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मन की बात का 124वां एपिसोड : विज्ञान, विरासत और विविधता का संदेश, पीएम मोदी के संबोधन की दस बड़ी बातें

 नई दिल्ली।  मन की बात का 124वां एपिसोड : विज्ञान, विरासत और विविधता का संदेश, पीएम मोदी के संबोधन की दस बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। 124वें एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रमुख बातों का उल्लेख किया। उन्होंने भारत की उपलब्धियों के बारे में बात की। देश और समाज के विकास में लोगों के योगदान को भी सराहा।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत में शुभांशु शुक्ला का जिक्र किया
‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी को लेकर देश में बहुत चर्चा हुई। पूरा देश गर्व से भर गया। अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश में एक नया माहौल बना है। विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर बच्चों में एक नई जिज्ञासा भी जागी है। अब छोटे-छोटे बच्चे भी अंतरिक्ष की बात करते हैं। वे अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने की बात करते हैं।
‘इंस्पायर मानक’ अभियान की दी जानकारी
‘इंस्पायर मानक’ अभियान के बारे में पीएम मोदी ने देशवासियों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह बच्चों के नवाचार को बढ़ावा देने का अभियान है। इसमें हर स्कूल से 5 बच्चे चुने जाते हैं। हर बच्चा एक नया आइडिया लेकर आता है। इससे अब तक लाखों बच्चे जुड़े हैं और चंद्रयान-3 के बाद इनकी संख्या दोगुनी हुई है।
भारत के मराठा किलों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया
इसके बाद पीएम मोदी ने विरासत की भी बात की। हाल ही में भारत के मराठा किलों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन किलों का जिक्र कर कहा कि यह हम सभी को गर्व से भर देने वाली खबर है। उन्होंने कहा कि देश के और हिस्सों में भी अद्भुत किले हैं, जिन्होंने आक्रमण झेले, खराब मौसम की मार झेली, लेकिन आत्मसम्मान को कभी भी झुकने नहीं दिया। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ का किला, कुंभलगढ़ किला, रणथंभौर किला, आमेर किला, और जैसलमेर का किला विश्व प्रसिद्ध हैं। कर्नाटक में गुलबर्गा का किला भी बहुत बड़ा है। चित्रदुर्ग के किले की विशालता भी कौतूहल से भर देती है।
खुदीराम बोस और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को नमन किया
पीएम मोदी ने अगस्त को क्रांति का महीना बताते हुए खुदीराम बोस और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को नमन किया। उन्होंने कहा कि 11 अगस्त 1908 को अंग्रेजों के खिलाफ अपना देश-प्रेम व्यक्त करने की कीमत चुका रहा था। खुदीराम बोस ने सिर्फ 18 साल की उम्र में वो साहस दिखाया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। ऐसे ही अनगिनत बलिदानों के बाद, सदियों की तपस्या के बाद, हमें आज़ादी मिली थी। देश के दीवानों ने अपने रक्त से आजादी के आंदोलन को सींचा था।
पीएम मोदी ने हैंडलूम स्टार्टअप्स के बारे में भी बताया
प्रधानमंत्री ने हैंडलूम स्टार्टअप्स के बारे में भी बताया। कहा, “टेक्सटाइल सेक्टर हमारी सांस्कृतिक विविधता की मिसाल है। आज टेक्सटाइल और अपैरल मार्केट बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस विकास की सबसे सुंदर बात यह है कि गावों की महिलाएं, शहरों के डिजाइनर, बुजुर्ग बुनकर और स्टार्टअप शुरू करने वाले हमारे युवा सब मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। आज भारत में 3000 से ज्यादा टेक्सटाइल स्टार्टअप हैं। कई ने भारत की हैंडलूम पहचान को ग्लोबल पहचान दी है।”
पर्यावरण संरक्षण में लोकगीतों के योगदान को भी सराहा
