दिसंबर तक और चीते आने की संभावना
-शावकों के जीवित रहने की दर वैश्विक औसत से बेहतर: अधिकारी
नयी दिल्ली/ भारत और चीते लाने के लिए कुछ अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत कर रहा है और उम्मीद है कि इस साल दिसंबर तक 8-10 चीतों को ले आया जाएगा। ये चीते संभवतः बोत्सवाना से आएंगे। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि भारत जिन अन्य देशों को चीते लाने के संभावित स्रोत के रूप में देख रहा है, उनमें नामीबिया भी शामिल है। इस देश से पहले भी चीते आए थे। प्रोजेक्ट चीता से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि भारत का अपने जंगलों में चीतों की संख्या बढ़ाने का महत्वाकांक्षी कदम "बहुत सफल" रहा है और इस कार्यक्रम ने दुनिया में पहली बार एक बड़े मांसाहारी जानवर के अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण की प्रारंभिक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर 2022 में अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाये आठ चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाकर उनकी संख्या बढ़ायी गयी। चीतों ने यहां कई बार प्रजनन किया है। सूत्रों ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि वे भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में 27 चीतों में से 16 भारत में जन्मे हैं। उन्होंने बताया कि कुनो में शावकों के जीवित रहने की दर 61 प्रतिशत से अधिक है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह दर 40 प्रतिशत है। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक बाधाओं के बाद परियोजना की प्रगति का श्रेय राजनीतिक इच्छाशक्ति को जाता है जो दूसरे देशों के साथ बातचीत करने में भी महत्वपूर्ण थी। इसके अलावा उन्होंने वन्यजीव संरक्षण में भारत की विशेषज्ञता, स्थानीय लोगों का समर्थन और सरकार के प्रमुख कार्यक्रम के प्रति समग्र प्रतिबद्धता को भी इसका श्रेय दिया। स्थानांतरित किये गये चीतों में से 11 जीवित बचे हैं, जिनमें छह मादा और पांच नर हैं।
एक अधिकारी ने कहा, "हम हर साल 10-12 चीतों को नए स्थानों पर लाने और उनकी मौजूदा संख्या को बनाए रखने की योजना बना रहे |


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