियोजना के तहत दो गौण वन ऊपज तृतीयक प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी

नई दिल्ली। केंद्रीय जनजातीय मामले मंत्री  अर्जुन मुंडा ने आज यहां राज्य मंत्री  रेणुका सिंह, महाराष्ट्र के जनजातीय मामले मंत्री  के. सी. पदवी, ट्राइफेड के अध्यक्ष रमेश चंद मीणा और ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक  प्रवीर कृष्णा की उपस्थिति में महाराष्ट्र के रायगढ़ और छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में ट्राइफेड की ट्राइफूड परियोजना के तृतीयक प्रसंस्करण केंद्रों को ई-लांच किया। मंत्रालयों के वरिष्ट अधिकारियों एवं दोनों राज्यों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस वर्चुअल उद्घाटन में भाग लिया।
 खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सहयोग से जनजातीय मामले मंत्रालय के ट्राइफेड द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे ट्राइफूड परियोजना का लक्ष्य जनजातीय वन संग्रहकर्ताओं द्वारा संग्रहित एमएफपी के बेहतर उपयोग एवं मूल्य वर्धन के जरिये जनजातीयों की आय को बढ़ाना है। इसे अर्जित करने के लिए, आरंभ में, दो गौण वन ऊपज (एमएफपी) तृतीयक प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
 महाराष्ट्र के रायगढ़ की इकाई का उपयोग महुआ, आंवला, कस्टर्ड सेब एवं जामुन के मूल्य वर्धन के लिए किया जाएगा तथा यह महुआ पेय, आवंले का जूस और कस्टर्ड सेब पल्प का उत्पादन करेगी। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की मल्टी कमोडिटी प्रोसेसिंग सेंटर का उपयोग महुआ, आंवला, शहद, काजू, हल्दी, अदरक, लहसुन एवं अन्य फलां तथा सब्जियों के लिए किया जाएगा। इन्हें महुआ पेय, आंवला जूस, कैंडी, शुद्ध शहद, लीउुन-अदरक पेस्ट एवं फलां तथा सब्जियों के पल्प में रूपांतरित किया जाएगा।
 इस परियोजना के साथ जुड़े हुए सभी लोगों को बधाई देते हुए  अर्जुन मुंडा ने जनजातीय खाद्य संग्रहकर्ताओं की निम्न स्थिति में सुधार लाने के उनके प्रयासों की सराहना की। इस समग्र विकास पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, उन्होंने जनजातीय जीवन की जैव-विविधता के तथा कैसे इन्हें संरक्षित किया जाए एवं बढ़ाया जाए, से संबंधित पहलुओं को छूआ। उन्होंने कहा कि यह परियोजना जनजातीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में सहायक होगी। उन्होंने विशेष रूप से इस परियोजना के लिए ट्राइफेड के प्रयासों की सराहना की जो न केवल यह सुनिश्चित करता है कि यह जैव-विविधता बनी रहे बल्कि जनजातियों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज को भी आगे बढ़ाता है। जनजातियों के उत्थान के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में ट्राइफेड इस अभूतपूर्व संकट के समय उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए कई अभिनव पहल करती रही है। उन्होंने जमीनी स्तर पर इस महत्वाकांक्षी पहल के लिए काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जिससे कि इसकी पूरे देश में पुनरावृत्ति की जा सके। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि डीएम एवं डीएफओ जनजातीयों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं।
 इस अवसर पर केन्द्रीय राज्य  रेणुका सिंह सरुता ने भी संयुक्त प्रयासों एवं उस विजऩ की सराहना की जिसकी वजह से इन दो पड़ोसी राज्यों में ऐसी सार्थक पहल संभव हो सकी है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस पहल से इन दोनों राज्यो में जनजातीय आबादी को काफी लाभ पहुंचेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन परियोजनाओं को अन्य राज्यों में भी विस्तारित किया जाएगा। आर. सी. मीणा ने जनजातियों के जीवन में सुधार लाने के लिए ट्राइफेड की ऐसी कई उपयोगी योजनओं एवं कार्यक्रमों पर विचार किया तथा उम्मीद जताई कि यह परियोजना इन दोनों राज्यों में इस उद्वेश्य को पूरा करेगी।
 इससे पूर्व, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा ने जनजातीय मामले मंत्रालय के ट्राइफेड एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय तथा एनएसटीएफडीसी की टीमों को इस पहल पर उनके कार्य के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में ट्राइफूड परियोजना जनजातियों के लिए रोजगार, आमदनी एवं उद्यमशीलता के संवर्धन के जरिये व्यापक विकास पैकेज पस्तुत करने का एक प्रयास है।
  विशेष रूप से, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिये गौण वन ऊपज (एमएफपी) के विपणन तथा एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास' स्कीम पहले ही इस अभूतपूर्व संकट के समय में बदलाव के प्रकाशदीप के रूप में उभर कर आई है और इसने सकारात्मक रूप से जनजातीय परितंत्र को प्रभावित किया है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। देश के 21 राज्यों में राज्य सरकारी एजेन्सियों के सहयोग से ट्राइफेड द्वारा कार्यान्वित यह स्कीम अभी तक जनजातीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से 3000 करोड़ रुपये का समावेश कर चुकी है। मई 2020 में सरकारी मदद की सहायता से जिसमें गौण वन ऊपज (एमएफपी) के मूल्यों में 90 प्रतिशत की बढोतरी की गई और एमएफपी सूची में 23 नई मदों का समावेश किया गया, जनजातीय मामले मंत्रालय की इस प्रमुख योजना, जिसे 2005 के वन अधिकार अधिनियम से शक्ति मिलती है, का लक्ष्य वन ऊपजों के जनजातीय संग्रहकर्ताओं को लाभदायक एवं उचित मूल्य उपलब्ध कराना है।
 इसी योजना के अन्य घटक-वन धन विकास केंद्र/ जनजातीय स्टार्ट अप्स भी एमएसपी को बेहतर तरीके से आगे बढ़ता है क्योंकि यह जनजातीय संग्रहकर्ताओं और वनवासियों तथा घरों में रह रहे जनजातीय कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के एक स्रोत के रूप में उभरा है। 22 राज्यों में 3.6 लाख जनजातीय संग्रहकर्ताओं एवं 18 हजार स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए 18 हजार 500 एसएचजी में 1205 जनजातीय उद्यम स्थापित किए गए हैं। कार्यक्रम का मूल बिन्दु यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि इन मूल्य वद्र्धित उत्पादों की बिक्री से प्राप्त लाभ सीधे जनजातीयों तक पहुंचे।
 ट्राइफूड परियोजना का लक्ष्य इसके वांछित गुणों के दोनों घटकों को अभिमुख करना है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सहयोग से इन इकाइयों, जिनकी स्थापना प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज के सृजन के लिए स्कीम के अंतर्गत की जाएंगी, राज्य में वन केंद्रों से कच्चे माल की खरीद करेगी। पूर्ण रूप से प्रसंस्कृत उत्पादों को देश भर में ट्राइब्स इंडिया आउटलेटों एवं फ्रेंचाइजी स्टारों के जरिये बेचा जाएगा। इसके अतिरिक्त,  ट्राइफेड की योजना उन जनजातीय उद्यमियों की पहचान करने एवं उन्हें प्रशिक्षित करने की है जो उत्पादों को बेच भी सकते हैं।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english