भारत की विविध संस्कृति का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने पर्यावरण संरक्षण में लोकगीतों के योगदान को भी सराहा। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता की सबसे खूबसूरत झलक हमारे लोकगीतों और परंपराओं में मिलती है और इसी का हिस्सा होते हैं हमारे भजन और हमारे कीर्तन। बोले, “ओडिशा में राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली के माध्यम से पारंपरिक गीतों के जरिए जंगल की आग से जागरूकता फैलाने का प्रयास हो रहा है। जंगल और पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्होंने पारंपरिक गीतों में नए बोल जोड़े, नए संदेश जोड़े। उनकी टोली गांव-गांव गई। ये उदाहरण हमें याद दिलाता है कि हमारी लोक परंपराएं कोई बीते युग की चीज नहीं है, इनमें आज भी समाज को दिशा देने की शक्ति है।”
पीएम मोदी ने प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण और ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का भी उल्लेख किया
‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण और ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का भी उल्लेख किया। उन्होने कहा कि इन पांडुलिपियों में विज्ञान, चिकित्सा की पद्धतियां, संगीत और दर्शन हैं, जो मानवता के भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। कुछ छात्रों ने पांडुलिपियों के आधार पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पर शोध भी शुरू कर दी है। अगर ऐसा प्रयास देशभर में हो तो हमारा पुरातन ज्ञान केवल दीवारों में बंद नहीं रहेगा। वह नई पीढ़ी की चेतना का हिस्सा बन जाएगा।।
पक्षियों की गणना में एआई के इस्तेमाल की बात की
124वें एपिसोड की खास बात पक्षियों की गणना में एआई के इस्तेमाल की भी थी। पीएम मोदी ने कहा, “असम के प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क में एक अनूठा प्रयास हुआ है। काजीरंगा में पहली बार ग्रासलैंड बर्ड सेंसस किया गया। आपको यह जानकर खुशी होगी कि इस गणना में 40 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें कई दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं। यह सब संभव हुआ तकनीक की मदद से। टीम ने साउंड रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाए और फिर उन ध्वनियों को एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक के जरिए कंप्यूटर पर एनालाइज किया गया। इस प्रक्रिया में पक्षियों को बिना परेशान किए, केवल उनकी आवाज से ही पहचान लिया गया। यह उदाहरण दिखाता है कि जब टेक्नोलॉजी और संवेदनशीलता मिलती है, तो प्रकृति को समझना और भी आसान हो जाता है।
ओम प्रकाश साहू नाम के एक युवक ने हिंसा का रास्ता छोड़ा और मछली पालन शुरू किया
हर बार की तरह इस बार भी पीएम मोदी ने ‘आम शख्स की खास’ उपलब्धि साझा की। उन्होंने कहा कि झारखंड का गुमला जिला एक समय माओवादी हिंसा के लिए जाना जाता था। बासिया ब्लॉक के गांव वीरान थे, लेकिन बदलाव की एक बहुत ही शांत और धैर्य से भरी शुरुआत हुई। ओम प्रकाश साहू नाम के एक युवक ने हिंसा का रास्ता छोड़ा और मछली पालन शुरू किया। उनसे प्रेरणा ले आज बासिया ब्लॉक के 150 से ज्यादा परिवार मछली पालन से जुड़ चुके हैं।
‘खेलो भारत नीति 2025’ और स्वच्छता अभियान की भी बात की
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘खेलो भारत नीति 2025’ और स्वच्छता अभियान की भी बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिका में हुए ‘विश्व पुलिस और अग्निशमन’ खेल में भारत ने इतिहास रचते हुए करीब 600 मेडल जीते। 71 देशों में भारत टॉप तीन देशों में पहुंचा। 2029 में यह खेल भारत में होंगे, जिसमें दुनिया-भर से खिलाड़ी आएंगे।
स्वच्छता पर बात करते हुए पीएम मोदी ने भोपाल की ‘सकारात्मक सोच’ और लखनऊ की ‘गोमती नदी’ टीमों की प्रशंसा की, जो सफाई अभियान में जुटी हैं। प्रधानमंत्री ने गोवा के पणजी शहर का भी उदाहरण दिया, जिसे ‘राष्ट्रपति पुरस्कार’ भी मिला।
पीएम मोदी ने आगामी त्योहारों के लिए देशवासियों को शुभकामनाएं दीं
कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी त्योहारों के लिए देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि रविवार को हरियाली तीज है, फिर नाग पंचमी और रक्षा-बंधन, फिर जन्माष्टमी, हमारे नटखट कान्हा के जन्म का उत्सव। ये सभी पर्व यहां हमारी भावनाओं से जुड़े हैं; ये हमें प्रकृति से जुड़ाव और संतुलन का भी संदेश देते हैं। आप सभी को इन पावन पर्वों की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। 

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