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मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होने से आगंतुकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

मुंबई। महाराष्ट्र के सभी मंदिरों में धीरे-धीरे आगंतुकों के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है। इन पूजा स्थलों का प्रबंधन करने वाले न्यासियों ने दिशा-निर्देश जारी कर भक्तों से शालीन और पारंपरिक कपड़े पहनने का आग्रह किया है। मंदिरों के न्यासियों का मानना है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए ‘ड्रेस कोड' आवश्यक है जबकि धार्मिक स्थलों में आने वाले लोग मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। ‘चिंचवड देवस्थान ट्रस्ट' द्वारा प्रबंधित मंदिरों ने शुक्रवार को परामर्श जारी कर श्रद्धालुओं से ‘उचित'' पोशाक पहन कर आने का अनुरोध किया है। यह ट्रस्ट पुणे जिले के मोरगांव और थेऊर, अहिल्यानगर में सिद्धटेक और पिंपरी चिंचवड में मोरया गोसावी संजीवन और रायगढ़ में खार नारंगी स्थित मंदिर का प्रबंधन करता है। ट्रस्ट ने यह स्पष्ट किया कि ‘ड्रेस कोड' अनिवार्य नहीं बल्कि इन मंदिरों में शिष्टाचार को बनाए रखने के लिए यह एक सम्मानजनक अपील है। पुणे की निवासी अदिति काणे ने कहा, ‘इन दिनों लोग मंदिर जाने की योजना पहले से नहीं बनाते बल्कि वे अपनी छुट्टियों के दौरान किसी स्थान पर जाते समय यहां चले जाते हैं। मैं अपनी छुट्टियों के दौरान मंदिर गई और वहां मैंने देखा कि बहुत कम श्रद्धालुओं को छोड़कर अधिकांश लोगों ने सभ्य पोशाक पहनी हुई थी। मंदिर प्रबंधन द्वारा ड्रेस कोड के बारे में अपनी अपेक्षाएं व्यक्त करने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन उन्हें इसे लागू नहीं करना चाहिए।'' मुंबई स्थित श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट ने इस वर्ष जनवरी में इस प्रमुख मंदिर के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिए जाने की घोषणा की। इस प्रसिद्ध मंदिर में मशहूर हस्तियों सहित हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। पिछले साल रत्नागिरी के 50 मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया था और मंदिरों के प्रवेश द्वारों पर सूचना पट्ट लगाकर लोगों से पूरे कपड़े पहनने और आपत्तिजनक कपड़ों से बचने का आग्रह किया गया था। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने रत्नागिरी में 11 स्थानों पर बैठकें कीं और मंदिरों के न्यासियों ने इन बैठकों के दौरान मंदिरों में पारंपरिक भारतीय परिधानों का ड्रेस कोड लागू करने का फैसला किया। अहिल्यानगर जिले के कम से कम 16 मंदिरों में भी इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए और यहां जींस, स्कर्ट, शॉर्ट्स या आपत्तिजनक कपड़े पहन कर आने पर रोक लगा दी। दक्षिणपंथी संगठन महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और हिंदू जनजागृति ने कहा कि अहिल्यानगर और संभवतः पूरे महाराष्ट्र के सभी मंदिरों में समान ड्रेस कोड लागू किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार से शिरडी साईं बाबा मंदिर और अहिल्यानगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की भी अपील की है। मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर श्रद्धालुओं ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है।
मुंबई निवासी वनिता सोमवंशी ने कहा, ड्रेस कोड उचित है क्योंकि लोगों के दिल और दिमाग में श्रद्धा होती है और वे इसी श्रद्धा के साथ मंदिर में आते हैं। बेहतर होगा कि आप ऐसे कपड़े न पहनें जो आपत्तिजनक हो या बहुत ज़्यादा फैशनेबल हों जैसे कि फटी या कटी हुई जींस। यहां तक ​​कि मंदिरों में ऐसी टी-शर्ट भी पहन कर आने से बचना चाहिए, जिसपर आपत्तिजनक कैप्शन लिखा हो।

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