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 राग भूपाली में महादेव की स्तुति ‘महेश्वरा महादेव’ की बंदिश ने बटोरीं तालियां

-महाराष्ट्र मंडल के संत ज्ञानेश्वर सभागृह में तिलक- आजाद जयंती पर कथक नृत्य व सुगम संगीत का हुआ मनमोहक आयोजन
- वेस्‍टइंडीज के सुसान व राणा मोहिप ने अपनी यादगार प्रस्‍तुतियों से दिल जीता संगीतप्रेमी दर्शकों का
 रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में लोकमान्‍य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर वेस्‍ट इंडीज के त्रिनिदाद- टोबैगो से पहुंचीं कथक नृत्‍यांगना सुसान मोहिप ने मनमोहक नृत्‍य प्रस्‍तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्‍ध कर दिया। इस मौके पर राणा मोहिप और साधना राहटगांवकर ने अपने साथी वादकों के साथ सुगम संगीत की महफिल भी जमाई।
महादेव की स्तुति के लिए राग भूपाली में ‘महेश्वरा महादेव’ नाम से प्रसिद्ध बंदिश कथक नृत्य और गायन के दौरान सुनाई दी। इस बंदिश में राग भूपाली की मधुरता और महादेव की महिमा को एक साथ व्यक्त किया गया। इसे सुनकर श्रोताओं को आनंद और शांति का अनुभव हुआ। सुसान की ओर से प्रस्‍तुत बंदिश में ‘महेश्वरा महादेव’ के नाम की पुनरावृत्ति ने महादेव की इस स्तुति को और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया। 
वेस्टइंडीज के त्रिनिदाद से पहुंचे भारतीय मूल के राणा मोहिप ने हारमोनियम में संगत दी। कार्यक्रम में भिलाई की साधना रहाटगांवकर का सुगम और भक्ति गायन भी लोगों को सुनने को मिला। इनके साथ पंडित अवध सिंह ठाकुर, शरीफ हुसैन और डा. बिहारी लाल तारम ने बांसुरी की धुन ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेहरू युवा केंद्र छत्तीसगढ़- मध्यप्रदेश के स्टेट डायरेक्टर अतुल निकम ने अपने उद्बोधन में कहा कि सिर्फ 10 महीने पहले वे रायपुर आए थे और इतने कम समय में उनका महाराष्‍ट्र मंडल से जो नाता जुड़ा है, वो आजीवन बना रहेगा, वे रायपुर में रहें या न रहें। वैसे भी वे मंडल के आजीवन सभासद जो हैं। उन्‍होंने मंडल के उल्‍लेखनीय कार्यों और गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि यही कारण है कि वे महाराष्‍ट्र मंडल और उसके अध्‍यक्ष अजय काले सहित पूरी कार्यकारिणी को अपने परिवार का सदस्‍य मानते हैं।
दिव्यांग बालिका विकास गृह के प्रभारी प्रसन्न निमोणकर ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जीवनी पर चर्चा करते हुए कहा कि वे जितने ईमानदार और स्‍पष्‍ट वक्‍ता थे, उतने ही आक्रामक भी। उस काल में गरम दल का अर्थ बंदूक, गोला- बारूद हुआ करता था, लेकिन उनके गरम दल का अर्थ लेखन में था। तिलक ने कारावास में भी अवसर ढूंढकर गीता रहस्‍य नामक ग्रंथ की रचना की।
मंडल के सचेतक रवींद्र ठेंगड़ी ने चंद्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़े कई रोचक किस्‍से सुनाए। इनमें से एक किस्‍सा ठेंगडी ने बताया कि काकोरी ट्रेन लूट कांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत में फरार चल रहे चंद्रशेखर आजाद साधु के वेश में गाजीपुर के आश्रम में जानबूझकर पहुंच गए। वहां के मुख्‍य साधु मरणासन्‍न थे और उनकी सेवा करने के लिए भी आसपास कोई नहीं था। आजाद को लगा कि कल- परसों में यदि ये साधु दिवंगत हो जाते हैं, तो वे स्‍वयं पूरे आश्रम और संपत्ति का वारिस हो जाएंगे और यहां से मिला पैसा उनके स्वतंत्रता आंदोलन में काम आएगा। इसी लालच में उस आश्रम में रुककर आजाद से बेहद बीमार व अशक्‍त साधु की सेवा करने लगे। धीरे- धीरे साधु पूरी तरह स्‍वस्‍थ होकर चलने- फिरने लगे। आखिरकार आजाद को वहां से भागना पड़ा।
इधर सांस्‍कृतिक समिति की प्रभारी प्रिया बक्षी और सह प्रभारी गौरी क्षीरसागर ने वेस्‍ट इंडीज और भारत के बीच सांस्कृतिक समानता पर चर्चा की। अपने अध्‍यक्षीय संबोधन में मंडल अध्‍यक्ष अजय मधुकर काले ने वेस्‍ट इंडीज के अतिथि कलाकारों का स्‍वागत करते हुए उनकी प्रस्‍तुतियों को महाराष्‍ट्र मंडल के मंच की उपलब्धि बताया। उन्‍होंने मुख्‍य अतिथि अतुल निकम के महाराष्‍ट्र मंडल को दिए गए सहयोग को भी आभार व्‍यक्‍त करते हुए याद किया। मंच का संचालन संत ज्ञानेश्‍वर स्‍कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर ने किया।

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