साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए जोखिम आधारित पर्यवेक्षण, सतर्क रुख की जरूरत: आरबीआई
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने और वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण, सतर्क रुख और कृत्रिम मेधा (एआई) को लेकर सजग सुरक्षा रणनीतियों को अपनाने का सुझाव दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कि सृजन से जुड़े एआई संचालित तरीकों के माध्यम से धोखाधड़ी के नये स्वरूप विकसित हो रहे हैं। इसमें धोखाधड़ी के इरादे से भेजे जाने वाले ई-मेल, संदेश और ‘डीपफेक' शामिल हैं। आरबीआई की छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा गया, ‘‘डिजिटल वित्तीय सेवाओं, क्लाउड-आधारित बुनियादी ढांचे और विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर जुड़ी प्रणालियों का उपयोग बढ़ रहा है।
इसके साथ साइबर हमले का जोखिम भी तेजी से बढ़ा है।'' रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय संस्थाओं और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं के बीच प्रणाली के स्तर पर जुड़ाव को देखते हुए, भरोसा, स्थिरता और कारोबारी निरंतरता बनाये रखने के लिए साइबर मजबूती को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। संगठनों की अपने व्यावसायिक संचालन के लिए तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता तेजी से बढ़ रही है। इसलिए आपूर्ति श्रृंखला में कमजोरी प्रणाली के स्तर पर जोखिम पैदा कर सकती है। इसके अलावा, कुछ प्रमुख आईटी और क्लाउड सेवा प्रदाताओं पर अत्यधिक निर्भरता की स्थिति ने भी समस्या पैदा की है।
इससे वित्तीय नुकसान का जोखिम बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक प्रणाली में समस्या तेजी से पूरे नेटवर्क में फैल सकती है, जिससे कई संस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं। इस संदर्भ में, साइबर सुरक्षा, सुरक्षा संचालन केंद्र (एसओसी) की दक्षता, जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण, सर्तक दृष्टिकोण और एआई-सजग रक्षा रणनीतियों पर निर्भर करेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल लेनदेन में तेज वृद्धि से सुविधा और दक्षता बढ़ाने में मदद मिली है, लेकिन इसके साथ ही वित्तीय धोखाधड़ी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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