संघ व्यक्तित्व निर्माण कार्य का विस्तार करेगा, पांच सूत्री सामाजिक कार्ययोजना को आगे बढ़ाएगा: भागवत
नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपने शताब्दी वर्ष के दौरान, आरएसएस पूरे भारत में व्यक्तित्व निर्माण के कार्य का प्रसार करने का प्रयास करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए उसकी 'पंच परिवर्तन' पहल को सभी वर्गों द्वारा स्वीकार किया जाए। आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नागपुर में विजयादशमी पर अपने वार्षिक संबोधन में उन्होंने कहा कि पांच सूत्री 'पंच परिवर्तन' कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक आचरण में क्रमिक परिवर्तन लाना है। भागवत ने बताया कि 'पंच परिवर्तन' पहल सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता तथा कानूनी, नागरिक और संवैधानिक कर्तव्यों के पालन पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, "अपने शताब्दी वर्ष के दौरान, आरएसएस देश भर में व्यक्तित्व निर्माण के अपने कार्य का विस्तार करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पंच परिवर्तन कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य सामाजिक आचरण में क्रमिक परिवर्तन लाना है, स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित उदाहरणों के माध्यम से सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाए।" भागवत ने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवकों के अलावा अन्य संगठन और व्यक्ति भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं और संघ के स्वयंसेवक उनका समन्वय और सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। आरएसएस नेता ने कहा कि विश्व इतिहास में समय-समय पर भारत ने एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में कार्य किया है, तथा एक 'वैश्विक धर्म' प्रदान किया है जो लोगों के जीवन में संयम और अनुशासन की भावना पैदा करता है। उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों ने इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भारत में रहने वाले विविध समाज को एक राष्ट्र के रूप में संगठित किया।" भागवत ने कहा कि हिंदू समाज 'वसुधैव कुटुम्बकम' (विश्व एक परिवार है) के महान विचार का संरक्षक है। उन्होंने कहा, "आइये, हम सब मिलकर वर्तमान समय, स्थान और परिस्थितियों के अनुरूप एक बार फिर विश्व में भारत की इस सच्ची पहचान को स्थापित करें।


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