केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मिशन कर्मयोगी को दी मंजूरी
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम, मिशन कर्मयोगी को मंजूरी प्रदान की। यह कार्यक्रम सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण का आधार होगा ताकि वे विश्वभर से उत्कृष्ट कार्य पद्धतियां सीखते हुए भारतीय संस्कृति से भी निरंतर जुड़े रहें।
मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भविष्य के लिए ऐसे भारतीय लोक सेवक तैयार करना है, जो अधिक रचनात्मक, चिंतनशील, नवाचारी, व्यावसायिक और प्रौद्योगिकी-सक्षम हों। पत्रकारों को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कर्मयोगी स्कीम, मानव संसाधन विकास की दिशा में सरकार की सबसे बड़ी पहल होगी।
इस मिशन के संस्थागत ढांचे में प्रधानमंत्री की लोक मानव संसाधन परिषद, क्षमता निर्माण आयोग, डिजिटल परिसम्पत्तियों के स्वामित्व और प्रचालन के लिए विशेष प्रयोजन संस्थाएं और ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए प्रौद्योगिकी मंच शामिल होगा। इसके अलावा कैबिनेट सचिव की अध्?यक्षता में एक समन्?वय इकाई भी इसके ढांचे में शामिल होगी। लोक मानव संसाधन परिषद में चुने हुए केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, जाने-माने मानव संसाधन विशेषज्ञ, चिन्तक, वश्विक विचारक और लोक सेवक, मिलकर इसके शीर्ष निकाय के रूप में काम करेंगे। यह निकाय सिविल सेवाओं में सुधार और क्षमता निर्माण के लिए नीति निर्देश प्रदान करेगा।
इसमें क्षमता निर्माण आयोग के गठन का प्रस्ताव है जो सहयोग और साझेदारी के आधार पर क्षमता निर्माण के प्रबंधन और नियमन में एक समान दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा। करीब 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बनाये जा रहे इस मिशन पर 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए पांच अरब दस करोड रूपये से अधिक धन खर्च किया जाएगा।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में जम्मू-कश्मीर राजकीय भाषाएं विधेयक-2020 संसद में पेश करने की भी मंजूरी दी गई। इन भाषाओं में उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी शामिल हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को राजकीय भाषाएं बनाने से न केवल लोगों की लम्बे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है बल्कि समानता की भावना का भी ध्यान रखा गया है।
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