वर्षा जनित घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को दो लाख रुपये अनुग्रह राशि देगी बंगाल सरकार
कोलकाता । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में वर्षाजनित घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की बुधवार को घोषणा की। कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में हुई भारी बारिश से निपटने को लेकर अपनी सरकार के उपायों का बचाव करते हुए बनर्जी ने गंगा नदी की सफाई (गाद निकालने) नहीं करने के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया और मेट्रो रेलवे पर आरोप लगाया कि वह अपनी निर्माण गतिविधियों के माध्यम से साल्ट लेक में बाढ़ की स्थिति को और बदतर बना रही है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में अब तक वर्षाजनित घटनाओं में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से नौ लोगों की मौत कोलकाता में जलभराव के बीच खुले पड़े बिजली के तारों के संपर्क में आने से करंट लगकर हुई है। मुख्यमंत्री ने कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में बिजली प्रदाता - कलकत्ता बिजली आपूर्ति निगम (सीईएससी) से महानगर में बिजली का करंट लगने के कारण मारे गए लोगों के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की अपील की। दक्षिण कोलकाता में एकदलिया दुर्गा पूजा के उद्घाटन के अवसर पर बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार मृतकों के परिवार के सदस्यों को रोजगार भी दिलाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘कल जो लोग बिजली के करंट से मारे गए उनके परिजनों को राज्य सरकार द्वारा दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी हालांकि पैसा उनके जीवन की कीमत नहीं चुका सकता। अगर सीईएससी नौकरी नहीं भी देती है तो भी हम यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार के सदस्यों को विशेष रोजगार दिया जाए।'' मुख्यमंत्री ने कहा कि सीईएससी को बिजली का करंट लगने के कारण हुई इन मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सीईएससी से आग्रह करूंगी कि वह मृतकों के परिवारों को पांच लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करें क्योंकि मौतें उनकी लापरवाही के कारण हुईं।'' कोलकाता और आसपास के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति की समीक्षा कर रहीं बनर्जी ने कहा कि शहर के अधिकतर हिस्सों से पानी घट गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सात घंटे के भीतर हम पानी निकालने में कामयाब रहे। यह लोगों के सहयोग से संभव हुआ है। रात दो बजे तक मैं निगरानी कर रही थी कि शहर में अब भी पानी आ रहा है या नहीं। कोलकाता के ज़्यादातर इलाकों से पानी निकाल दिया गया है।'' हालांकि मुख्यमंत्री ने माना कि थंथनिया, कॉलेज स्ट्रीट और बल्लीगंज जैसे इलाकों में मंगलवार सुबह तक जलभराव रहा। बनर्जी ने इस बाढ़ की तुलना 1978 की बाढ़ से करते हुए कहा, ‘‘यह बादल फटने जैसी बारिश थी। हमने कई वर्षों से ऐसी बारिश नहीं देखी... यह 1978 से भी अधिक थी।'' उन्होंने केंद्र पर गंगा नदी में गाद हटाने के कार्य की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रकृति हमारे हाथ में नहीं है। कोलकाता बंदरगाह, फरक्का बैराज, डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) के मैथन में पिछले 20 सालों से जल निकासी व्यवस्था नहीं हुई है। जब भी बिहार या उत्तर प्रदेश में बारिश होती है पानी बहकर पश्चिम बंगाल में आ जाता है। हमें सब कुछ खुद ही संभालना पड़ता है।'' मुख्यमंत्री ने मेट्रो रेलवे के अधिकारियों पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि जारी निर्माण गतिविधियों के कारण शहर के व्यस्त क्षेत्र साल्ट लेक में जलभराव की समस्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मेट्रो के लिए निर्माण कार्य जारी है और रेत के कट्टे, पाइप और अन्य सामग्री बिना देखभाल के छोड़ दी गई है। कल मैं साल्ट लेक गई थी और वहां भारी मात्रा में पानी था।''

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