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 सीतारमण ने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की शुरुआत की, दिसंबर से शुरू होगी सुनवाई

नयी दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) की शुरुआत की। यह कंपनियों और कर विभाग के बीच विवादों के त्वरित निपटारे का मार्ग प्रशस्त करेगा। सीतारमण ने कहा कि जीएसटीएटी के सक्रिय होने के साथ ही कंपनियां इसके पोर्टल पर अपने मामले दायर कर पाएंगे और दिसंबर से अपीलीय न्यायाधिकरण में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने जीएसटीएटी को 'करदाताओं के लिए न्याय का सच्चा प्रतीक' बताते हुए कहा, “2017 में जीएसटी की शुरुआत के साथ ‘एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार' की जो परिकल्पना की गई थी, अब उसमें एक और आयाम जुड़ गया है। यह मंच व्यवसायों के लिए भरोसे का स्तंभ और भारत की निरंतर आर्थिक वृद्धि का उत्प्रेरक बनेगा।”
जीएसटी से संबंधित करीब 4.83 लाख लंबित मामलों को इस पोर्टल पर स्थानांतरित किया जाएगा। सरकार ने अपील दाखिल करने की समय-सीमा 30 जून, 2026 तक बढ़ा दी है। पुराने विवादों को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा ताकि मामलों का बोझ नियंत्रित ढंग से निपटाया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा, "जीएसटीएटी केवल अपीलीय मंच ही नहीं, बल्कि अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) की भूमिका भी निभाएगा। इससे करदाताओं को कार्यवाही शुरू होने से पहले और बाद दोनों स्तरों पर व्यापक समाधान उपलब्ध होंगे” इस अवसर पर राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि यह न्यायाधिकरण कर विवादों में एकरूपता, अनुमान-योग्य परिणाम और अपील प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, "जीएसटी परिषद ने समय-समय पर जटिल मुद्दों पर स्पष्टीकरण दिया है, लेकिन अब एक औपचारिक अपीलीय संस्था सभी पक्षों को समान अवसर देगी और विवादों का स्थायी समाधान संभव बनाएगी।”
सरकार ने हाल ही में जीएसटीएटी के विभिन्न खंडपीठों के लिए न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति की है। मई 2024 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा को प्रधान पीठ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अगस्त, 2025 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मयंक कुमार जैन को जीएसटी अपीलीय प्राधिकरण की प्रधान पीठ का न्यायिक सदस्य बनाया गया। इसके अलावा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ए. वेणु प्रसाद और सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता को तकनीकी सदस्य नियुक्त किया गया था। सीतारमण ने कहा कि जीएसटीएटी की स्थापना करदाताओं के लिए न केवल अनुपालन और रिफंड को सरल बनाने का हिस्सा है, बल्कि यह निष्पक्ष और कुशल विवाद निवारण की गारंटी भी है। उन्होंने कहा, "यह सुधारों का एक स्वाभाविक विस्तार है। जब कोई करदाता विवाद की स्थिति में आता है तो वह कर प्रशासन के समक्ष पहली अपील कर सकता है। दूसरे स्तर पर वह केंद्र या राज्य के आदेशों के खिलाफ जीएसटीएटी में अपील कर सकेगा।"
 

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